यह आरोप प्रायः मीडिया तथा समाज द्वारा सरकारी विद्यालयों पर लगाया
जाता है। इस विषय पर उत्तराखंड बोर्ड की इंटर की परीक्षा में
परीक्षार्थियों से आलेख लिखवाए जाने पर हमारे कई साथी तिलमिला रहे हैं।
उनकी तिलमिलाहट समझ से बाहर है। विषय साहसपूर्ण है तथा सच्चाई से आँख मिलाने का मौका देता है। कम से कम इसी बहाने इस विषय पर बात की जा सकती है। क्या इस विषय पर हमें ईमानदारी से आत्मावलोकन नहीं करना चाहिए ?
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उनकी तिलमिलाहट समझ से बाहर है। विषय साहसपूर्ण है तथा सच्चाई से आँख मिलाने का मौका देता है। कम से कम इसी बहाने इस विषय पर बात की जा सकती है। क्या इस विषय पर हमें ईमानदारी से आत्मावलोकन नहीं करना चाहिए ?
सरकारी शिक्षा में अगर कुछ गड़बड़ है तो क्या इसकी जिम्मेदारी सिर्फ
शिक्षक-शिक्षिकाओं की ही है ?
हमें नहीं भूलना चाहिए कि अगर कोई प्रश्नचिन्ह है तो वह समाज तथा राज्य के लिए भी है। इस विषय पर बौखलाहट व्यक्त कर शायद हम यही कहना चाह रहे हैं कि सरकारी शिक्षा के लिए केवल हमीं जिम्मेदार हैं।
यह आलेख इस विषय पर बच्चों की राय जानने के लिए है। अगर हम समर्पण से अपना काम कर रहे होंगे तो बच्चा लिखेगा, यह गलत बात है-हमारे विद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन समर्पण से होता है। क्या हमें अपने विद्यार्थियों पर भी यकीन नहीं है ? क्या हमें अपने पर यकीन नहीं है ?
क्या हम अपने विद्यालयों में पुस्तकालयों को सक्रिय कर बच्चों में अध्ययन की ललक पैदा कर रहे हैं ? क्या हम विज्ञान को प्रयोगों के जरिए समझाकर बच्चों में उसके प्रति जिज्ञासा पैदा कर रहे हैं ?
अगर हम अपना काम नौकरी नहीं अपनी रूचि के लिए कर रहे हैं तो दुनिया में चाहे कोई कुछ कहे हमें उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। अगर हम केवल नौकरी कर रहे हैं तो हमें किसी के भी कुछ कहने में परेशानी होगी ?
हमें नहीं भूलना चाहिए कि अगर कोई प्रश्नचिन्ह है तो वह समाज तथा राज्य के लिए भी है। इस विषय पर बौखलाहट व्यक्त कर शायद हम यही कहना चाह रहे हैं कि सरकारी शिक्षा के लिए केवल हमीं जिम्मेदार हैं।
यह आलेख इस विषय पर बच्चों की राय जानने के लिए है। अगर हम समर्पण से अपना काम कर रहे होंगे तो बच्चा लिखेगा, यह गलत बात है-हमारे विद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन समर्पण से होता है। क्या हमें अपने विद्यार्थियों पर भी यकीन नहीं है ? क्या हमें अपने पर यकीन नहीं है ?
क्या हम अपने विद्यालयों में पुस्तकालयों को सक्रिय कर बच्चों में अध्ययन की ललक पैदा कर रहे हैं ? क्या हम विज्ञान को प्रयोगों के जरिए समझाकर बच्चों में उसके प्रति जिज्ञासा पैदा कर रहे हैं ?
अगर हम अपना काम नौकरी नहीं अपनी रूचि के लिए कर रहे हैं तो दुनिया में चाहे कोई कुछ कहे हमें उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। अगर हम केवल नौकरी कर रहे हैं तो हमें किसी के भी कुछ कहने में परेशानी होगी ?
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