उत्तर प्रदेश के 3 हजार सहायताप्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक और
शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लग गई है। वहीं यदि भर्तियां चल
रही हों तो उन्हें भी स्थगित करने के आदेश दिये गये हैं। बेसिक शिक्षा
विभाग के विशेष सचिव देव प्रताप सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया
है। अभी सरकार इन स्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की
नियमावली में परिवर्तन कर रही है।
संशोधन होने तक रोक लगाने के निर्देश दिये गये हैं। वहीं कोई नई भर्ती शुरू न करने के निर्देश भी दिये गये हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रबंधतंत्र द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों में भ्रष्टाचार व प्रक्रियाजन्य अनियमितताओं की गंभीर शिकायते हैं। इसके चलते योग्य शिक्षकों की भर्तियां नहीं हो पाती। इसके चलते शिक्षकों की भर्ती के नये मानक बनाये जा रहे हैं।
इन स्कूलों में लम्बे समय से भर्तियां नहीं हुई हैं। सपा सरकार में लगभग 3 हजार पदों को विज्ञापित किया गया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही भर्तियों पर रोक लगा दी। 2018 में यह रोक हटाई भी गई लेकिन भर्तियों पर अघोषित रोक लगी रही। इसी वर्ष इन स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पद भी सरकार ने तय कर दिये हैं। राज्य सरकार ने इन जूनियर हाईस्कूलों में लिपिक व चपरासी का पद खत्म कर दिया है। जो भी इस पद पर कार्यरत है उसकी सेवानिवृत्ति के बाद इस पद को खत्म कर दिया जाए। वहीं अब इन स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम 3 पद ही होंगे 100 से ज्यादा बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद मान्य होगा।
राज्य सरकार सहायताप्राप्त स्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देती है। इस समय प्रदेश में लगभग 3300 सहायताप्राप्त जूनियर हाईस्कूल हैं।
संशोधन होने तक रोक लगाने के निर्देश दिये गये हैं। वहीं कोई नई भर्ती शुरू न करने के निर्देश भी दिये गये हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रबंधतंत्र द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों में भ्रष्टाचार व प्रक्रियाजन्य अनियमितताओं की गंभीर शिकायते हैं। इसके चलते योग्य शिक्षकों की भर्तियां नहीं हो पाती। इसके चलते शिक्षकों की भर्ती के नये मानक बनाये जा रहे हैं।
इन स्कूलों में लम्बे समय से भर्तियां नहीं हुई हैं। सपा सरकार में लगभग 3 हजार पदों को विज्ञापित किया गया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही भर्तियों पर रोक लगा दी। 2018 में यह रोक हटाई भी गई लेकिन भर्तियों पर अघोषित रोक लगी रही। इसी वर्ष इन स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पद भी सरकार ने तय कर दिये हैं। राज्य सरकार ने इन जूनियर हाईस्कूलों में लिपिक व चपरासी का पद खत्म कर दिया है। जो भी इस पद पर कार्यरत है उसकी सेवानिवृत्ति के बाद इस पद को खत्म कर दिया जाए। वहीं अब इन स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम 3 पद ही होंगे 100 से ज्यादा बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद मान्य होगा।
राज्य सरकार सहायताप्राप्त स्कूलों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन देती है। इस समय प्रदेश में लगभग 3300 सहायताप्राप्त जूनियर हाईस्कूल हैं।