उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत हर विद्यालय के कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए अलग से शिक्षा की व्यवस्था कराकर उन्हें मुख्यधारा में लाएगा। इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स के लिए विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की सूची मांगी गई है। यह सूची राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान कार्यालय को प्रेषित कर दी जाएगी।
एक करोड़ 17 लाख 96 हजार 813 छात्र कर रहे पढ़ाई
यूपी
बोर्ड में कक्षा नौ से लेकर कक्षा 12 तक करीब एक करोड़ 17 लाख 96 हजार 813
छात्र पढ़ाई कर रहे है। इसमें कक्षा नौ में 32, 56,815, कक्षा वीं
29,83,752 कक्षा 11वीं में 28,78,123 में कक्षा 12वीं 26,78,123 कर रहे है।
इन छात्रों में शासन की ओर से कमजोर छात्रों की छंटनी कर उनकी काउंसलिंग
कराई जाएगी। इसके साथ ही उन्हें अलग से कक्षाएं मुहैया कराई जाएगी।
कठिन विषयों को पढ़ाने में छात्र कमजोर
माध्यमिक
शिक्षा विभाग की ओर से किए गए एक सर्वे किया गया था। जिसके मुताबिक कक्षा
10 में गणित में 26 प्रतिशत, विज्ञान में 66 और सामाजिक विषय में 56
प्रतिशत छात्र ऐसे पाए गए थे, जिन्हें इन विषयों में सामान्य से भी कम
ज्ञान था। वहीं, विज्ञान में सिर्फ एक प्रतिशत छात्र ही ऐसे थे, जिनकी
स्थिति अच्छी थी। गणित में छह और सामाजिक में चार प्रतिशत बच्चों को ही
बेहतर ज्ञान है।
कमजोर छात्रों के लिए चलेगी अलग से कक्षाएं
यूपी
में राजकीय हाई स्कूल और इंटरमीडिएट विद्यालयों में कमजोर विद्यार्थियों
के लिए अलग से पढ़ाई की व्यवस्था होगी। कक्षा नौवीं से 12वीं तक हर कक्षा
के कमजोर छात्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए उपचारात्मक शिक्षा दी
जाएगी। शिक्षक कमजोर छात्रों को अलग से समय देकर तैयारी कराएंगे। इसके लिए
विषयवार मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे।
विषयवार मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा
अपर
मुख्य सचिव माध्यमिक आराधना शुक्ल ने फोन पर बताया कि प्रदेश सरकार प्रदेश
में बेहतर शिक्षा के लिए काम कर रही है। इसकी दिशा में कमजोर छात्रों के
लिए भी काम किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अन्य अधिकारी ने
बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक स्तर से सभी स्कूलों को पत्र भेजकर
विषयवार शिक्षकों की सूची नाम और ई-मेल आईडी समेत मांगी गई है। समग्र
शिक्षा के अंतर्गत राजकीय विद्यालयों के कक्षा नौ से 12 तक के
छात्र-छात्राओं को वर्ष 2022-23 में उपचारात्मक शिक्षा दी जानी है। इसके
लिए विषयवार मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। कमजोर
छात्र-छात्राओं का पढ़ाई में सामान्य स्तर पर मजबूत करने के लिए यह कदम
उठाया गया है।
प्री टेस्ट के माध्यम से कमजोर छात्रों का किया जाएगा चयन
नौवीं
से 12वीं तक के कमजोर विद्यार्थियों को छांट कर उनके लिए पढ़ाई की अलग
व्यवस्था बनाई गई है। सितंबर में सभी स्कूलों में प्री-टेस्ट कराया जाएगा,
इस दौरान प्रत्येक कक्षा से 20 प्रतिशत कमजोर छात्रों का चयन किया जाएगा,
उन्हें छुट्टी के बाद अलग से पढ़ाया जाएगा। प्रत्येक दिन एक विषय की कक्षा
होगी।
छात्रों से संवाद स्थापित कर अड़चन होगी दूर
अभियान
के तहत छात्रों के प्रश्नों को हल करने में आने वाली अड़चनों को दूर किया
जाएगा। प्रत्येक स्कूल को मास्टर ट्रेनर के लिए शिक्षकों के नाम देने हैं।
इसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी विद्यालयों को पत्र भी जारी कर
दिया है। जिले के सात राजकीय विद्यालयों में उपचारात्मक शिक्षा अभियान
चलेगा। इसमें तीन राजकीय इंटर कॉलेज और चार राजकीय उच्चतर माध्यमिक
विद्यालय हैं।
इन विषयों की चलेंगी कक्षाएं
कक्षा 9 और 10 हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विषय, विज्ञान
कक्षा 11 और 12 हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान शामिल है।