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नौकरी में भर्ती की उम्र 30 वर्ष करने की सिफारिश, सरकारी नौकरी पाने के बाद दूसरी नौकरी के लिए केवल दो मौके

 लखनऊ। प्रदेश की सरकारी सेवाओं में भर्ती की अधिकतम उम्र में फिर बदलाव पर चर्चा शुरू हो गई है। इसे 40 से घटाकर 30 वर्ष किया जा सकता है। इसके अलावा एक बार सरकारी सेवा में आने के बाद दूसरी सरकारी सेवा के लिए आवेदन के अवसर भी सीमित करने की योजना है। विभागीय कर्मियों की संख्या का युक्तिकरण,

प्रभावशीलता व दक्षता में सुधार के लिए गठित समिति ने सरकारी सेवाओं में नियुक्ति के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा सामान्य वर्ग के लिए 40 से घटाकर 30 और आरक्षित वर्ग के लिए 35 बर्ष किए जाने की सिफारिश की है। आरक्षित वर्ग के लिए यह सीमा 45 वर्ष है। सपा शासनकाल में छह जून, 2012 को अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई थी। 35 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा पहले 32 वर्ष थी।




सरकारी नौकरी पाने के बाद दूसरी नौकरी के लिए केवल दो मौके
सरकारी सेवा में भर्ती के बाद कार्मिक को अन्य सेवाओं की परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम 2 अवसर देने का सुझाव दिया गया है। सेवा में चयन होने के बाद यदि कोई अभ्यर्थी अन्य परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करता है तो उसे पहली बार कार्यभार ग्रहण करने के लिए एक वर्ष का वेतन रहित अवकाश स्वीकृत करने की सिफारिश की गई है।

परिवर्तनीय वार्षिक वेतन वृद्धि का फॉर्मूला आजमाएं
अच्छे व मेहनती कार्मिकों का मनोबल बनाए रखने व काम में रुचि न लेने वाले को हतोत्साहित करने
का हवाला देते हुए 'परिवर्तनीय' वार्षिक वेतन वृद्धि दिए जाने की संस्तुति की गई है।

सेवा की कसौटी 'संतोषजनक' से 'बहुत अच्छा' हो 
प्रदेश में विभागाध्यक्ष व अपर विभागाध्यक्ष के पदों को छोड़कर विभिन्‍न संवर्ग के पदों पर संबंधित नियमावली में पदोन्‍नति व एसीपी के लिए संतोषजनक सेवा होना अनिवार्य शर्त है। समिति ने पदोन्नति व एसीपी के लिए संतोषजनक सेवा के स्थान पर बहुत अच्छा मापदंड तय करने को कहा है। इसी तरह विभागों व कार्मिकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक वर्ष मुख्यमंत्री पुरस्कार योजना शुरू करने को कहा गया है। यह उत्कृष्ट प्रदर्शन व नवाचार के लिए व्यक्तिगत व विभाग दोनों श्रेणियों में देने को संस्तुति है।

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