कोरोना संक्रमण काल में ग्राम्य विकास विभाग ने बीते माह 21 खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) का स्थानांतरण कर दिया गया, जबकि खाली पदों का अधियाचन न भेजने, 336 खाली पदों पर प्रतिनियुक्ति से अन्य विभागों के अधिकारियों को प्रभार देने का मामला तूल पकड़ चुका है।
प्रतिनियुक्ति निरस्त कराने व नई भर्ती का अधियाचन जारी कराने को लेकर प्रतियोगी छात्र हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
शासनादेश संख्या - 391/68-5-2020 दिनाँक 26.05.2020 द्वारा ऑनलाइन आवेदन भरने की अंतिम तिथि 28.05.2020 रात्रि 12 बजे तक बढ़ा दी गयी है.
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प्रतियोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, अभी उस दिशा में उचित निर्णय नहीं हुआ। इससे नाराज प्रतियोगी छात्र अब कोर्ट की शरण लेंगे।
प्रतियोगी छात्र अवनीश पांडेय का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बीच स्थानांतरण करने पर रोक है। इसके बावजूद ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने 30 अप्रैल को 21 बीडीओ को स्थानांतरित कर दिया। इसी दिन अधिकारियों से बीडीओ के पद का काम प्रतिनियुक्ति के आधार पर कराने का आदेश जारी किया गया। वहीं, सात फरवरी 2020 को शासन ने स्थानांतरण में पारदर्शिता लाने का नियम बनाया। इसमें बीडीओ का स्थानांतरण मेरिट के आधार पर मुख्य सचिव द्वारा करने का नियम बनाया गया था। लेकिन, उसकी भी अनदेखी की गई है। ऐसी स्थिति में न्याय के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी। वहीं, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि मौजूदा समय उप्र लोकसेवा आयोग पीसीएस 2020 प्री के लिए आवेदन ले रहा है। इसके बावजूद बीडीओ के 336 पदों खाली पदों का अधियाचन न भेजना साबित करता है कि पूरा मामला भ्रष्टाचार में लिप्त है।
प्रतिनियुक्ति निरस्त कराने व नई भर्ती का अधियाचन जारी कराने को लेकर प्रतियोगी छात्र हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रतियोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, अभी उस दिशा में उचित निर्णय नहीं हुआ। इससे नाराज प्रतियोगी छात्र अब कोर्ट की शरण लेंगे।
प्रतियोगी छात्र अवनीश पांडेय का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बीच स्थानांतरण करने पर रोक है। इसके बावजूद ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने 30 अप्रैल को 21 बीडीओ को स्थानांतरित कर दिया। इसी दिन अधिकारियों से बीडीओ के पद का काम प्रतिनियुक्ति के आधार पर कराने का आदेश जारी किया गया। वहीं, सात फरवरी 2020 को शासन ने स्थानांतरण में पारदर्शिता लाने का नियम बनाया। इसमें बीडीओ का स्थानांतरण मेरिट के आधार पर मुख्य सचिव द्वारा करने का नियम बनाया गया था। लेकिन, उसकी भी अनदेखी की गई है। ऐसी स्थिति में न्याय के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की जाएगी। वहीं, भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि मौजूदा समय उप्र लोकसेवा आयोग पीसीएस 2020 प्री के लिए आवेदन ले रहा है। इसके बावजूद बीडीओ के 336 पदों खाली पदों का अधियाचन न भेजना साबित करता है कि पूरा मामला भ्रष्टाचार में लिप्त है।