प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा पीसीएस का भले ही पाठ्यक्रम बदला है लेकिन, प्रतियोगियों की पसंद नहीं बदली है। वे अब भी मानविकी विषयों को लेकर ही चयनित हो रहे हैं। अहम ये कि मेडिकल व इंजीनियरिंग के
छात्र-छात्रएं भी इन्हीं विषयों को तैयारी करते आ रहे हैं। पीसीएस 2020 में ही पहले पांच में चयनित चार प्रतियोगी बीटेक किए हैं। वहीं, छठवें स्थान पर आए प्रतियोगी ने देवभाषा संस्कृत में पीएचडी कर रखा है। साफ है कि विषय कोई भी हो, केवल उसमें मजबूत पकड़ और निरंतर तैयारी रही है तो संबंधित का चयन भी हो गया है। पीसीएस की टॉप टेन इस बात की गवाही दे रही है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने पीसीएस में संघ लोकसेवा आयोग की तर्ज पर पाठ्यक्रम में बदलाव किया है। ऐसा भी नहीं है कि आयोग में बदलाव पहली बार या फिर लंबे अरसे बाद हुआ है, बल्कि ऐसे कदम निरंतर उठाए जाते रहे हैं। उन बदलावों को जिन प्रतियोगियों ने ठीक से आत्मसात किया वे दौड़ में शामिल रहे, जबकि बाकी पिछड़ते हुए इतना पीछे चले गए कि इसे छोड़ दिया। प्रतियोगी अवनीश पांडेय का कहना है कि बदलाव से सीबीएसई बोर्ड से पढ़े युवाओं को फायदा हो रहा है, वहीं अंग्रेजी उनके चयन में बाधा बन रही है।
असल में, सीबीएसई बोर्ड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू है। सभी को समान अवसर देने के लिए प्रदेश के यूपी बोर्ड में भी यही पाठ्यक्रम लागू किया गया है। कई विषयों में लागू हो चुका है तो कुछ में इसी सत्र से लागू हो रहा है। इतना ही नहीं यूपी बोर्ड में अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। यानी धरातल पर सब बराबर है, जो चयन या फिर इससे दूर हैं उनकी मेहनत व तैयारी करने के तरीके में ही अंतर रह गया है। पीसीएस लोक प्रशासन, विधि, दर्शन शास्त्र, समाजशास्त्र, संस्कृत व इतिहास जैसे विषय अभी प्रतियोगियों की पसंद बने हैं।
यूपीपीएससी में ऐसे हुए बदलाव
’1995 तक सिविल सेवा की तरह अंग्रेजी पास करना अनिवार्य था। 1996 से अंग्रेजी को खत्म किया गया।
’1997 तक विषयों की परीक्षा में स्केलिंग नहीं होती थी। 1998 से स्केलिंग लागू हुई।
’2001 तक सिविल सेवा की तरह दो विषय के चार प्रश्नपत्र 800 अंक के होते थे। सामान्य अध्ययन के दो प्रश्न पत्र 400 अंक के होते थे।
’प्रारंभिक परीक्षा का अर्हता मानक 12 से बढ़ाकर 18 गुना किया गया।
’2002 से सामान्य अध्ययन का एक प्रश्नपत्र ऑब्जेक्टिव व एक प्रश्नपत्र सब्जेक्टिव होने लगा।
’2005 से सामान्य अध्ययन के दोनों प्रश्नपत्र सब्जेक्टिव होने लगे।
’2012 में सीसैट लागू हुआ। सीसैट पेपर को मेरिट का आधार बनाया गया।
’2015 में सीसैट को क्वालीफाइंग किया गया।
’2018 से मुख्य परीक्षा में सब्जेक्ट के दो की जगह एक विषय रखा गया।
’सामान्य अध्ययन के दो ऑब्जेक्टिव पेपर के स्थान पर चार सब्जेक्टिव पेपर हुए।
’2019 की प्रारंभिक परीक्षा में 18 से घटाकर 12 गुना किया गया।