संस्कृत विवि ने एसआइटी को सौंपी गोरखपुर, बस्ती व फतेहपुर जनपद की सत्यापन रिपोर्ट, 200 शिक्षकों की डिग्री फर्जी

वाराणसी, जेएनएन। परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी की जांच कर रही एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय तीन और जिलों की सत्यापन रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं गोरखपुर, बस्ती व फतेहपुर जनपद के सत्यापन रिपोर्ट में करीब 50 और अध्यापकों के प्रमाणपत्र फर्जी मिले हैं।
इससे पहले 32 जिलों के अंकपत्रों के सत्यापन में करीब डेढ़ सौ अध्यापकों के प्रमाणपत्र जाली मिले थे। इस प्रकार बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों के करीब 200 शिक्षकों की डिग्री फर्जी मिल चुकी है। 
एसआइटी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल कर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों के अंकपत्रों का दोबारा सत्यापन हो रहा है। विश्वविद्यालय 65 में 32 जिलों की रिपोर्ट डायटों को भेज चुकी है। एसआइटी ने कुलपति से दस दिनों के भीतर शेष सभी जिलों की सत्यापन रिपोर्ट मांगी है। इसे देखते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने गोपनीय विभाग से सात नवंबर तक सभी जिलों के अंकपत्रों का सत्यापन रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। हालांकि सात नवंबर तक 30 जिलों के अंकपत्रों का सत्यापन करना आसान नहीं हैं। कारण अब अंकपत्रों के सत्यापन की व्यवस्था दोहरी कर दी गई है। कंप्यूटर सेक्शन से सत्यापन करने के बाद टेबुलेशन रजिस्टर से मिलान किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है। 
बीएड का क्रास लिस्ट तलब
एसआइटी ने विश्वविद्यालय से बीएड का क्रास लिस्ट तलब किया गया। एसआइटी ने बीएड का परीक्षा रिकार्ड वर्ष 2002 से वर्ष 2014 तक का मांगा है। जबकि जांच वर्ष 2004 से 14 तक के परीक्षा रिकार्डों का कर रही है।
चार दिनों तक जांच करने के बाद रवाना

इंस्पेक्टर वीके सिंह के नेतृत्व में दो सदस्यीय एसआइटी की टीम शुक्रवार को लखनऊ रवाना हो गई। कर्मचारियों के आंदोलन के चलते चौथे दिन शुक्रवार को एसआइटी की टीम के विश्वविद्यालय से बैरंग वापस लौटना पड़ा। हालांकि चार दिनों में एसआइटी की टीम कुलपति, परीक्षा नियंत्रक, गोपनीय विभाग के कर्मचारियों मिलकर तमाम जानकारी एकत्र की है।