परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के लिए शिक्षामित्रों व एडेड माध्यमिक कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों के लिए अध्यापक बनने की दौड़ एक जैसी है। संयोग से दोनों संवर्गो को नियमित होने के लिए अवसर देने का आदेश भी शीर्ष कोर्ट का है, लेकिन दोनों भर्तियों में कार्यरत प्रतियोगियों को अधिभार देने का नियम बिल्कुल अलग है। एक ओर
शिक्षामित्रों को वेटेज मिलने से उनका चयन सुनिश्चित हो गया, वहीं दूसरी ओर तदर्थ शिक्षकों को अधिभार जरूर मिल रहा है, लेकिन तय पद पर नियुक्ति की गारंटी नहीं है। चयन नियमों से तदर्थ शिक्षक बेहद निराश हैं।शीर्ष कोर्ट ने जुलाई 2017 में प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर 1,37,000 शिक्षामित्रों का समायोजन रद किया था। कोर्ट ने उन्हें आयु सीमा में छूट और वेटेज देने के साथ ही दो भर्तियों में शामिल होने का अवसर दिया। 68,500 व 69,000 शिक्षक भर्ती उसी आदेश पर कराई गई। दोनों की लिखित परीक्षा में प्रतियोगियों को समान अवसर मिला, यानी परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का जवाब सही होने पर सबको समान अंक मिलने थे। लिखित परीक्षा में मिले अंकों का 60 फीसद और एकेडमिक के 40 प्रतिशत अंकों को जोड़कर मेरिट बनी। इसके बाद शिक्षामित्रों को 2.5 अंक प्रतिवर्ष व अधिकतम दस वर्ष की सेवा पर 25 अंक दिए गए। यह अधिभार शिक्षामित्रों के शिक्षक पद पर चयन की गारंटी बना। बशर्ते शिक्षामित्र लिखित परीक्षा उत्तीर्ण जरूर हों।
चयन बोर्ड भी शीर्ष कोर्ट में संजय सिंह केस पर आए आदेश पर तदर्थ शिक्षकों को अधिभार दे रहा है। तदर्थ शिक्षक उम्मीद लगाए थे कि उन्हें भी शिक्षामित्रों की तरह वेटेज मिलेगा। चयन बोर्ड ने 1.75 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 35 अंक देने का निर्णय किया है, लेकिन प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक की लिखित परीक्षा में तदर्थ शिक्षकों का प्रति प्रश्न मूल्यांकन घटा दिया गया है।