69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम अब 31 जनवरी तक जारी नहीं हो
सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ ने दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई करते
हुए मामले में 31 जनवरी तक यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है।
कोर्ट की लखनऊ पीठ ने भी इसी प्रकरण में 29 जनवरी तक यथास्थिति का आदेश दिया है।
सोमवार को दिन में दो बजे से शुरू हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने कोर्ट
को लखनऊ पीठ के आदेश की जानकारी दी। दोनों जगह दाखिल याचिकाओं में एक ही
प्रश्न उठाया गया है। इसके मद्देनजर याचिकाओं की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति
प्रकाश पाडिया ने प्रकरण 31 जनवरी को सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने को कहा
है। लखनऊ पीठ में सुनवाई 29 जनवरी को होनी है। शिक्षक भर्ती का परिणाम
मंगलवार को जारी होना था। मगर कोर्ट के आदेश के कारण फिलहाल परिणाम जारी
नहीं किया जा सकेगा।
रीमा सिंह और 74 अन्य तथा दूसरी दर्जनों याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एके सिंह, एके यादव, सीमांत सिंह, सिद्धार्थ खरे आदि ने बहस की। अधिवक्ताओं का कहना था कि प्रदेश सरकार ने शिक्षक भर्ती परीक्षा होने के बाद सात जनवरी को न्यूनतम अंकों की अर्हता घोषित की। इसके अनुसार सामान्य वर्ग को 65 प्रतिशत और अन्य आरक्षित वर्गों के लिए 60 प्रतिशत अंक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अनिवार्य है। जबकि इससे पूर्व 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में न्यूनतम अर्हता 45 प्रतिशत और 40 प्रतिशत थी। परीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसके नियम नहीं बदले जा सकते हैं। सरकार ने विज्ञापन में न्यूनतम अर्हता अंक घोषित नहीं किए थे।
ठीक यही विवाद लखनऊ खंडपीठ के समक्ष भी है जिसमें लखनऊ पीठ ने पहले 21 जनवरी तक यथास्थिति का आदेश दिया था। सोमवार को फिर सुनवाई के बाद इस तिथि को 29 जनवरी तक बढ़ाया जा रहा है। इस जानकारी के बाद कोर्ट ने 31 जनवरी को सुनवाई की तिथि नियत करते हुए यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। इस दौरान प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करना है तथा याचीगण को उसका प्रतिउत्तर देना है।
कोर्ट की लखनऊ पीठ ने भी इसी प्रकरण में 29 जनवरी तक यथास्थिति का आदेश दिया है।
रीमा सिंह और 74 अन्य तथा दूसरी दर्जनों याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एके सिंह, एके यादव, सीमांत सिंह, सिद्धार्थ खरे आदि ने बहस की। अधिवक्ताओं का कहना था कि प्रदेश सरकार ने शिक्षक भर्ती परीक्षा होने के बाद सात जनवरी को न्यूनतम अंकों की अर्हता घोषित की। इसके अनुसार सामान्य वर्ग को 65 प्रतिशत और अन्य आरक्षित वर्गों के लिए 60 प्रतिशत अंक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अनिवार्य है। जबकि इससे पूर्व 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में न्यूनतम अर्हता 45 प्रतिशत और 40 प्रतिशत थी। परीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसके नियम नहीं बदले जा सकते हैं। सरकार ने विज्ञापन में न्यूनतम अर्हता अंक घोषित नहीं किए थे।
ठीक यही विवाद लखनऊ खंडपीठ के समक्ष भी है जिसमें लखनऊ पीठ ने पहले 21 जनवरी तक यथास्थिति का आदेश दिया था। सोमवार को फिर सुनवाई के बाद इस तिथि को 29 जनवरी तक बढ़ाया जा रहा है। इस जानकारी के बाद कोर्ट ने 31 जनवरी को सुनवाई की तिथि नियत करते हुए यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। इस दौरान प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करना है तथा याचीगण को उसका प्रतिउत्तर देना है।