भंग होगा मॉडल स्कूल संगठन, कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराने की तैयारी
लखनऊ। शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े विकासखंडों में संचालित की जा रही मॉडल स्कूल योजना से केंद्र सरकार के हाथ खींच लेने से अब यह स्कूल सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर संचालित किये जाएंगे। प्रदेश में मॉडल स्कूलों के संचालन के लिए सोसाइटी के तौर पर गठित राज्य मॉडल स्कूल संगठन को भंग किया जाएगा। मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में गठित उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान के शासी निकाय की बैठक में यह निर्णय होने के बाद अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगवाने की तैयारी है।
लखनऊ। शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े विकासखंडों में संचालित की जा रही मॉडल स्कूल योजना से केंद्र सरकार के हाथ खींच लेने से अब यह स्कूल सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर संचालित किये जाएंगे। प्रदेश में मॉडल स्कूलों के संचालन के लिए सोसाइटी के तौर पर गठित राज्य मॉडल स्कूल संगठन को भंग किया जाएगा। मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में गठित उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान के शासी निकाय की बैठक में यह निर्णय होने के बाद अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगवाने की तैयारी है।
केंद्र सरकार ने 2010-11 में उप्र में 148 और 2012-13 में 45 मॉडल स्कूलों
के निर्माण को मंजूरी दी थी। मॉडल स्कूलों के निर्माण और संचालन पर होने
वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में
थी। राज्य सरकार इन स्कूलों को वर्ष 2015 से संचालित करना चाहती थी। बीती
फरवरी में केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के बजट में मॉडल स्कूल
योजना के लिए राज्यों को केंद्रांश देने से पल्ला झाड़ लिया। इन मॉडल
स्कूलों में से प्रत्येक को संचालित करने पर सालाना सवा करोड़ रुपये आवर्ती
खर्च होगा। इस हिसाब से 193 स्कूलों के संचालन का सालाना खर्च लगभग 241
करोड़ रुपये होगा।
अपने दम पर राज्य सरकार यह बोझ नहीं उठाना चाहती है। लिहाजा उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान के शासी निकाय की बैठक में इन मॉडल स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया गया है। संचालन के लिए स्कूलों का भवन निजी क्षेत्र को बिडिंग के आधार पर सौंपा जाएगा। निजी संस्था ही तय करेगी कि वह इन स्कूलों में कौन से बोर्ड का पाठ्यक्रम संचालित करेगी।
खटाई में शिक्षकों की भर्तियां
इस फैसले से इन स्कूलों के लिए शुरू की गईं प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की भर्तियां भी खटाई में पड़ गई हैं। प्रधानाचार्य के 193 पदों पर भर्ती के लिए 21 फरवरी से नौ मार्च तक अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के लगभग 1350 पदों के भी मार्च-अप्रैल में आवेदन आमंत्रित किये गए थे। इन पदों के लिए अभ्यर्थियों की ओर से बड़ी संख्या में आवेदन भी प्राप्त हुए थे। भर्तियां रद करने का फैसला भी कैबिनेट को करना है।
अपने दम पर राज्य सरकार यह बोझ नहीं उठाना चाहती है। लिहाजा उप्र माध्यमिक शिक्षा अभियान के शासी निकाय की बैठक में इन मॉडल स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया गया है। संचालन के लिए स्कूलों का भवन निजी क्षेत्र को बिडिंग के आधार पर सौंपा जाएगा। निजी संस्था ही तय करेगी कि वह इन स्कूलों में कौन से बोर्ड का पाठ्यक्रम संचालित करेगी।
खटाई में शिक्षकों की भर्तियां
इस फैसले से इन स्कूलों के लिए शुरू की गईं प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की भर्तियां भी खटाई में पड़ गई हैं। प्रधानाचार्य के 193 पदों पर भर्ती के लिए 21 फरवरी से नौ मार्च तक अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के लगभग 1350 पदों के भी मार्च-अप्रैल में आवेदन आमंत्रित किये गए थे। इन पदों के लिए अभ्यर्थियों की ओर से बड़ी संख्या में आवेदन भी प्राप्त हुए थे। भर्तियां रद करने का फैसला भी कैबिनेट को करना है।
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