69000 शिक्षक भर्ती केस में अब उत्तरकुंजी विवाद पर लग सकता है विराम, सरकार व परीक्षा संस्था को बड़ी राहत

प्रयागराज : भर्ती परीक्षाओं में पूछे गए सवालों के जवाब का विवाद नया नहीं है, बल्कि हर परीक्षा के बाद चंद अंकों से अनुत्तीर्ण अभ्यर्थी प्रश्नों के जवाब को चुनौती देते आ रहे हैं। 69000 शिक्षक भर्ती में तो काउंसिलिंग व नियुक्ति सवाल जवाब में फंसकर रह गई है। ताज्जुब यह है कि हाईकोर्ट की दो जजों की पीठ ने मामले में स्पष्ट आदेश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट प्रश्नों के विवाद में परीक्षा संस्था के विशेषज्ञों की राय अंतिम मानता है। इसके बाद भी अभ्यíथयों के एक वर्ग ने शीर्ष कोर्ट में विशेष अपील दाखिल कर दिया। इस अपील पर शीर्ष कोर्ट ने वही किया जिसकी उम्मीद अधिकांश अभ्यर्थी लगाए थे।



ऐसा भी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी की सुनवाई करते हुए पहली बार टिप्पणी की, इसके पहले भी कई बार शीर्ष कोर्ट ने ऐसा ही रुख अख्तियार किया है। एक परीक्षा के अभ्यíथयों ने ओएमआर शीट पर ग़लत अनुक्रमांक व रजिस्ट्रेशन नंबर में सुधार के लिए अपील की थी, तब कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि जो अभ्यर्थी अपना अनुक्रमांक व पंजीकरण नंबर नहीं भर सकता उसे शिक्षक बनने का अधिकार नहीं है।

इसी तरह से शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद किया, अलग-अलग कई याचिकाएं हुईं लेकिन कोर्ट ने बड़ी राहत नहीं दी। याचिका करने वाले अभ्यíथयों ने शायद इस पर गौर ही नहीं किया कि दो जजों की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ही अनुपालन किया है।

सरकार व परीक्षा संस्था को बड़ी राहत

69000 शिक्षक भर्ती में शीर्ष कोर्ट ने प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सरकार ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को दो जजों की पीठ में चुनौती दी थी। उसमें एकल पीठ का फैसला पलट गया था, सरकार ने परीक्षा संस्था पर जो भरोसा करके कदम बढ़ाया वह सही साबित हुआ। शीर्ष कोर्ट ने एक बार फिर सरकार व परीक्षा संस्था के निर्णय पर फिर मुहर लगा दिया है।