सवा लाख शिक्षामित्रों के हाथ से फिसला मौका, नहीं मिली नौकरी

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों के हाथ से नौकरी के दो अवसर निकलने के बावजूद 1.30 लाख शिक्षामित्र सवा दो साल से ठोकरें खा रहे हैं। 10 हजार रुपये प्रतिमाह पर किसी तरह गुजारा कर रहे शिक्षामित्रों के लिए एक-एक दिन काटना मुश्किल हो रहा है। दो अवसर पूरे होने के कारण 22 दिसंबर को प्रस्तावित टीईटी के लिए जो ऑनलाइन आवेदन लिए गए उसमें शिक्षामित्रों से अलग से कोई सूचना नहीं ली गई है।

इससे पहले 2017 व 2018 की टीईटी में शिक्षामित्रों से अलग से सूचना ली गई थी क्योंकि उसी के आधार पर उन्हें भर्ती में वेटेज दिया जाना था। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बगैर टीईटी सहायक अध्यापक पद पर 1,37,517 शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त करते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि दो भर्तियों में इन्हें अनुभव का लाभ देकर अवसर दिया जाए। उसके छह महीने बाद 17 जनवरी 2018 को सरकार ने 68500 शिक्षकों की भर्ती के लिए पहली बार सहायक अध्यापक की लिखित परीक्षा का आदेश जारी किया।
27 मई को आयोजित लिखित परीक्षा में तकरीबन 7200 शिक्षामित्र पास हुए थे। जिन्हें 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मौका मिला। उसके बाद 6 जनवरी 2019 को 69000 शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा कराई गई लेकिन कटऑफ अंक को लेकर विवाद हो गया और परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय 11 महीने में अंतिम उत्तरकुंजी जारी नहीं कर सका है। इस तरह से शिक्षामित्रों के हाथों से दो मौके तो चले गए लेकिन नौकरी तकरीबन सात हजार शिक्षामित्रों को ही मिल सकी है। बचे हुए 1.30 लाख शिक्षामित्र पक्की नौकरी की आस में दिन काट रहे हैं।
  यूपी में दो दशक पहले लागू हुई थी योजना

’    26 मई 1999: यूपी में शिक्षामित्र योजना लागू हुई
’    अक्तूबर 2005: मानदेय 2250 रुपये से बढ़कर 2400 हुआ
’    15 जून 2007: मानदेय 2400 रुपये से बढ़कर 3000
’    11 जुलाई 2011: शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण का आदेश
’    23 जुलाई 2012: सहायक अध्यापक पद पर समायोजन का निर्णय
’    19 जून 2014: प्रथम बैच के शिक्षामित्रों के समायोजन का आदेश
’    06 जुलाई 2015: सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन पर रोक लगाई
’    12 सितंबर 2015: हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त किया
’    25 जुलाई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को गैरकानूनी ठहराया