नई दिल्ली: देश में शिक्षक भर्ती, रेलवे भर्ती, पुलिस
भर्ती, आंगन बाड़ी, सेना, सिविल सेवा समेत तमाम विभागों में तकरीबन 24 लाख
पद खाली पड़े हैं और केंद्र सरकार बेरोजगारों को जुमला देकर काम कर रही है।
देश में एक आंकड़े के अनुसार शिक्षित बेरोजगारी की दर 16 फीसदी है।
यह बात कांस्टीट्यूशन क्लब में रविवार को युवा हल्ला बोल द्वारा आयोजित ‘यूथ समिट-जॉब चाहिए जुमला नहीं’ में छात्र नेता अनुपम पांडेय ने कही।
अनुपम ने कहा कि सालाना एक करोड़ नौकरी का वादा करके सत्ता में आयी केंद्र सरकार ने 2018 में 1 करोड़ 10 लाख नौकरियां खत्म कर दी हैं। सरकारी विभागों में 24 लाख पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार शिक्षित बेरोजगारों की भर्ती की बजाए पदों को खत्म कर रही है। यूथ समिट कार्यक्रम में छात्रों ने कहा कि पहले एसएससी की पहले जहां 12 हजार से ज्यादा वैकेंसियां आती थीं वहीं अब 3 हजार के आसपास आती हैं। पहले यूपीएससी में 1400 वैकेंसियां हुआ करती थीं अब 700 कुछ रह गयी हैं। 1979 में यूपीएससी परीक्षा में बदलाव हुए तो छात्रों को क्षतिपूर्ति प्रयास दिया गया 1992 में बदलाव हुए तो क्षतिपूर्ति प्रयास मिला लेकिन 2011 से 2014 के बीच सीसेट क्षतिपूर्ति प्रयास नहीं दिया गया, जबकि 2008 में ही गठित की गई एआरसी ने सी-सेट प्रणाली को गलत ठहरा दिया था।
3000 पदों के लिए आयोजित की गई एसएससी की सीएचएससी परीक्षा में तिमारपुर के गांधी विहार से पकड़े गए सॉल्वर्स ने बताया कि उन्होंने 4500 अभ्यर्थियों को नकल कराई है। चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर व्याप्त है एसएससी सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक समेत साल 2018 में ही तकरीबन 27 परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हो गए। डीएसएसएसबी की डास ग्रेड 2 की 2009 की परीक्षा की अब तक नियुक्ति नहीं हुई। साल 2013 में डीएसएसएसबी की परीक्षा में भी अभी तक ज्वाइनिंग नहीं मिली प्री एग्जाम 2018 में हुआ है, लेकिन अभी मेन्स नहीं हुआ। अगर परीक्षार्थी परीक्षा दे आए तो नियुक्तियां इतनी देरी से होती हैं कि अभ्यर्थियों के सिस्टम के इसी रवैये से पीड़ित होकर आत्महत्या की दुखद खबरें भी आने लगी हैं।
यूथ समिट में एकत्र हुए तकरीबन 1 हजार बेरोजगार छात्रों ने कहा कि रोजगार के अवसर और ईमानदार परीक्षा प्रणाली से संबंधित मांगों के अलावा हमने एक ‘मॉडल एग्जाम कोड’ बनाया है जिसको लागू कर दिया जाए तो कोई भी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो सकती है। छात्रों ने कहा कि हम मांग करते हैं कि बेरोजगारी को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए और इसे सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाकर उन सुझावों को लागू किया जाय जो हम इस यूथ समिट के माध्यम से पेश कर रहे हैं। यूथ समिट में अभ्यर्भियों ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर सरकार ने 27 फरवरी तक छात्रों की मांगों को नहीं माना तो हम हर उस सरकार के खिलाफ 27 फरवरी से हल्ला बोल शुरू करेंगे।
यह बात कांस्टीट्यूशन क्लब में रविवार को युवा हल्ला बोल द्वारा आयोजित ‘यूथ समिट-जॉब चाहिए जुमला नहीं’ में छात्र नेता अनुपम पांडेय ने कही।
अनुपम ने कहा कि सालाना एक करोड़ नौकरी का वादा करके सत्ता में आयी केंद्र सरकार ने 2018 में 1 करोड़ 10 लाख नौकरियां खत्म कर दी हैं। सरकारी विभागों में 24 लाख पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार शिक्षित बेरोजगारों की भर्ती की बजाए पदों को खत्म कर रही है। यूथ समिट कार्यक्रम में छात्रों ने कहा कि पहले एसएससी की पहले जहां 12 हजार से ज्यादा वैकेंसियां आती थीं वहीं अब 3 हजार के आसपास आती हैं। पहले यूपीएससी में 1400 वैकेंसियां हुआ करती थीं अब 700 कुछ रह गयी हैं। 1979 में यूपीएससी परीक्षा में बदलाव हुए तो छात्रों को क्षतिपूर्ति प्रयास दिया गया 1992 में बदलाव हुए तो क्षतिपूर्ति प्रयास मिला लेकिन 2011 से 2014 के बीच सीसेट क्षतिपूर्ति प्रयास नहीं दिया गया, जबकि 2008 में ही गठित की गई एआरसी ने सी-सेट प्रणाली को गलत ठहरा दिया था।
3000 पदों के लिए आयोजित की गई एसएससी की सीएचएससी परीक्षा में तिमारपुर के गांधी विहार से पकड़े गए सॉल्वर्स ने बताया कि उन्होंने 4500 अभ्यर्थियों को नकल कराई है। चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर व्याप्त है एसएससी सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक समेत साल 2018 में ही तकरीबन 27 परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हो गए। डीएसएसएसबी की डास ग्रेड 2 की 2009 की परीक्षा की अब तक नियुक्ति नहीं हुई। साल 2013 में डीएसएसएसबी की परीक्षा में भी अभी तक ज्वाइनिंग नहीं मिली प्री एग्जाम 2018 में हुआ है, लेकिन अभी मेन्स नहीं हुआ। अगर परीक्षार्थी परीक्षा दे आए तो नियुक्तियां इतनी देरी से होती हैं कि अभ्यर्थियों के सिस्टम के इसी रवैये से पीड़ित होकर आत्महत्या की दुखद खबरें भी आने लगी हैं।
यूथ समिट में एकत्र हुए तकरीबन 1 हजार बेरोजगार छात्रों ने कहा कि रोजगार के अवसर और ईमानदार परीक्षा प्रणाली से संबंधित मांगों के अलावा हमने एक ‘मॉडल एग्जाम कोड’ बनाया है जिसको लागू कर दिया जाए तो कोई भी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो सकती है। छात्रों ने कहा कि हम मांग करते हैं कि बेरोजगारी को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाए और इसे सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाकर उन सुझावों को लागू किया जाय जो हम इस यूथ समिट के माध्यम से पेश कर रहे हैं। यूथ समिट में अभ्यर्भियों ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर सरकार ने 27 फरवरी तक छात्रों की मांगों को नहीं माना तो हम हर उस सरकार के खिलाफ 27 फरवरी से हल्ला बोल शुरू करेंगे।