मॉडल स्कूलों में भी गरीब छात्रों के लिए 25% सीटें
इन स्कूलों को निजी हाथों में देने का खाका तैयार, कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी
लखनऊ। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ने मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में देने का खाका तैयार कर लिया है। परिषदीय स्कूलों की तर्ज पर इन स्कूलों में भी गरीब छात्रों को 25 फीसदी सीटों पर दाखिला मिलेगा। इन सीटों के लिए पात्रता और प्रवेश प्रक्रिया राज्य सरकार तय करेगी। इसी तरह 25 फीसदी सीटों पर नियमानुसार आरक्षण का पालन करना होगा। यही नहीं इन स्कूलों में ऐसे छात्रों के लिए अलग से न तो सेक्शन बनाया जाएगा और न ही अलग बैठाया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है और जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी है।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में उत्तर प्रदेश को 2010-11 में 148 और वर्ष 2012-13 में 45 मॉडल स्कूल स्वीकृत किए थे। इन 193 में 191 स्कूलों का निर्माण पूरा हो चुका है। राज्य सरकार इन स्कूलों को सीबीएसई पैटर्न पर चलाना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार के फंडिंग करने से इन्कार किए जाने के बाद इसे प्राइवेट पार्टनर के माध्यम से चलाने वाला का निर्णय किया गया है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने मॉडल स्कूलों को प्राइवेट हाथों में देने का प्रस्ताव तैयार करते हुए शासन को भेजा है। मॉडल स्कूलों को प्राइवेट पार्टनर को देने के लिए कई शर्तें रखी जा रही है, जिससे उनकी मनमानी को रोका जा सके।
केंद्र सरकार द्वारा फंड देने से इन्कार के बाद राज्य सरकार ने लिया फैसला
केजीबीवी में अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए 20% सीटें आरक्षित
लखनऊ (ब्यूरो)। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए 20 फीसदी सीटें आरक्षित होंगी। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने इस संबंध में सभी डीएम को निर्देश जारी किया है। इसके साथ ही जिलेवार अल्पसंख्यक छात्राओं का लक्ष्य भी भेजा गया है। प्रदेशभर में अल्पसंख्यक वर्ग की करीब 14,000 छात्राएं होंगी।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत गरीब छात्राओं को कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा देने के लिए प्रदेश भर में 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए हैं। किसी स्कूल में 200 तो किसी में 100 छात्राओं को दाखिला देने की व्यवस्था है। इन स्कूलों में छात्राओं को मुफ्त शिक्षा के साथ रहने और खाने की भी व्यवस्था की जाती है। राज्य सरकार इन स्कूलों में गरीब वर्ग की अल्पसंख्यक छात्राओं को भी दाखिला देने की अनिवार्यता लागू करना चाहती है। इसके लिए 20 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी गई हैं। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने इस संबंध में सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक को निर्देश दिए थे। इसके आधार पर परियोजना निदेशक ने यह आदेश जारी किया है। अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी व जैन आएंगे। इन्हीं वर्ग की गरीब छात्राओं को इसका लाभ मिलेगा।
मालिकाना हक सरकार का होगा
राज्य सरकार मॉडल स्कूलों को इस शर्त पर देगी, जिससे उसका मालिकाना हक बना रहे। प्राइवेट पार्टनर को अधिकतम 15 साल के लिए इन स्कूलों को दिया जाएगा। इसके लिए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी, जिसमें वित्त, न्याय, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके सदस्य होंगे। समिति की देखरेख में विशेषज्ञ परामर्शदाता का चयन, निविदा शर्तों व मापदंडों का निर्धारण तथा अनुबंध पत्र तैयार कराया जाएगा। स्कूल चलाने के लिए उच्च क्षमता, अच्छी छवि तथा पर्याप्त, अनुभव रखने वाली संस्था का चयन किया जाएगा। मॉडल स्कूलों की परीक्षा, बोर्ड की संबद्धता के विषय में निर्णय लिया जाएगा। एकरूपता को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय शासन करेगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अनुबंध करने के लिए अधिकृत होगा।
समाप्त होगी नियुक्ति प्रक्रिया
माध्यमिक शिक्षा विभाग से शुरू की गई मॉडल स्कूलों में प्रधानाचार्य व शिक्षकों की चयन प्रक्रिया समाप्त की जाएगी। इसके लिए जिलेवार आवेदन लिए जा चुके थे। मॉडल स्कूल योजना को भारत सरकार से डी लिंक कर दिए जाने के बाद इसके संचालन के लिए प्रदेश स्तर पर गठित राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ व राज्य मॉडल स्कूल संगठन को समाप्त किया जाएगा। सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के आधार पर मॉडल स्कूलों के संचालन, अनुश्रवण, समीक्षा आदि की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को दी जाएगी।
