प्राथमिक स्कूलों में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती अभी अधर में है। एक साल से
प्रक्रिया न तो शुरू हो रही है और न ही उसकी सीटें ही बढ़ पा रही हैं।
नियुक्ति प्रक्रिया में भले ही कोर्ट का आदेश रोड़ा बना है, पर सीटें
बढ़ाने में कोई बाधा नहीं है, फिर भी युवाओं की अनदेखी की जा रही है।
युवा इसको लेकर अनशन की राह पर बढ़ चुके हैं। वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, वहीं अफसर भी वाजिब मांग मानने के मूड में नहीं हैं।
प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। खाली पदों को लेकर अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट तक ढिंढोरा पीटा है, लेकिन उन पदों को भरने के लिए वह गंभीर नहीं है।
इसका ताजा प्रमाण 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला है। इसका शासनादेश 9 दिसंबर 2014 को निकला था। उसके बाद से अब तक चार बार अलग-अलग अर्हता वाले अभ्यर्थियों के आवेदन लिए गए और एक बार काउंसिलिंग भी कराई गई, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया इससे आगे नहीं बढ़ पाई। चौथी बार के लिए आवेदन मांगने को कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है और इस मामले की सुनवाई भी चल रही है। कोर्ट के सख्त निर्देशों के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया को रोका गया है।
युवा शिक्षा निदेशालय में अनशन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि 15 हजार सीटों से उनका भला होने वाला नहीं है। तीसरी बार के आवेदन लेने के बाद ही आवेदकों की संख्या 45 हजार पार हो गई थी इसलिए पद बढ़ाए जाएं। इसके लिए नवसृजित 16448 पदों को इस भर्ती में जोड़े जाने की मांग हो रही है, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी है। वहीं युवा लगातार 22 फरवरी से अनशन पर डटे हैं। भले ही शिक्षा विभाग के अफसर कोर्ट के आदेश की आड़ में इस भर्ती को लेकर मौन हो गए हैं, लेकिन सीटें बढ़ाने आदि पर कोई रोक नहीं है। यही नहीं इससे बड़ी संख्या में युवाओं को लाभ होगा तो वहीं खाली पड़े पदों को भी भरा जा सकता है।
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युवा इसको लेकर अनशन की राह पर बढ़ चुके हैं। वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, वहीं अफसर भी वाजिब मांग मानने के मूड में नहीं हैं।
प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। खाली पदों को लेकर अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट तक ढिंढोरा पीटा है, लेकिन उन पदों को भरने के लिए वह गंभीर नहीं है।
इसका ताजा प्रमाण 15 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला है। इसका शासनादेश 9 दिसंबर 2014 को निकला था। उसके बाद से अब तक चार बार अलग-अलग अर्हता वाले अभ्यर्थियों के आवेदन लिए गए और एक बार काउंसिलिंग भी कराई गई, लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया इससे आगे नहीं बढ़ पाई। चौथी बार के लिए आवेदन मांगने को कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है और इस मामले की सुनवाई भी चल रही है। कोर्ट के सख्त निर्देशों के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया को रोका गया है।
युवा शिक्षा निदेशालय में अनशन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि 15 हजार सीटों से उनका भला होने वाला नहीं है। तीसरी बार के आवेदन लेने के बाद ही आवेदकों की संख्या 45 हजार पार हो गई थी इसलिए पद बढ़ाए जाएं। इसके लिए नवसृजित 16448 पदों को इस भर्ती में जोड़े जाने की मांग हो रही है, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी है। वहीं युवा लगातार 22 फरवरी से अनशन पर डटे हैं। भले ही शिक्षा विभाग के अफसर कोर्ट के आदेश की आड़ में इस भर्ती को लेकर मौन हो गए हैं, लेकिन सीटें बढ़ाने आदि पर कोई रोक नहीं है। यही नहीं इससे बड़ी संख्या में युवाओं को लाभ होगा तो वहीं खाली पड़े पदों को भी भरा जा सकता है।
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