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बीपीएड डिग्रीधारकों ने किया ऐलान नियुक्ति नहीं मिली तो देंगे जान : अर्धनग्न प्रदर्शन कर आरपार की लड़ाई की घोषणा

लखनऊ। बीपीएड डिग्री धारकोें ने ऐलान किया है कि अगर नियुक्ति नहीं मिली तो वे जान देंगे। कहा हमें कई बार आश्वासन मिल चुका है। इस बार आर-पार की लड़ाई है। अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए सैकड़ों की तादाद में महिला-पुरुष बीपीएड डिग्रीधारी नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से लक्ष्मण मेला मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर डटे हैं। भूख हड़ताल के चलते कई डिग्रीधारियों की हालत बिगड़ गई लेकिन कोई भी प्रशासनिक अमला मौके पर झांकने तक नहीं गया। इसके विरोध में बीपीएड डिग्रीधारियों ने शनिवार को अर्धनग्न प्रदर्शन कर जमकर सरकार विरोधी नारेबाजी की। प्रदर्शन कारियों ने कहा हमें कई बार आश्वाशन मिल चुका है। इस बार आर.पार की लड़ाई है या तो सरकार हमें नियुक्ति दे नहीं तो हम सभी अपनी जान दे देंगे। बीपीएड संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र यादव ने कहा प्रदेश में करीब 85000 बीपीएड डिग्री धारक है। कई बार प्रदेश सरकार से झूठे आश्वासन दिये लेकिन आज तक नियमित नहीं किया। पिछले साल एक जून को सचिव बेसिक शिक्षा द्वारा प्रशिक्षित बीपीएड संघर्ष मोर्चा के शिष्ट मंडल को आश्वस्त किया था कि शीर्घ नियमित किया जाएगा लेकिन आज तक ऐसा नहीं किया गया।
                  ये हैं मांगें
31 दिसम्बर 2014 की घोषणा के अनुसार प्रदेश के 46 हजार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। एक सितंबर 2015 को प्रदेश अध्यक्ष समेत 101 नामजद एवं आठ हजार अज्ञात बीपीएड डिग्रीधारियों पर दर्ज केस वापस लिया जाए। बसपा शासनकाल 21 नवम्बर 2011 को पांच नामजद बीपीएड धारकों पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए।
मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन: मानदेय बढ़ाने समेत नौ सूत्रीय मांगों को लेकर आदर्श लोक शिक्षा वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में कई जिलों से आए शिक्षा प्रेरकों ने लक्ष्मण मेला मैदान में जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित मांगपत्र जिला प्रशासन को सौंपा।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सतेंद्र यादव ने कहा प्रदेश सरकार की कई योजनाओं जैसे चुनावी साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, विधिक साक्षरता, चुनावी ड्यूटी, पोलियो, टीका करण बीएलओ समेत कई कार्यों को जमीनी स्तर पर शिक्षा प्रेरक पहुंचाने का काम करते हैं लेकिन इनका वेतन बहुत कम है। इसके चलते परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।

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