फर्रुखाबाद। संवाददाता
बेसिक शिक्षा विभाग का भगवान ही मालिक है। यहां पर मर्जी से काम चल रहा है। विभागीय स्तर से कई शिक्षकों की वेतन पत्रावली रोक रखी गई है। इसके पीछे कारण भी नहीं स्पष्ट किया जा रहा है।
नए शिक्षक इस रवैए से परेशान है। लंबित वेतन पत्रावली की आड़ में कुछ लोग भी नए शिक्षकों के संपर्क करने में लगे हैं। दिसंबर माह में 69 हजार शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों की तैनाती हुई थी। इसके बाद से वेतन को लेकर अभी तक उन्हे राह नहीं दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी शिक्षकों के खाते में अभी तक वेतन भेजने में तत्परता नहीं दिखाई गई।जबकि वित्त लेखाधिकारी की ओर से दावा किया गया कि 854 शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया गया है। शिक्षक खाते में वेतन न आने से परेशान है। वहीं दूसरी ओर वे शिक्षक खासे परेशान हो रहे हैं। जिनकी वेतन पत्रावली लंबित कर रखी है। विभागीय लोग लिखापढ़त में कोई जानकारी देने के बजाय सीधे कुछ खास लोगो के माध्यम से शिक्षकों से संपर्क करने में लगे हैं। ऐसी स्थिति में ऐसे शिक्षको का हाल खराब हो रहा है। शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप पर भी इस प्रकार की बाते सामने आ रही है कि विभागीय स्तर से यह भी कारण नहीं बताया जा रहा है कि आखिर उनका सत्यापन सूची में नाम क्यो ंनहीं है। जबकि कई शिक्षकों के हाईस्कूल और इंटर में सब कुछ सही है। इसके बाद भी सत्यापन का आधार क्या बनाया गया है। यह बात भी शिक्षक नहीं समझ पा रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने विभागीय लोगों के घरों में जाकर स्थिति जानने का काम किया। मगर उन लोगों डराने का काम किया जा रहा है। शिक्षकों का कहना कि यदि वेतन पत्रावली रोकी गई तो इसके पीछे का जो भी कारण हो उन्हें बताया जाए। मगर लंबे समय बाद भी पत्रावली अनावश्यक रूप से रोककर खुद ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। शिक्षक भी यह जाननाचाहते हैं कि उनकी पत्रावली यदि रोकी गई तो इसका कारण उन्हे लिखित दियाजाए। जिससे वह अपनी बात रख सकें। इस मौके से भी शिक्षकों को दूर रखकर कहीं न कहीं नए बहस पैदा की जा रही है। इस बीच वेतन पत्रावली रोकने को लेकर शिक्षक संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। इस मामले में शासन स्तर पर भी शिकायत करने की तैयारी की गई है। शिक्षक संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी बेसिक शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव को दी जाएगी। यह भी कहा गया कि पत्रावली लंबे समय तक रोकना भी कहीं पर भी उचित नहीं है।