प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक शिक्षकों के पदों पर भर्ती
मामले में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार से स्पष्टीकरण तलब किया
है।
अदालत ने राज्य सरकार से यह सफाई तब मांगी जब सोमवार को परीक्षा के अर्हता अंक तय करे जाने के सरकारी आदेश की मूल पत्रावली का अवलोकन किया गया। अदालत ने इस फाईल में एक पन्ने पर दूसरा पन्ना चिपका पाए जाने पर हैरत जताते सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और कहा है कि न्यायालय इस फाइल के संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार सकता है। मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई के दौरान
सोमवार को जब सरकार द्वारा परीक्षा के अर्हता अंक तय करे जाने की मूल फाईल
पेश की गई तो अदालत ने पाया कि फाइल के एक पन्ने को दूसरे पन्ने के ऊपर
चिपकाया गया है। पाया गया कि नीचे चिपके पन्ने पर कुछ नोटिंग है जो पढ़ने
में नहीं आ रही थी। अदालत ने जब फाईल में छेड़छाड़ करे जाने का संदेह जताते
हुए राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ताओं से इस बाबत पूछा तो उन्होंने
फाईल में किसी प्रकार की छेड़छाड़ करे जाने से इंकार किया।
अधिवक्ताओं की इस सफाई पर अदालत ने कहा कि सरकार को एक मौका दिया जाता है कि अगली सुनवाई पर इसका स्पष्टीकरण दिया जाए और उसी दिन अदालत इस फाइल के सिलसिले में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार कर सकती है।
अदालत ने राज्य सरकार से यह सफाई तब मांगी जब सोमवार को परीक्षा के अर्हता अंक तय करे जाने के सरकारी आदेश की मूल पत्रावली का अवलोकन किया गया। अदालत ने इस फाईल में एक पन्ने पर दूसरा पन्ना चिपका पाए जाने पर हैरत जताते सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और कहा है कि न्यायालय इस फाइल के संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार सकता है। मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
अधिवक्ताओं की इस सफाई पर अदालत ने कहा कि सरकार को एक मौका दिया जाता है कि अगली सुनवाई पर इसका स्पष्टीकरण दिया जाए और उसी दिन अदालत इस फाइल के सिलसिले में फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी विचार कर सकती है।