हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को आदेश दिया है कि वह 41610 सिपाहियों का
भर्ती परिणाम एक माह में घोषित कर दे। परिणाम सभी वर्गों का अलग-अलग है,
किंतु एक ही समय में घोषित करने को कहा है।
भर्ती बोर्ड को यह भी स्पष्ट करने को कहा गया है कि किस वर्ग को आरक्षण का सीधा लाभ मिला और कितने लोगों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिला है। इसलिए परिणाम, सामान्य, ओबीसी, एससी-एसी वर्ग के अलग-अलग जारी करने होंगे।
दीपक राणा और अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालकर ने सिपाही भर्ती प्रकरण का निस्तारण कर दिया है।
याची के वकील विजय गौतम के मुताबिक सिपाही भर्ती परीक्षा का परिणाम 16 जुलाई 2015 को जारी किया गया था। चयन सूची में 38191 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। 2312 पद योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण कैरी फारवर्ड कर दिए गए। बता दें कि सिपाही भर्ती के तमाम अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र प्राप्त कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
चयन परिणाम को कई आधारों पर चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल की गईं। याची का कहना था कि ओबीसी वर्ग की कट ऑफ मेरिट 308.5096 अंक थी। याची को 308.51 अंक मिले थे। उसका चयन नहीं हुआ। अधिक अंक मिलने के बाद भी चयनित न होने की शिकायत की गई तो एक घंटे बाद ही उनका परिणाम बदल कर 308.5096 कर दिया गया। इतना ही अंक 917 अन्य लोगों को भी मिला। इसके बावजूद याचीगण चयन सूची में नहीं आ सके। पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से दलील दी गई कि अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने के कारण उन्होंने टाई ब्रेकर रूल का इस्तेमाल किया है। याची की आपत्ति थी कि टाई ब्रेकर रूल लागू करने का सिद्धांत क्या है, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। टाई ब्रेकर का नियम पुलिस मैन्युअल और सर्विस रूल दोनों में नहीं है। विभाग को वर्गवार चयन सूची जारी करनी चाहिए, जिससे पता चल सके कि किस श्रेणी में कितने लोगों को आरक्षण का लाभ मिला है।
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भर्ती बोर्ड को यह भी स्पष्ट करने को कहा गया है कि किस वर्ग को आरक्षण का सीधा लाभ मिला और कितने लोगों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिला है। इसलिए परिणाम, सामान्य, ओबीसी, एससी-एसी वर्ग के अलग-अलग जारी करने होंगे।
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चयन परिणाम को कई आधारों पर चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल की गईं। याची का कहना था कि ओबीसी वर्ग की कट ऑफ मेरिट 308.5096 अंक थी। याची को 308.51 अंक मिले थे। उसका चयन नहीं हुआ। अधिक अंक मिलने के बाद भी चयनित न होने की शिकायत की गई तो एक घंटे बाद ही उनका परिणाम बदल कर 308.5096 कर दिया गया। इतना ही अंक 917 अन्य लोगों को भी मिला। इसके बावजूद याचीगण चयन सूची में नहीं आ सके। पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से दलील दी गई कि अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने के कारण उन्होंने टाई ब्रेकर रूल का इस्तेमाल किया है। याची की आपत्ति थी कि टाई ब्रेकर रूल लागू करने का सिद्धांत क्या है, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। टाई ब्रेकर का नियम पुलिस मैन्युअल और सर्विस रूल दोनों में नहीं है। विभाग को वर्गवार चयन सूची जारी करनी चाहिए, जिससे पता चल सके कि किस श्रेणी में कितने लोगों को आरक्षण का लाभ मिला है।
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