युवा हल्लाबोल: देश के कोने-कोने से बेरोजगार युवक-युवतियां सरकार को देंगे सलाह

नौकरी तो मिली नहीं, लेकिन अब देश के कोने-कोने से बेरोजगार युवक-युवतियां सरकार को यह सलाह देने आ रहे हैं कि मात्र नौ महीने में कोई परीक्षा कैसे संचालित की जाती है।
इसके लिए युवा हल्लाबोल संगठन ने एक 'मॉडल कोड' तैयार किया है। इसमें किसी भी नौकरी के विज्ञापन से लेकर परीक्षा आयोजित करना, नतीजा और ज्वाइनिंग तक की प्रक्रिया बताई गई है। पेपर लीक न हो, इस बाबत भी ठोस योजना तैयार की गई है। युवा-हल्लाबोल के नेतृत्वकर्ताओं में शामिल अनुपम बताते हैं, हम बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ शोर नहीं मचा रहे, बल्कि समस्या के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव भी दे रहे हैं।
हमने रोज़गार के अवसर और ईमानदार परीक्षा प्रणाली के अलावा एक 'मॉडल कोड' भी बनाया है।इसमें सरलता से यह समझाया गया है कि कोई भी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो सकती है।पिछले कुछ सालों में देखने को मिला है कि नौकरी की परीक्षाएं न केवल देरी से हो रही हैं, बल्कि उनकी पारदर्शिता भी खत्म होती जा रही है।एक परीक्षा जब तक पूरी होती है तो उससे पहले उसका पर्चा बाजार में घूम जाता है। नतीजा, सालों से परीक्षा की तैयारी में जुटे युवा निराश होकर बैठ जाते हैं।

देश में 24 लाख सरकारी नौकरियों के पद खाली पड़े हैं, लेकिन युवा रोजगार के अभाव में हताश हो रहा है। आत्महत्या कर रहा है या फिर औने-पौने दामों पर अपना श्रम बेच किसी तरह घुट-घुट कर जीने के लिए मजबूर है। युवा-हल्लाबोल आंदोलन के बैनर तले देशभर में रोजगार हासिल करने की रणभेरी बज चुकी है। उसी के शंखनाद के लिए 27 जनवरी को दिल्ली के कान्स्टीट्यूशन क्लब में देश्भर के युवा संगठन एकजुट होकर हल्ला बोलेंगे।

युवाओं को छला जा रहा है: युवा हल्लाबोल  

परिक्षाओं की हालत यह है कि एसएससी, यूपीएससी, रेलवे भर्ती, शिक्षक, सिपाही भर्ती से लेकर अलग अलग राज्यों के चयन आयोगों तक हर जगह बेरोज़गार युवाओं को छला जा रहा है।अनुपम के मुताबिक़, सरकारी विभागों में करीब 24 लाख पद खाली हैं, लेकिन नौकरियां निकालने की बजाए सरकारें पदों को ख़त्म कर रही हैं। दूसरी तरफ नौकरी का विज्ञापन आ भी जाए तो परीक्षा करवाने में ही सालों साल लगा दिए जाते हैं।

अगर परीक्षा हो तो पेपर लीक की घटनाएं इतनी आम हो गई हैं कि मीडिया में इनकी ख़बर भी नहीं बनती।हर भर्ती परीक्षा में छात्रों को नेताओं, अफ़सरों, मीडियावालों और वकीलों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।क़िस्मत से परीक्षा होकर यदि परिणाम आ जाए तो फिर नियुक्ति देने में भी बेमतलब देरी की जाती है।असल बात ये है कि जॉब मांगने वालों को सरकार रोजगार देने के बजाए लाठी डंडे और तरह-तरह के जुमले देती है।

जॉब चाहिए, जुमला नहीं.....

ऐसे में युवा-हल्लाबोल आंदोलन ने ऐलान कर दिया है कि युवाओं को 'जॉब चाहिए, जुमला नहीं।यूथ-समिट में एसएससी, यूपीएससी, डीएसएसएसबी, रेलवे, शिक्षक भर्ती से लेकर पुलिस भर्ती तक अभ्यर्थियों के कई समूह शामिल होंगे।यूथ फॉर स्वराज, युवा शक्ति संगठन, बेरोज़गार सेना, मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन, सुराज्य सेना जैसे कई संगठन भी युवा-हल्लाबोल के बैनर तले एकजुट हो संघर्ष के लिए कमर कस चुके हैं।