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पढियेगा जरूर : जानिए क्या मिला धरने में: मागें जो पूरी करने का मिला आश्वाशन : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

कल जो गरजे, दहाड़े, जिनके द्वारा खोखले आश्वाशन दिए गए ये ही हमारी पेंशन की हत्या के पूर्णतः जिम्मेदार है। 2004 में राष्ट्रीय स्तर पर अगर ताले बंदी ये अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ कर देता तो ये नयी लागू ही नहीं होती।इनको कभी माफ़ नहीं किया जा सकता।
इनके नाकारापन और धोखे बाजी की वजह से ही कई संघ बने
- जूनियर शिक्षक संघ
- विशिष्ट बीटीसी शिक्षक एसोसिएशन
- अंतर्जनपदीय
- शिक्षामित्र
- अनुसूचित जाति
- sc-st
- अटेवा
- यूटा
 अगर प्राथमिक शिक्षक संघ की नीतियां 100% सही थीं, तो शिक्षक इतने धड़ों में क्यों बटा, जिसने हमारा भविष्य चौपट कर दिया, उन भविष्य के हत्यारों को कैसे भूल जाएँ

जब पाल्यों के अंक कटे तब ये कहाँ थे
 जब sdi पर प्रमोशन का आदेश हटा, तब ये कहाँ थे
जब 17140 की समस्या कई साल से अपंग रही, तब से ये कहाँ थे
जब 2005 के बाद वाले लोगों की पेंशन बंद की जा रही थी, तब ये कहाँ थे। बताएं तब कितने दिन की ताले बंदी की गयी थी, किसी को याद आता हो तो बताये। क्यों नहीं उस समय 15 दिन के लिए स्कूलों में ताले जड़ दिए गए
जब एक ही रेजिस्ट्रेशन नंबर पर दो संघों ने शिक्षकों से पैसा वसूली की, चंदे के नाम पर तब इनकी नैतिकता कहाँ गयी। दोनों गुटों से कोटा मनी जमा करवाया गया, जबकि रेजिस्ट्रेशन एक ही था। वापस एक ही गुट हो जाने पर एक पक्ष का कोटा मनी कहाँ गया। हमारे एसोसिएशन का हम ऑडिट कराने को हमेशा तैयार खड़े हैं, चाहे कोई जिले का करा ले, चाहे प्रदेश का। क्या ये अपना हिसाब दे पायँगे। आखिर कोटा मनी में दिया गया पैसा किसका था....हमारे शिक्षक का!!!
युवाओं की ऊर्जा का शोषण करने वाला पहला संघ , प्राथमिक शिक्षक संघ रहा।
 माननीय ओम प्रकाश शर्मा जी को 7 बार विधान परिषद् पहुँचाने वाले कौन....शिक्षक....समर्थन किसका ...प्राथमिक शिक्षक संघ का....पिछले 10 वर्ष में उनकी शिक्षकों के प्रति उपलब्धि किसी को याद आती हो तो बताएं।
 खंड शिक्षा अधिकारी को CCL स्वीकृत करने का अधिकार मिलने के बाद शोषण बढ़ा या घटा....ये आदेश जारी होते समय ये संघ कहाँ था।पहले आदेश जारी होते समय मौन हो जाओ, फिर उसे हटवाने के नाम पर युवाओं की ऊर्जा का शोषण कर भीड़ बुलाओ, फिर हटवा कर उसे उपलब्धि बताओ।.....हमारा युवा अब इतना मूर्ख नहीं है, हम आगे बढ़कर खुद ही अपना हक़ छीन लेंगे।कमियां हममे भी हैं, मानता हूँ....पर इन हत्यारों को बर्दाश्त करना मेरे लिए तो कम से कम मुमकिन नहीं।ये हत्यारे हैं....मेरे और मेरे बच्चों, परिवार के भविष्य के हत्यारे
मैं इन्हें कभी माफ़ नहीं कर सकता, कोई करना चाहे तो कर दे.
..मैं इतना बड़ा अभी संत नहीं, माफ़ी चाहूँगा। इन्होंने 10 साल पहले जो नालायकी और धोखा किया था, उसकी वजह से विशिष्ट बी टी सी 2004 बैच के 40,000 हजार शिक्षक शिक्षिकाएं 10 साल से दर दर की ठोकर खा रहे हैं। हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, विधायक, मंत्री, निदेशक, सचिव.... और न जाने कितनी चौखटें देखनी पड़ गयीं इनके धोखे की वजह से।।
अब उठो खुद लडो ।


साथियों निवेदन है कि कोई बुरा ना मानियेगा..लेकिन मैं आज के आंदोलन में प्राप्त हुई. ऐतिहासिक सफलता पर अपना विचार..व्यक्त करना चाहता हूँ...


साथियो आज का धरना ऐतिहासिक था..........????? अपार जनसमूह(शिक्षक) के आगे सरकार को घुटने टेकने पड़े....... हमारी लगभग सारी मांगे मान ली गयी...ये कुछ बयानात है आज के आंदोलन के नेतृत्व कर्ताओं के ....

जो मांगे सरकार ने मानी है, जिनके आधार पर आज के आंदोलन को ऐतिहासिक करार दिया जा रहा है...उसका विन्दुवार विश्लेषण निम्नवत है..
1-दूध वितरण और sms..
यथार्थ में कितने लोग यह कार्य करते थे???
इसके लिए तो प्रतिनिधिमण्डल भी मिलता सचिव से...तो आदेश हो जाता...
2-abrc निरीक्षण नही करेंगे..
इसमें कौन सा तीर मार लिया.. अरे आदेश होता..कि अब beo निरीक्षण नही करेंगे तो कोई बात होती.....
3-मृतक आश्रित और पाल्यों को btc में वेटेज---
यथार्थ यह है कि पिछले सत्र की ही 11 हजार सीटें btc की खाली है ...जब नौकरी मिलनी नही
..तो btc करके हमारे बच्चे क्या करेंगे....
4-17140/18150 इस सम्बन्ध में शायद विशिष्ट की याचिका पर hc पहले ही आदेश दे चुका है...तो आज नही तो कल सरकार को देना ही...
5-hra सम्बन्धी आदेश भी पहले हो चुका है....
&--दिखावे के लिए जोड़ी गयी. दूसरी सबसे महत्वपूर्ण मांग "अंतर्जनपदीय ट्रान्सफर"
इस सम्बन्ध में विशिष्ट के आंदोलन में..पहले सरकार द्वारा लिखित रूप में अप्रैल में करने का आश्वासन दिया जा चुका है..
अब इसमें भी इन लोगों ने कौन सी तीर मार लिया...भगवान जाने ....
सबसे महत्वपूर्ण मांग "पुरानी पेंशन"पता ही नही क्या हुआ ??
वास्तव में इस सम्बन्ध में मेरा स्पष्ट मत है...
कि यह सम्पूर्ण देश के कर्मचारियों का मामला है.. अतः जब तक देशभर के कर्मचारी/शिक्षक संगठन एक मंच पर आकर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन नही करेंगे...तब तक कुछ नही होने वाला.....

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब पुरानी पेंशन खत्म की जा रही थी..तब ये कहाँ थे??इन्होंने उस समय विरोध क्यों नही किया???इन्हें आज पेंशन का मुद्दा क्यों याद आया ??????


आप सभी बुद्दिजीवी है विचार करिएगा....



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