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इन स्कूलों को निजी हाथों में देने का खाका तैयार, कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी
लखनऊ। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ने मॉडल स्कूलों को निजी हाथों में देने का खाका तैयार कर लिया है। परिषदीय स्कूलों की तर्ज पर इन स्कूलों में भी गरीब छात्रों को 25 फीसदी सीटों पर दाखिला मिलेगा। इन सीटों के लिए पात्रता और प्रवेश प्रक्रिया राज्य सरकार तय करेगी। इसी तरह 25 फीसदी सीटों पर नियमानुसार आरक्षण का पालन करना होगा। यही नहीं इन स्कूलों में ऐसे छात्रों के लिए अलग से न तो सेक्शन बनाया जाएगा और न ही अलग बैठाया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है और जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी है।
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में उत्तर प्रदेश को 2010-11 में 148 और वर्ष 2012-13 में 45 मॉडल स्कूल स्वीकृत किए थे। इन 193 में 191 स्कूलों का निर्माण पूरा हो चुका है। राज्य सरकार इन स्कूलों को सीबीएसई पैटर्न पर चलाना चाहती थी, लेकिन केंद्र सरकार के फंडिंग करने से इन्कार किए जाने के बाद इसे प्राइवेट पार्टनर के माध्यम से चलाने वाला का निर्णय किया गया है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने मॉडल स्कूलों को प्राइवेट हाथों में देने का प्रस्ताव तैयार करते हुए शासन को भेजा है। मॉडल स्कूलों को प्राइवेट पार्टनर को देने के लिए कई शर्तें रखी जा रही है, जिससे उनकी मनमानी को रोका जा सके।
केंद्र सरकार द्वारा फंड देने से इन्कार के बाद राज्य सरकार ने लिया फैसला
केजीबीवी में अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए 20% सीटें आरक्षित
लखनऊ (ब्यूरो)। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिए 20 फीसदी सीटें आरक्षित होंगी। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने इस संबंध में सभी डीएम को निर्देश जारी किया है। इसके साथ ही जिलेवार अल्पसंख्यक छात्राओं का लक्ष्य भी भेजा गया है। प्रदेशभर में अल्पसंख्यक वर्ग की करीब 14,000 छात्राएं होंगी।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत गरीब छात्राओं को कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा देने के लिए प्रदेश भर में 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए हैं। किसी स्कूल में 200 तो किसी में 100 छात्राओं को दाखिला देने की व्यवस्था है। इन स्कूलों में छात्राओं को मुफ्त शिक्षा के साथ रहने और खाने की भी व्यवस्था की जाती है। राज्य सरकार इन स्कूलों में गरीब वर्ग की अल्पसंख्यक छात्राओं को भी दाखिला देने की अनिवार्यता लागू करना चाहती है। इसके लिए 20 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी गई हैं। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने इस संबंध में सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक को निर्देश दिए थे। इसके आधार पर परियोजना निदेशक ने यह आदेश जारी किया है। अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी व जैन आएंगे। इन्हीं वर्ग की गरीब छात्राओं को इसका लाभ मिलेगा।
मालिकाना हक सरकार का होगा
राज्य सरकार मॉडल स्कूलों को इस शर्त पर देगी, जिससे उसका मालिकाना हक बना रहे। प्राइवेट पार्टनर को अधिकतम 15 साल के लिए इन स्कूलों को दिया जाएगा। इसके लिए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी, जिसमें वित्त, न्याय, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके सदस्य होंगे। समिति की देखरेख में विशेषज्ञ परामर्शदाता का चयन, निविदा शर्तों व मापदंडों का निर्धारण तथा अनुबंध पत्र तैयार कराया जाएगा। स्कूल चलाने के लिए उच्च क्षमता, अच्छी छवि तथा पर्याप्त, अनुभव रखने वाली संस्था का चयन किया जाएगा। मॉडल स्कूलों की परीक्षा, बोर्ड की संबद्धता के विषय में निर्णय लिया जाएगा। एकरूपता को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय शासन करेगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अनुबंध करने के लिए अधिकृत होगा।
समाप्त होगी नियुक्ति प्रक्रिया
माध्यमिक शिक्षा विभाग से शुरू की गई मॉडल स्कूलों में प्रधानाचार्य व शिक्षकों की चयन प्रक्रिया समाप्त की जाएगी। इसके लिए जिलेवार आवेदन लिए जा चुके थे। मॉडल स्कूल योजना को भारत सरकार से डी लिंक कर दिए जाने के बाद इसके संचालन के लिए प्रदेश स्तर पर गठित राज्य स्तरीय प्रकोष्ठ व राज्य मॉडल स्कूल संगठन को समाप्त किया जाएगा। सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के आधार पर मॉडल स्कूलों के संचालन, अनुश्रवण, समीक्षा आदि की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को दी जाएगी।
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