बीएड प्रवेश परीक्षा के दौरान पकड़े गए सॉल्वर गिरोह ने जनवरी में आयोजित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा(सीटेट)में भी सेंधमारी की थी। तब भी एसटीएफ ने भंडाफोड़ करते हुए सरगना समेत सात सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। खास बात यह है कि उस परीक्षा में भी दीक्षा सॉल्वर के रूप में बैठी थी और एसटीएफ को चकमा देकर निकल भागी थी।
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, बीएड प्रवेश परीक्षा केदौरान पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के दौरान मिली एक जानकारी पर वह चौंक गए। आरोपी बालेंद्र ने अपने साथी का नाम धर्मेंद्र सिंह पटेल बताया तो अफसरों का माथा ठनक गया। जानकारी की गई तो पता चला कि वह सीटेट के दौरान छह महीने पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
उधर पकड़ी गई दीक्षा ने बताया कि वह जनवरी में आयोजित सीटेट में भी एक अभ्यर्थी की जगह पर परीक्षा में बैठ चुकी है। तब भी वह बालेंद्र व धर्मेंद्र के जरिए ही परीक्षा में बतौर सॉल्वर बैठी थी। हालांकि कार्रवाई केदौरान वह एसटीएफ को चकमा देने में कामयाब रही थी। जबकि उसकेगिरोह केअन्य सदस्य गिरफ्तार कर लिए गए थे। इसमें उसकी परिचित पूजा देवी भी शामिल थी। दरअसल दोनों फतेहपुर के चांदपुर थाना क्षेत्र की रहने वाली हैं। यही नहीं दीक्षा की मां फतेहपुर के प्राथमिक स्कूल में शिक्षामित्र है, जबकि पूजा उसी स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात थी।
कुल सात सदस्य हुए थे गिरफ्तार
सीटेट 31 जनवरी को आयोजित हुई थी। इस दौरान प्रयागराज व गोरखपुर में हुए सॉल्वर गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था। प्रयागराज में सरगना समेत छह जबकि गोरखपुर में एक को पकड़ा गया था। प्रयागराज के कर्नलगंज में पकड़े गए सदस्यों में सरगना प्रशांत सिंह के अलावा धर्मेंद्र सिंह पटेल भी शामिल था, जिसके साथ मिलकर बालेंद्र काम करता था। धर्मेंद्र रायबरेली स्थित प्राथमिक विद्यालय उसरी में शिक्षक केपद पर कार्यरत था। वह मूल रूप से कौशांबी के पूरामुफ्ती में कुसुवा मनौरी का रहने वाला था, जो गिरफ्तारी के समय शहर के जार्जटाउन स्थित कैलाश अपार्टमेंट में रहता था। एसटीएफ अफसरों ने बताया कि हाल ही में वह जमानत पर रिहा हुआ है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं बीएड प्रवेश परीक्षा में सॉल्वर बैठाने में भी तो वह शामिल नहीं था।