Fake Teachers : फर्जी शिक्षकों को बचाने में लगे बीएसए, STF ने बेसिक शिक्षा विभाग से जतायी आंशका

लखनऊ Fake Teachers Case in UP: फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के जरिये उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक की नौकरी पाने वालों को विभिन्न जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) बचाने में लगे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से यह आशंका पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अपर पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश ने जतायी है।


उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्तियों की जांच में एसटीएफ ने पाया है कि फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 36 से अधिक जिलों में 228 अभ्यर्थी नौकरी पाने में सफल हुए हैं। एसटीएफ ने बीएसए को ऐसे फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा तो वे आनाकानी कर रहे हैं।

एडीजी एसटीएफ का कहना है कि 35 जिलों में नौकरी कर रहे 176 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने और कार्रवाई करने के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में उन्होंने आशंका जतायी है कि बीएसए, फर्जी शिक्षकों को अतिरिक्त समय दे रहे हैं जिससे साक्ष्यों को मिटाये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

एडीजी ने फर्जी व कूटरचित अभिलेखों से नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ लापरवाही बरतने वाले बीएसए के खिलाफ भी कार्रवाई करने पर विचार करने के लिए कहा है। इस पर बेसिक शिक्षा निदेशक डा.सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने संबंधित बीएसए को फर्जी शिक्षकों के खिलाफ तत्काल एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।

बीएसए मथुरा ने नहीं भेजे 55 शिक्षकों के दस्तावेज : मथुरा में कूटरचित शैक्षिक दस्तावेजों के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों के नियुक्त होने की शिकायत एसटीएफ मुख्यालय को मिली थी। इस पर एसटीएफ ने मथुरा के बीएसए से अत्यंत गोपनीय तरीके से जांच के लिए 176 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए 22 दिसंबर 2021 को पत्र लिखा था। बीएसए मथुरा ने अब तक 55 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख एसटीएफ को उपलब्ध नहीं कराये हैं।

लीक किया गया एसटीएफ का गोपनीय पत्र : गौर करने की बात यह है कि एसटीएफ की ओर से भेजा गया गोपनीय पत्र बीएसए मथुरा कार्यालय से चार शिक्षकों को उपलब्ध कराया गया। इसके विरुद्ध शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्थगनादेश हासिल कर लिया। एसटीएफ की जानकारी में यह भी आया है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश की कमियों के कारण आरोपित शिक्षक हाईकोर्ट से स्थगनादेश प्राप्त कर बेफिक्र होकर नौकरी कर रहे हैं। वहीं संबंधित बीएसए स्थगनादेश को निरस्त कराने के लिए प्रभावी पैरवी नहीं कर रहे हैं।