प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों व प्राचार्य की भर्ती करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सदस्यों के सभी 10 पद खाली हैं। इससे 6000 से ज्यादा नियुक्तियां फंसी हुई हैं। सदस्यों के खाली पदों के आवेदन की प्रक्रिया पूरी हुए भी चार महीने हो चुके हैं। अभी तक सरकार सदस्यों की नियुक्ति नहीं कर सकी है.
10 पदों के सापेक्ष 900 उम्मीदवारों ने किया है आवेदन
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सदस्यों का कार्यकाल 2 साल का होता है। मार्च 2022 में 5 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। यह उनका दूसरा कार्यकाल था। अब चयन बोर्ड में कोई भी सदस्य नहीं बचा है। केवल अध्यक्ष ही हैं। ऐसे में चयन प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती।
आवेदन प्रक्रिया पूरी हुए 4 माह बीते, नियुक्ति नहीं
योगी सरकार ने सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए अप्रैल 2022 में आवेदन मांगे थे। आवेदन करने की अंतिम तिथि 14 मई 2022 रखी गई थी। शासन को करीब 900 आवेदन पत्र मिले हैं। आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद साक्षात्कार की तिथि शासन द्वारा घोषित होनी है। सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे मे प्रिंसिपल के करीब 2000 पदों व टीजीटी-पीजीटी के करीब 4000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया फंसी हुई है।
पिछले 5 साल से केवल 5 सदस्यों के भरोसे चल रहा था चयन बोर्ड
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में पिछले 5 सालों से चयन बोर्ड में केवल 5 सदस्य ही काम कर रहे थे। इन सदस्यों का भी कार्यकाल 8 अप्रैल 2022 को खत्म हो गया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया रुकने से यूपी के लाखों बेरोजगार परेशान हैं।
भर्ती परीक्षाओं में देरी और भ्रष्टाचार की वजह से प्रतियोगी छात्र डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि सरकार अभी तक सदस्यों का चयन नहीं कर सकी है। इससे भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है।
पद खाली होने से 6 महीने की भर्ती प्रक्रिया में लगे डेढ़ साल
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने सरकार से मांग की है कि चयन बोर्ड में रिक्त चल रहे सदस्यों के सभी 10 पद जल्द से जल्द भरे जाएं। उनका कहना है कि पिछले 4 सालों से सदस्यों के 5 पद रिक्त होने से भर्ती प्रक्रिया जो 6 माह में पूरी होनी चाहिए। उसमें डेढ़ वर्ष का समय लगा।
सभी पद भरे होने से इंटरव्यू बोर्ड ज्यादा बन पाएंगे और चयन बोर्ड का काम सुचारू रूप से हो पाएगा। शोध छात्र राहुल द्विवेदी का कहना है कि सदस्यों के न होने से भर्ती शुरू नहीं हो पा रही है। भर्ती लेट होने से प्रतियोगियों पर मानसिक और आर्थिक दबाव पड़ रहा है। एज बढ़ती जा रही है और अभी नौकरी नहीं मिली है। एक वैकेंसी पूरी करने में डेढ़ से दो साल लग जा रहे हैं। ऐसे में तनाव बढ़ रहा है।