लखनऊ : शहरी
क्षेत्रों के असेवित क्षेत्रों में गरीब बच्चों को पड़ोस के मान्यताप्राप्त
निजी स्कूलों में दाखिले की मुहिम अब जोर पकड़ेगी। अभी तक गरीब बच्चों के
माता पिता को खुद बीएसए कार्यालय में इसके लिए आवेदन करना होता था।
अब शहरी असेवित क्षेत्रों में बीएसए विज्ञापन प्रदर्शित कर गरीब अभिभावकों से अपने बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए आवेदन आमंत्रित करेंगे। 1निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को शहरी इलाकों के असेवित वाडरें को चिह्न्ति करने का निर्देश दिया था।
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अब शहरी असेवित क्षेत्रों में बीएसए विज्ञापन प्रदर्शित कर गरीब अभिभावकों से अपने बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए आवेदन आमंत्रित करेंगे। 1निदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को शहरी इलाकों के असेवित वाडरें को चिह्न्ति करने का निर्देश दिया था।
फिलहाल बेसिक शिक्षा निदेशालय को विभिन्न जिलों से जो सूचना मिली है उसके
आधार पर मंडल मुख्यालय वाले 18 जिलों में 199 ऐसे असेवित नगरीय वार्ड
चिह्न्ति किए गए हैं जिनमें सरकारी, परिषदीय या अशासकीय सहायताप्राप्त
प्राथमिक स्कूल नहीं हैं।
इनमें लखनऊ में 34, कानपुर नगर में 25, फैजाबाद में 31, झांसी में 30, मेरठ में 19, अलीगढ़ में 21, बरेली में तीन, इलाहाबाद में चार, वाराणसी में चार, मीरजापुर में दो, गोरखपुर में तीन, मुरादाबाद में 23 असेवित वार्ड चिह्न्ति किए गए हैं।
चित्रकूट, आजमगढ़, गोंडा, बस्ती और सहारनपुर के बीएसए ने सूचित किया है कि उनके जिले में कोई असेवित वार्ड नहीं है। आगरा के बीएसए ने पहले सूचित किया था कि वहां शहरी क्षेत्र में 21 वार्ड असेवित हैं लेकिन बाद में उन्होंने इसे शून्य करार दिया है।
बुधवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में जिला बेसिक अधिकारियों की बैठक वैसे तो परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के सिलसिले में बुलायी गई है। बैठक में सभी बीएसए को इस विज्ञापन का प्रारूप भी थमाया जाएगा।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को पड़ोस के मान्यताप्राप्त निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए प्रदेश में भी व्यवस्था है। व्यवस्था यह है कि बीएसए द्वारा यह पाये जाने पर कि इन श्रेणियों के बच्चों को पड़ोस के राजकीय/परिषदीय या सहायताप्राप्त स्कूल में सीटों के अभाव में दाखिला नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे बच्चों को निजी असहायतित स्कूलों की कक्षा एक की 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश दिलाना होगा।
दाखिले में उन बच्चों वरीयता दी जाएगी जिनके माता-पिता या अभिभावक की वार्षिक आय 35,000 रुपये से कम होगी।
इनमें लखनऊ में 34, कानपुर नगर में 25, फैजाबाद में 31, झांसी में 30, मेरठ में 19, अलीगढ़ में 21, बरेली में तीन, इलाहाबाद में चार, वाराणसी में चार, मीरजापुर में दो, गोरखपुर में तीन, मुरादाबाद में 23 असेवित वार्ड चिह्न्ति किए गए हैं।
चित्रकूट, आजमगढ़, गोंडा, बस्ती और सहारनपुर के बीएसए ने सूचित किया है कि उनके जिले में कोई असेवित वार्ड नहीं है। आगरा के बीएसए ने पहले सूचित किया था कि वहां शहरी क्षेत्र में 21 वार्ड असेवित हैं लेकिन बाद में उन्होंने इसे शून्य करार दिया है।
बुधवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में जिला बेसिक अधिकारियों की बैठक वैसे तो परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के सिलसिले में बुलायी गई है। बैठक में सभी बीएसए को इस विज्ञापन का प्रारूप भी थमाया जाएगा।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को पड़ोस के मान्यताप्राप्त निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए प्रदेश में भी व्यवस्था है। व्यवस्था यह है कि बीएसए द्वारा यह पाये जाने पर कि इन श्रेणियों के बच्चों को पड़ोस के राजकीय/परिषदीय या सहायताप्राप्त स्कूल में सीटों के अभाव में दाखिला नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे बच्चों को निजी असहायतित स्कूलों की कक्षा एक की 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश दिलाना होगा।
दाखिले में उन बच्चों वरीयता दी जाएगी जिनके माता-पिता या अभिभावक की वार्षिक आय 35,000 रुपये से कम होगी।
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