प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की एपीएस यानी अपर निजी सचिव - 2010 भर्ती में अनियमितता मिलने पर सीबीआइ तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही है।
इसी बीच चयनित अभ्यर्थियों को स्थायी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। प्रतियोगियों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सचिवालय में तैनाती पा चुके 221 अपर निजी सचिवों को नियम विरुद्ध स्थायी करने की कार्यवाही की रही है। उसे रोकने के लिए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।लोकसेवा आयोग ने एपीएस- 2010 के तहत 250 पदों की भर्ती निकाली थी। भर्ती की जांच कर रही सीबीआइ को काफी खामियां मिली थी। इसके बावजूद चयनितों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया नवंबर 2019 में शुरू कर दी गई। नियुक्ति देने का क्रम वर्ष 2020 तक चलता रहा। इसमें 27 चयनितों की नियुक्ति सीबीआइ जांच पूरी होने तक स्थगित कर दी गई है। सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके स्वीकार किया है कि आयोग ने इस भर्ती में सेवा नियमावली का उल्लंघन किया है। सीबीआइ द्वारा दर्ज कराई गई एफआइआर में स्वीकार किया गया है कि आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के माध्यम से तमाम अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। फर्जी कंप्यूटर सर्टिफिकेट धारित करने वाले और हिंदी शार्टहैंड की परीक्षा में फेल होने के बावजूद चयनित किए गए अभ्यर्थी मुख्यमंत्री कार्यालय सहित तमाम महत्वपूर्ण जगहों पर तैनात हैं। चयन बचाने के उद्देश्य से स्थायीकरण संबंधी आदेश उच्चाधिकारियों से पारित कराने में लगे हैं। विभागीय अधिकारी भ्रष्टाचार से चयनित अपर निजी सचिवों की पत्रावली को न्याय, कार्मिक एवं वित्त विभाग को भेजकर स्थायीकरण के आदेश पारित कराने का षड़यंत्र रच रहे हैं, जिसे जिसे रोके जाने की मांग की गई है।