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परिषदीय स्कूल की इस शिक्षिका ने मास्क की छाया में जलाए रखी बेसिक शिक्षा की लौ

 ‘पढ़-लिखकर एक दिन मैं भी नाम बहुत कमाऊंगा, होगा गर्व तुङो उस दिन जब देश के काम मैं आऊंगा..।’

कोरोना काल में इन पंक्तियों के भाव को मूर्त रूप देने के लिए रोज अपने घर से करीब 25 किलोमीटर का सफर तय करती रहीं वंदना श्रीवास्तव। इस सफर में वह कोरोना की काली छाया से बच्चों को बचाने के लिए मास्क व सैनिटाइजर सरीखे अस्त्र भी साथ रखती थीं। प्रत्येक बच्चे को मास्क बांटने के साथ हाथ धुलने की सीख देकर उन्होंने बच्चों की पढ़ाई को रोकने नहीं दिया। मई माह से शुरू हुआ सफर अब तक जारी है।



अंदावा प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका वंदना श्रीवास्तव के साथ साधना शुक्ला और सविता भी कदम से कदम मिलाकर नई पौध को अक्षर ज्ञान दे रही हैं। साथ ही अभिभावकों को भी जागरूक कर रही हैं। उनकी बदौलत विद्यालय में 381 अभिभावकों ने अपने बच्चों का नामांकन कराया। बच्चों को पठन-पाठन के लिए शैक्षिक सामग्री भी उपलब्ध करा रही हैं।

मॉडल के रूप में चयनित है अंदावा प्राथमिक विद्यालय : अल्लापुर निवासी वंदना श्रीवास्तव का 1999 में बेसिक शिक्षा विभाग में चयन हुआ। 2015 में प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले में दो मॉडल स्कूल बनाने की घोषणा की। प्रयागराज में जिन दो विद्यालयों को मॉडल स्कूल बनाया गया, उसमें एक अंदावा प्राथमिक विद्यालय है। यह अंग्रेजी माध्यम का पहला विद्यालय बना। 2015 में वंदना को इस विद्यालय के संचालन की जिम्मेदारी दी गई। इसके पहले वह 2007 से बहादुरपुर ब्लॉक के अमरसापुर जूनियर हाईस्कूल में तैनात रहीं।

विद्यालय में हैं सभी आधुनिक सुविधाएं : वंदना के प्रयास से विद्यालय में सीसीटीवी, इनवर्टर, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, आरओ, सोलर सिस्टम, प्रत्येक कमरे में टाइल्स और सभी 381 बच्चों के बैठने के लिए डेस्क व बेंच उपलब्ध हुआ है।

बच्चों को पढ़ातीं वंदना श्रीवास्तव ’सौजन्य: स्वयं

कोरोना काल में वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा 200 बच्चों को

वंदना बताती हैं कि 19 नवंबर 2019 में विद्यालय प्रबंधन समिति की ओर से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया। लॉकडाउन लगने पर 26 मार्च से बच्चों को न केवल वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा। उन्होंने 200 बच्चों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़कर उनकी पढ़ाई में बाधा नहीं आने दी। समय-समय पर शैक्षिक सामग्री दी। अभिभावकों और बच्चों को मास्क भी वितरित किया।

रेडियो पर 38 कहानियां हो चुकी हैं प्रसारित

वंदना द्वारा लिखी अब तक 38 कहानियां रेडियो पर प्रसारित हो चुकी हैं। उनकी प्रत्येक कहानी महिला शिक्षा संरक्षण और अधिकारों से जुड़ी है।

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