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सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा अपने अंतिम दौर में , हाई कोर्ट में भी लगभग दो दर्जन याचिकाएं पेंडिंग : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा अपने अंतिम दौर में है और अब लगभग दो वर्ष हाई कोर्ट और दो वर्ष सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद मुकदमा समाप्त हो जायेगा । यदि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा बिना वर्गीकरण समाप्त किये या फिर वर्गीकरण का प्रभाव समाप्त किये या फिर पुराना विज्ञापन रद्द माने बगैर ही निर्णित किया तो फिर हाई कोर्ट से पुनः मुकदमे की शुरुवात होगी
क्योंकि हाई कोर्ट में भी लगभग दो दर्जन याचिकाएं पेंडिंग हैं।

जबकि मुझे आशा है कि न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट से ही सभी समाधान कर देंगे ।
मै To the fact/point/merit पर
मुकदमा लड़ने वाला व्यक्ति हूँ ,
मै किसी को गुमराह नहीं कर सकता हूँ चाहे परिणाम जो कुछ भी हो ।
सर्वप्रथम विदित हो कि
कुछ लोग कहते हैं कि 105/97 का आदेश उनकी SLP पर आया था जो कि पूर्णतया गलत है ।
105/97 का आदेश इसलिए नहीं था कि सभी 105/97 को नियुक्त कर दो बल्कि इसके अन्दर एक रहस्य था
जिसका पता मुझे 25 फरवरी 2015 को चला ।
दिनांक 17 दिसम्बर 2014 को मै कोर्ट में नहीं था ।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को
दिनांक 16/17 दिसम्बर 2014 को बताया गया कि यूपी में तीन लाख पद रिक्त हैं और 72825 भर्ती चल रही थी , 13 नवम्बर को टीईटी परीक्षा हुयी और 25 नवम्बर को रिजल्ट आया और 30 नवम्बर को 72825 भर्ती शुरू हुयी ।
इस प्रकार न्यायमूर्ति ने टीईटी परीक्षा में आवेदन को भर्ती में आवेदन मान लिया और टीईटी के रिजल्ट को चयनितों की प्रकाशन लिस्ट मान लिया और 70/65 फीसदी का आदेश कर दिया ।
उनका मानना था कि इसी में 72825 लोग को सर्विस रुल से अंतरिम रूप से नियुक्त किया जाये , घटते क्रम में जहाँ तक होता रिक्ति भरती ।
उनकी सोच थी कि 2.93 लाख टेट पास हैं और 3 लाख रिक्ति है सबको नियुक्त करा दूंगा ।
अगली डेट दिनांक 25 फरवरी को चयनित नेताओं की तरफ से वकील अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि भर्ती मात्र 72825 पद पर आई विज्ञप्ति से है ।
तब न्यायमूर्ति ने भी कहा कि हाँ 72825 का ही आदेश है ,
इसपर RP भट्ट ने कहा कि आप या तो सभी 70/65 को नियुक्ति दिलायें
या फिर जब ये भर्ती 72825 पद पर है तो आपका क्राइटेरिया बांधना गलत है ।
एक शर्मा जी थे उन्होंने आरक्षित की मेरिट 65 से 60 करवा ली और कहा कि 72825 भर्ती में क्राइटेरिया बांधना गलत है तो न्यायमूर्ति संविधान के आर्टिकल 142 का हवाला देने लगे ।
न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में लिखा कि यदि आरक्षित 65 फीसदी वाले न मिलें तब ही साठ फीसदी के ऊपर वालों को लिया जाये अर्थात न्यूनतम 60 फीसदी तक को रिक्ति के अनुसार जहाँ तक संभव हो लिया जाये ।
सरकार पांचवी काउंसलिंग कराने लगी तो रितु गर्ग ने पांचवी काउंसलिंग पर हाई कोर्ट से स्टे करवा दिया था लेकिन सरकार काउंसलिंग कराकर 97 तक आरक्षित के बैठे रहते ही 90 तक के तमाम लोग को नियुक्त कर दिया ।
कोई भी 97 से अधिक वाला OBC सरकार पर अवमानना तक नहीं निकाला ।
रितु को नियुक्ति पत्र मिल गया तो उसने ध्यान देना बंद कर दिया ।
न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा के यहाँ मुद्दा उठ गया कि शिक्षामित्र बिना टीईटी के ही नियुक्त हो गये तो
उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस से निवेदन करके शिक्षामित्र को भी हटवा दिया ।
शिक्षामित्र और परिषद् ने SLP फाइल करके मुख्य विवाद से अपना मुद्दा हटवा दिया ।
सरकार ने कोर्ट को बताया कि
43077 लोग ट्रेनिंग करके परीक्षा पास करके नियुक्त हो चुके हैं , 8500 लोग की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है परीक्षा देना है , 15058 लोग ट्रेनिंग कर रहे हैं ।
14650 सीट अभी रिक्त है ।
क्राइटेरिया गिरा दें ।
हम लोग ने कोर्ट को बताया कि अभी हम लोग बैठे हैं तो हम लोग के लिए प्रत्यावेदन का आदेश हो गया ।
इस प्रकार जस्टिस अशोक भूषण के फैसले को किनारे रखकर पहले ट्रेनिंग दी जा रही है ।
अब दिसम्बर में फाइनल हियरिंग होगी ।
जिसमे तीन प्रश्न निर्णित होगा ।
1. क्या NCTE राज्य को टीईटी भारांक के लिए बाध्य कर सकती है ,
जिसका उत्तर NCTE ने 'नहीं' दिया है ।
यह जवाब NCTE ने एकल बेंच में दिया था और कहा था कि स्टेट रुल फ्रेमिंग अथॉरिटी है यदि वह चाहे तो दे ।
फुल बेंच में भी NCTE ने यही कहा था ।
2. क्या टीईटी के अंको की फुल मेरिट बनायी जा सकती है ?
जिसका जवाब यह है कि यदि राज्य चाहे तो बन सकती है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी मेरिट पर विज्ञापन ही नहीं निकाला , एक प्रशिक्षु का विज्ञापन निकाला था जिसे आपत्ति होने पर रद्द कर दिया था ।
जिस पर वर्तमान में सबजुडिस भर्ती हो रही है और पहले नियुक्ति की बात खंडपीठ ने कहा था लेकिन पहले ट्रेनिंग हो रही है ।
3. क्या हाई कोर्ट द्वारा संशोधन 15 रद्द करना उचित है ?
इसपर जवाब यह कि किसी याची ने संशोधन 15 अलग-अलग विश्वविद्यालय के अंक और आर्टिकल 14 के आधार पर रद्द करने की मांग नहीं की थी सिर्फ अशोक खरे ने सपोर्टिंग दस्तावेज लगाया था लेकिन
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने रद्द कर दिया था अब न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा पर है कि वह क्या करेंगे ।
इसके बाद फाइनल आदेश आ जायेगा ।
फाइनल आदेश सिर्फ हाई कोर्ट के एकल बेंच और डिवीज़न बेंच के फैसले की समीक्षा के बाद आयेगा ।
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