इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दारोगा व प्लाटून कमांडर भर्ती-2011 में क्षैतिज
आरक्षण नियमों के विपरीत विशेष आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों को केवल
सामान्य वर्ग में चयनित करने को अवैध करार दिया है।
कोर्ट ने चयन निरस्त करते हुए विशेष कोटे के अभ्यर्थियों को सामान्य व आरक्षित वर्ग में श्रेणीवार समायोजित करने का निर्देश दिया है। विशेष कोटे में महिला, पूर्व सैनिक व सेनानी आश्रित अभ्यर्थी हैं जिन्हें क्षैतिज आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है।
कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न करने पर राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बार्ड पर 10 हजार प्रति याची कुल दो लाख 80 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। 1यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने आशीष कुमार पांडेय व अन्य 28 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को चार हफ्ते के भीतर हर्जाना राशि महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही मेरिट सूची के नीचे से पुरुष अभ्यर्थियों को हटाकर श्रेणीवार समायोजन करने को कहा है। समायोजन से जो पद खाली हो जाएंगे वे अगली भर्ती में भरे जाएंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना राशि की वसूली भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के वेतन से की जाए। याचिकाओं के अनुसार 19 मई 2011 को 3698 दारोगा व 312 प्लाटून कमांडर की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया। जब परिणाम घोषित हुआ तो विशेष कोटे के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के कोटे में भर्ती कर लिया गया। यह आरक्षण के 50 फीसद चयन सिद्धांत के विपरीत था।
इस प्रकार आरक्षण 77 फीसद पहुंच गया। कोर्ट ने इसे शासनादेश व सुप्रीम कोर्ट के इन्द्रा साहनी केस के खिलाफ माना और कहा कि महिलाओं की विशेष श्रेणी को सामान्य व आरक्षित वर्ग में चयनित किया जाना चाहिए था।
ऐसा न करना अनुच्छेद 162 का उल्लंघन है। महिलाओं को 20 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। इसके तहत 740 महिलाओं की भर्ती होनी थी। 261 ही उपलब्ध थीं जिसमें 19 पिछड़े वर्ग व एससी में है। इनमें 78 को सामान्य, 173 को पिछड़ा वर्ग व 10 को एससी में चयनित करना था। ऐसा न कर सभी को सामान्य वर्ग में समायोजित करना गलत है। कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों को समायोजन के बाद प्रशिक्षण के लिए भेजने का भी निर्देश दिया है
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कोर्ट ने चयन निरस्त करते हुए विशेष कोटे के अभ्यर्थियों को सामान्य व आरक्षित वर्ग में श्रेणीवार समायोजित करने का निर्देश दिया है। विशेष कोटे में महिला, पूर्व सैनिक व सेनानी आश्रित अभ्यर्थी हैं जिन्हें क्षैतिज आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है।
कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न करने पर राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बार्ड पर 10 हजार प्रति याची कुल दो लाख 80 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। 1यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने आशीष कुमार पांडेय व अन्य 28 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को चार हफ्ते के भीतर हर्जाना राशि महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही मेरिट सूची के नीचे से पुरुष अभ्यर्थियों को हटाकर श्रेणीवार समायोजन करने को कहा है। समायोजन से जो पद खाली हो जाएंगे वे अगली भर्ती में भरे जाएंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना राशि की वसूली भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के वेतन से की जाए। याचिकाओं के अनुसार 19 मई 2011 को 3698 दारोगा व 312 प्लाटून कमांडर की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया। जब परिणाम घोषित हुआ तो विशेष कोटे के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के कोटे में भर्ती कर लिया गया। यह आरक्षण के 50 फीसद चयन सिद्धांत के विपरीत था।
इस प्रकार आरक्षण 77 फीसद पहुंच गया। कोर्ट ने इसे शासनादेश व सुप्रीम कोर्ट के इन्द्रा साहनी केस के खिलाफ माना और कहा कि महिलाओं की विशेष श्रेणी को सामान्य व आरक्षित वर्ग में चयनित किया जाना चाहिए था।
ऐसा न करना अनुच्छेद 162 का उल्लंघन है। महिलाओं को 20 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। इसके तहत 740 महिलाओं की भर्ती होनी थी। 261 ही उपलब्ध थीं जिसमें 19 पिछड़े वर्ग व एससी में है। इनमें 78 को सामान्य, 173 को पिछड़ा वर्ग व 10 को एससी में चयनित करना था। ऐसा न कर सभी को सामान्य वर्ग में समायोजित करना गलत है। कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों को समायोजन के बाद प्रशिक्षण के लिए भेजने का भी निर्देश दिया है
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