बीटीसी की फर्जी मार्कशीट के साथ पकड़े जाने पर 2015 में भी जा चुका है जेल
पिछले दिनों पुलिस भर्ती में फर्जीबाड़े का खुलासा होने पर आया था चर्चा में
मंडल में होने वाली तकरीबन हर भर्ती में रहता है नागेंद्र का दखल
अमर उजाला ब्यूरो
मंझनपुर। शिक्षक भर्ती परीक्षा में पकड़ा गया सरगना नागेंद्र सिंह बेहद शातिर खिलाड़ी है। कौशाम्बी जिले के पिपरी इलाके में रहने वाले इस जालसाज को भर्तियों में फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड माना जाता है। इससे पहले भी वर्ष 2015 में जाली अंकपंत्रों के साथ पकड़े जाने पर नागेंद्र जेल की हवा खा चुका है। पुलिस भर्ती समेत कई अन्य मामलों में खेल कर चुका जालसाज करीब चार महीने से भूमिगत था।
परिषदीय विद्यालयों के लिए रविवार को आयोजित 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में साल्वर गैंग का भंडाफोड़ हुआ था। इस खेल में कौशाम्बी जिले के (पिपरी) गांजा निवासी नागेंद्र सिंह पुत्र रघुवर सिंह को गिरफ्तार किया गया था। सरगना नागेंद्र इस क्षेत्र में करीब एक दसक से सक्रिय है। इससे पहले वर्ष 2015 में उसका नाम तब सुर्खियों में आया जब मंझनपुर स्थित डायट परिसर से बुंदेलखंड की 34 फर्जी मार्कशीट के साथ कोतवाली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। छानबीन के दौरान पता चला था कि वह फर्जी अंकपत्रों के सहारे डायट कौशाम्बी में बीटीसी कराने का ठेका लेता है। बयान के आधार पर पुलिस ने डायट के एक लिपिक को भी उठा लिया था। हालांकि बाद में लिपिक को मुचलके पर छोड़ दिया गया था। लेकिन गजेंद्र को जेल की हवा खानी पड़ी थी। बताते हैं कि जेल से छूटने के बाद उसने अपना दायरा और बढ़ा दिया। इधर बीच गजेंद्र शिक्षा विभाग के साथ-साथ दूसरे अन्य विभागों की भर्तियों में दखल देना शुरू कर दिया। हाल ही में हुई पुलिस भर्ती 2015 में तो उसने पूरे मंडल में खेल किया था। सूत्रों की मानें तो पांच-पांच लाख रुपये में फर्जी मार्कशीट बेचकर उसने पुलिस में भर्ती कराने का ठेका लिया था। वेरीफिकेशन के दौरान कौशाम्बी के 32 अभ्यर्थी फर्जी निकले। इस मामले में एसपी ने जालसाज अभ्यर्थियों के खिलाफ नगर कोतवाली में मामला दर्ज करा दिया। मुकदमे की विवेचना चल रही है। सूत्रों की मानें तो जालसाजी में फंसे अभ्यर्थियों ने अपने बयान में ऐसा कुछ बताया भी है। हालांकि अभी तक उसका नाम प्रकाश में नहीं लाया गया है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस भर्ती में फंसे अभ्यर्थी रुपया वापसी का उस पर दबाव बना रहे थे। इस वजह से वह महीनों से छिप-छिपकर रह रहा था। रविवार को शिक्षक भर्ती में पकड़े जाने के बाद सोमवार को उसे लेकर दिनभर जिले के शिक्षा गलियारे में चर्चा रही।
पिछले दिनों पुलिस भर्ती में फर्जीबाड़े का खुलासा होने पर आया था चर्चा में
मंडल में होने वाली तकरीबन हर भर्ती में रहता है नागेंद्र का दखल
अमर उजाला ब्यूरो
मंझनपुर। शिक्षक भर्ती परीक्षा में पकड़ा गया सरगना नागेंद्र सिंह बेहद शातिर खिलाड़ी है। कौशाम्बी जिले के पिपरी इलाके में रहने वाले इस जालसाज को भर्तियों में फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड माना जाता है। इससे पहले भी वर्ष 2015 में जाली अंकपंत्रों के साथ पकड़े जाने पर नागेंद्र जेल की हवा खा चुका है। पुलिस भर्ती समेत कई अन्य मामलों में खेल कर चुका जालसाज करीब चार महीने से भूमिगत था।
परिषदीय विद्यालयों के लिए रविवार को आयोजित 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में साल्वर गैंग का भंडाफोड़ हुआ था। इस खेल में कौशाम्बी जिले के (पिपरी) गांजा निवासी नागेंद्र सिंह पुत्र रघुवर सिंह को गिरफ्तार किया गया था। सरगना नागेंद्र इस क्षेत्र में करीब एक दसक से सक्रिय है। इससे पहले वर्ष 2015 में उसका नाम तब सुर्खियों में आया जब मंझनपुर स्थित डायट परिसर से बुंदेलखंड की 34 फर्जी मार्कशीट के साथ कोतवाली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। छानबीन के दौरान पता चला था कि वह फर्जी अंकपत्रों के सहारे डायट कौशाम्बी में बीटीसी कराने का ठेका लेता है। बयान के आधार पर पुलिस ने डायट के एक लिपिक को भी उठा लिया था। हालांकि बाद में लिपिक को मुचलके पर छोड़ दिया गया था। लेकिन गजेंद्र को जेल की हवा खानी पड़ी थी। बताते हैं कि जेल से छूटने के बाद उसने अपना दायरा और बढ़ा दिया। इधर बीच गजेंद्र शिक्षा विभाग के साथ-साथ दूसरे अन्य विभागों की भर्तियों में दखल देना शुरू कर दिया। हाल ही में हुई पुलिस भर्ती 2015 में तो उसने पूरे मंडल में खेल किया था। सूत्रों की मानें तो पांच-पांच लाख रुपये में फर्जी मार्कशीट बेचकर उसने पुलिस में भर्ती कराने का ठेका लिया था। वेरीफिकेशन के दौरान कौशाम्बी के 32 अभ्यर्थी फर्जी निकले। इस मामले में एसपी ने जालसाज अभ्यर्थियों के खिलाफ नगर कोतवाली में मामला दर्ज करा दिया। मुकदमे की विवेचना चल रही है। सूत्रों की मानें तो जालसाजी में फंसे अभ्यर्थियों ने अपने बयान में ऐसा कुछ बताया भी है। हालांकि अभी तक उसका नाम प्रकाश में नहीं लाया गया है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस भर्ती में फंसे अभ्यर्थी रुपया वापसी का उस पर दबाव बना रहे थे। इस वजह से वह महीनों से छिप-छिपकर रह रहा था। रविवार को शिक्षक भर्ती में पकड़े जाने के बाद सोमवार को उसे लेकर दिनभर जिले के शिक्षा गलियारे में चर्चा रही।