जागरण संवाददाता, गोरखपुर : शासन और विभाग लाख प्रयास कर ले परिषदीय शिक्षा की गाड़ी पटरी पर दौड़ने वाली नहीं है। एक तरफ विभाग विद्यालयों में नामांकन पखवारा चलाने का निर्देश दिया है, दूसरी तरफ विद्यालयों के ताला तक नहीं खुल रहे। जिन शिक्षकों को घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह स्कूल तक नहीं पहुंच रहे। उदासीनता का आलम यह है कि औचक निरीक्षण में 27 शिक्षक गैरहाजिर रहे।
दो विद्यालयों में तो ताला लटका था। बीएसए ने अनुपस्थित शिक्षकों का वेतन रोकते हुए चेतावनी के साथ स्पष्टीकरण मांगा है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव के निर्देश पर जिले के चरगावा, भटहट, पिपराइच और सरदारनगर ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारियों ने 50 विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। पूर्व माध्यमिक विद्यालय मोहनपुर पिपराइच और चरगावा स्थित एक प्राथमिक विद्यालय पर तो ताला लटका था। जो विद्यालय खुले थे उनमें छात्रों की उपस्थिति बहुत कम पाई गई। नामांकन के सापेक्ष 10 से 20 फीसद छात्र ही पढ़ने आए थे। प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिलबिलवा में तो एक भी छात्र पढ़ने नहीं आए थे। जो बच्चे विद्यालय पहुंच रहे वे पुरानी किताबों से ही पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों का भी यही हाल रहा। वे भी बिना बताए गायब रहे। मध्याह्न भोजन मनमाने ढंग से बन रहा था। बीएसए के दिशा-निर्देश के बाद भी पुराने मीनू के आधार पर भोजन बन रहा था। यही नहीं अधिकतर विद्यालयों में रंगाई-पुताई तक नहीं हुआ था। चारो तरफ गंदगी पसरी थी। बीएसए ने प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को चेतावनी दिया है कि वे हर हाल में रोजाना विद्यालय पहुंचे और पठन-पाठन का माहौल बनाए। लापरवाही पर कार्रवाई तय है।
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