परिषदीय स्कूलों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में कटऑफ अंक
के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ पीठ
ने भी यथास्थिति रखने के आदेश दिए.
फर्क इतना रहा कि लखनऊ पीठ ने यथास्थिति 29 तक तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. हाईकोर्ट से हुए इन आदेशों के चलते शिक्षक भर्ती का परिणाम अब मंगलवार को जारी नहीं हो पाएगा.
दर्जनो याचिकाओं पर सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोपहर शुरू हुई सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाडिया ने आदेश पारित किया. कोर्ट में रीमा सिंह और 74 अन्य समेत दर्जनों दूसरी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान अधिवक्ताओं ने लखनऊ पीठ से भर्ती पर 29 तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की जानकारी दी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इसमें दो दिन का इजाफा कर दिया. दोनों जगह दाखिल याचिकाओं में एक ही प्रश्न उठाया गया है कि भर्ती प्रक्रिया के बीच उत्तीर्ण प्रतिशत यानी कटऑफ अंक घोषित करना अनुचित है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता अशोक खरे, एके सिंह, एके यादव, सीमांत सिंह, सिद्धार्थ खरे आदि ने बहस की. अधिवक्ताओं का कहना था कि परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते हैं. क्योंकि सरकार ने विज्ञापन में कटऑफ अंक घोषित नहीं किया था.
पिछली सुनवाई में जताई थी नाराजगी
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते. कोर्ट ने खुली अदालत में हैरानी जताते हुए कहा था कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया पूरी कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं. इससे पूर्व हुई सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण प्रतिशत 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था. इस बार लिखित परीक्षा के बाद अचानक इसे 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया.
फर्क इतना रहा कि लखनऊ पीठ ने यथास्थिति 29 तक तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. हाईकोर्ट से हुए इन आदेशों के चलते शिक्षक भर्ती का परिणाम अब मंगलवार को जारी नहीं हो पाएगा.
दर्जनो याचिकाओं पर सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोपहर शुरू हुई सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाडिया ने आदेश पारित किया. कोर्ट में रीमा सिंह और 74 अन्य समेत दर्जनों दूसरी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान अधिवक्ताओं ने लखनऊ पीठ से भर्ती पर 29 तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की जानकारी दी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इसमें दो दिन का इजाफा कर दिया. दोनों जगह दाखिल याचिकाओं में एक ही प्रश्न उठाया गया है कि भर्ती प्रक्रिया के बीच उत्तीर्ण प्रतिशत यानी कटऑफ अंक घोषित करना अनुचित है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता अशोक खरे, एके सिंह, एके यादव, सीमांत सिंह, सिद्धार्थ खरे आदि ने बहस की. अधिवक्ताओं का कहना था कि परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते हैं. क्योंकि सरकार ने विज्ञापन में कटऑफ अंक घोषित नहीं किया था.
पिछली सुनवाई में जताई थी नाराजगी
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का ख्याल न होता तो पूरी परीक्षा ही निरस्त कर देते. कोर्ट ने खुली अदालत में हैरानी जताते हुए कहा था कि समझ नहीं आता कि राज्य सरकार के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया पूरी कराना भी चाहते हैं अथवा नहीं. इससे पूर्व हुई सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण प्रतिशत 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था. इस बार लिखित परीक्षा के बाद अचानक इसे 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया.