उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को परखने के लिए आने वाले दिनों में अब क्यूएस (क्वाकरेल्ली सायमोंड्स) और टाइम्स जैसी रैकिंग का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।
देश में इसी तर्ज पर अब उच्च शिक्षण संस्थानों के विश्वस्तरीय रैकिंग की एक नई और भरोसेमंद व्यवस्था बनेगी। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि, इसके आकलन का फामरूला भारतीय शिक्षा पद्धति के मापदंडों के अनुरूप होगा। वैसे भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद देश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों की तैयारी शुरू हो गई है। फिलहाल उच्च शिक्षण संस्थानों की वैश्विक रैकिंग के लिए क्यूएस और टाइम्स जैसी दो ही एजेंसियां हैं। दोनों ही बिटिश मूल की हैं।क्यूएस और टाइम्स जैसी रैकिंग करने वाली एजेंसियों पर ‘धारणा’ के आधार पर भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों का आकलन करने का आरोप लगाया गया था। ये आरोप कोई और नहीं, बल्कि शिक्षा मंत्रलय और उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से लगाए गए थे। यही वजह थी कि 2020 की टाइम्स रैकिंग में आइआइटी बांबे, दिल्ली, मद्रास, कानपुर और खड़गपुर जैसे देश के सात प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों ने विरोध स्वरूप इस रैकिंग में शामिल होने से इन्कार कर दिया।
जेएनयू में चार वर्ष का होगा स्नातक पाठ्यक्रम!
जासं, नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय स्नातक पाठयक्रम की समयावधि चार वर्ष करने पर बढ़ रहा है। गुरुवार को विवि की अकादमिक परिषद की बैठक में चर्चा हुई। नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए कमेटी गठित करने व स्नातकोत्तर की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से कराने पर मंथन हुआ।