शिक्षकों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें मिलेगा ग्रेड ए, बी, सी ग्रेड के आधार पर मिलेगा शिक्षकों को प्रमोशन, भत्ता
शैक्षिक गुणवत्ता को शिक्षा महकमे की नई पहल
अब बच्चों की तरह गुरुजी की भी परीक्षा होगी। वह भी पास और फेल होंगे। यह सब शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए शिक्षकों के ग्रे¨डग प्रणाली के चलते हुआ है। शासन ने परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ग्रे¨डग सिस्टम लागू किया है। 1शासन ने बच्चों की तरह शिक्षकों के लिए भी ग्रे¨डग सिस्टम लागू कर दिया है।
जैसे 10वीं में नंबरों के आधार पर ए, बी और सी ग्रेड दिया जाता है। वैसे ही परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को ग्रेड दिया जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी प्रत्येक माह अपने-अपने ब्लाक के विद्यालय में निरीक्षण करेंगे और बच्चों से सवाल-जबाव करेंगे। सबसे बड़ी बात यह होगी कि सवाल बच्चों से होगा और उन सवालों के उत्तर के आधार पर शिक्षकों का भविष्य तय किया जाएगा कि उनको किस ग्रेड में शामिल किया जाना है।
एबीएसए रिपोर्ट बनाकर बीएसए को भेजेंगे। बीएसए उस रिपोर्ट को नेट पर अपलोड करके शासन को भेज देंगे। बच्चों के शैक्षिक स्तर के आधार पर शिक्षकों को ए, बी और सी ग्रेड दिया जाएगा। ग्रेड के आधार पर ही शिक्षकों को पदोन्नति और भत्ता मिलेगा।
लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सीधे शासन से गाज गिरेगी।
इसलिए लागू किया ग्रेडिंग सिस्टम
बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने सूबे में बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए ग्रे¨डग सिस्टम लागू किया है। बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने, सभी विभागों के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करने से भी शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है। उन्होंने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि शिक्षकों को उनके काम के आधार पर ग्रेड दिया जाए। इसी से शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
शिक्षकों को घर में बैठकर नौकरी करनी होगी भारी
ग्रे¨डग सिस्टम से शिक्षकों को घर में बैठकर नौकरी करना आसान नहीं होगा। स्कूल तो जाना ही होगा, साथ ही न चाहते हुए भी बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा। सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षिकाओं को होगी। वह स्कूल में स्वेटर नहीं बुन पाएंगी। बच्चों को पढ़ना मजबूरी होगी। शासन ने यह भी कहा कि लगातार परफोरमेंस खराब होने पर शिक्षक के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इन्होंने कहा..
शासन की यह अच्छी पहल है। लापरवाही करने वाले कुछ शिक्षकों की आदत में सुधार होगा। अच्छी शिक्षा मिलने से गरीब बच्चों का भविष्य भी उज्जवल होगा। शासन के इस आदेश की सराहना करते हैं।
सुरेन्द्र यादव, जिलाध्यक्ष प्राशिसं।
बेसिक शिक्षा निदेशक का आदेश प्राप्त हो गया है। आदेश के अनुसार कार्य किया जाएगा। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई जा रही है। उसमें सभी को आदेश दे दिए जाएंगे। शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यह अच्छी पहल साबित होगी।
- महेश चंद, बीएसए।
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शैक्षिक गुणवत्ता को शिक्षा महकमे की नई पहल
अब बच्चों की तरह गुरुजी की भी परीक्षा होगी। वह भी पास और फेल होंगे। यह सब शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किए शिक्षकों के ग्रे¨डग प्रणाली के चलते हुआ है। शासन ने परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ग्रे¨डग सिस्टम लागू किया है। 1शासन ने बच्चों की तरह शिक्षकों के लिए भी ग्रे¨डग सिस्टम लागू कर दिया है।
जैसे 10वीं में नंबरों के आधार पर ए, बी और सी ग्रेड दिया जाता है। वैसे ही परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को ग्रेड दिया जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी प्रत्येक माह अपने-अपने ब्लाक के विद्यालय में निरीक्षण करेंगे और बच्चों से सवाल-जबाव करेंगे। सबसे बड़ी बात यह होगी कि सवाल बच्चों से होगा और उन सवालों के उत्तर के आधार पर शिक्षकों का भविष्य तय किया जाएगा कि उनको किस ग्रेड में शामिल किया जाना है।
एबीएसए रिपोर्ट बनाकर बीएसए को भेजेंगे। बीएसए उस रिपोर्ट को नेट पर अपलोड करके शासन को भेज देंगे। बच्चों के शैक्षिक स्तर के आधार पर शिक्षकों को ए, बी और सी ग्रेड दिया जाएगा। ग्रेड के आधार पर ही शिक्षकों को पदोन्नति और भत्ता मिलेगा।
लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सीधे शासन से गाज गिरेगी।
इसलिए लागू किया ग्रेडिंग सिस्टम
बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने सूबे में बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए ग्रे¨डग सिस्टम लागू किया है। बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने, सभी विभागों के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करने से भी शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है। उन्होंने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि शिक्षकों को उनके काम के आधार पर ग्रेड दिया जाए। इसी से शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
शिक्षकों को घर में बैठकर नौकरी करनी होगी भारी
ग्रे¨डग सिस्टम से शिक्षकों को घर में बैठकर नौकरी करना आसान नहीं होगा। स्कूल तो जाना ही होगा, साथ ही न चाहते हुए भी बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा। सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षिकाओं को होगी। वह स्कूल में स्वेटर नहीं बुन पाएंगी। बच्चों को पढ़ना मजबूरी होगी। शासन ने यह भी कहा कि लगातार परफोरमेंस खराब होने पर शिक्षक के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इन्होंने कहा..
शासन की यह अच्छी पहल है। लापरवाही करने वाले कुछ शिक्षकों की आदत में सुधार होगा। अच्छी शिक्षा मिलने से गरीब बच्चों का भविष्य भी उज्जवल होगा। शासन के इस आदेश की सराहना करते हैं।
सुरेन्द्र यादव, जिलाध्यक्ष प्राशिसं।
बेसिक शिक्षा निदेशक का आदेश प्राप्त हो गया है। आदेश के अनुसार कार्य किया जाएगा। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई जा रही है। उसमें सभी को आदेश दे दिए जाएंगे। शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यह अच्छी पहल साबित होगी।
- महेश चंद, बीएसए।
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