लखनऊ । उत्तर प्रदेश के दो महानगरों में फर्जी डिग्रियों के सहारे डाक
विभाग में नौकरी पाए ७२ कर्मचारी बर्खास्त कर दिए गए। इनमें २६ लखनऊ और ४६
कानपुर के हैं। इनकी बर्खास्तगी पर चार मार्च को मुहर लगी। अब अन्य जिलों
के ऐसे ही कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है।
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दरअसल, जांच के लिए टीमें संबंधित विद्यालय पहुंचने पर मामले का खुलासा
हुआ था। कर्मियों को नियमानुसार एक माह का वेतन देकर बर्खास्त कर दिया गया।
अब आगे की कार्रवाई के लिए वरिष्ठों के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
कानपुर में ऐसे ४६ डाक कर्मी (जीडीएस) ऐसे है, जबकि अन्य जिलों में भी पिछले तीन साल में भर्ती मामले की जांच की जा रही है।
डाक अधिकारियों के मुताबिक वर्ष २०११ से २०१४ के बीच ग्रामीण डाक सेवक के पदों पर राजधानी के अलग अलग डाकघरों में भर्ती की गई थी। अभ्यर्थियों ने दलालों से मिलीभगत करके फर्जी डिग्रियां बनवा ली और मेरिट के आधार पर नौकरी हासिल कर ली।
यही नहीं उन अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया जिनके प्रतिशत कुछ कम थे। यह फर्जी डिग्रीधारक पिछले ढाई तीन साल से नौकरी कर रहे थे। अफसरों को जब मामले की जानकारी हुई तो जांच कराई गई।
जांच कराने के लिए डाक विभाग की एक टीम सभी अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र लेकर दिल्ली गई और वहां स्थित विद्यालयों से शैक्षिक प्रमाण पत्र की पुष्टि करवाई तो फर्जी पाया गया। रिपोर्ट मिलते ही ऐसे सभी २६ डाक कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो पूरे प्रदेश में कई हजार ग्रामीण डाक सेवक नियमों को दरकिनार करके रखे गए हैं। ऐसे डाक कर्मियों के भी शैक्षिक प्रमाण पत्र जांचे जाएंगे। डाक विभाग निदेशक विवेक दक्ष ने लखनऊ में बताया कि डिग्रियों से नौकरी पाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
जो भी बर्खास्तगी हुई है वह नियमानुसार हुई है। लखनऊ के अलावा अन्य जिलों में भी मामले सामने आते हैं वहां जांच कराकर ऐसे लोगों को निकाला जाएगा।
कानपुर में ऐसे ४६ डाक कर्मी (जीडीएस) ऐसे है, जबकि अन्य जिलों में भी पिछले तीन साल में भर्ती मामले की जांच की जा रही है।
डाक अधिकारियों के मुताबिक वर्ष २०११ से २०१४ के बीच ग्रामीण डाक सेवक के पदों पर राजधानी के अलग अलग डाकघरों में भर्ती की गई थी। अभ्यर्थियों ने दलालों से मिलीभगत करके फर्जी डिग्रियां बनवा ली और मेरिट के आधार पर नौकरी हासिल कर ली।
यही नहीं उन अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया जिनके प्रतिशत कुछ कम थे। यह फर्जी डिग्रीधारक पिछले ढाई तीन साल से नौकरी कर रहे थे। अफसरों को जब मामले की जानकारी हुई तो जांच कराई गई।
जांच कराने के लिए डाक विभाग की एक टीम सभी अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र लेकर दिल्ली गई और वहां स्थित विद्यालयों से शैक्षिक प्रमाण पत्र की पुष्टि करवाई तो फर्जी पाया गया। रिपोर्ट मिलते ही ऐसे सभी २६ डाक कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो पूरे प्रदेश में कई हजार ग्रामीण डाक सेवक नियमों को दरकिनार करके रखे गए हैं। ऐसे डाक कर्मियों के भी शैक्षिक प्रमाण पत्र जांचे जाएंगे। डाक विभाग निदेशक विवेक दक्ष ने लखनऊ में बताया कि डिग्रियों से नौकरी पाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
जो भी बर्खास्तगी हुई है वह नियमानुसार हुई है। लखनऊ के अलावा अन्य जिलों में भी मामले सामने आते हैं वहां जांच कराकर ऐसे लोगों को निकाला जाएगा।
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