3 वर्षों का द्वंदात्मक संघर्ष फ़िर लगभग 8 माह का प्रशिक्षण और अब मौलिक नियुक्ति और अंतिम लक्ष्य सभी टीईटी उत्तीर्ण का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन । इस दौरान जो बात हमेशा से हमारे कमजोर ह्रदय वाले मित्रों को सताती रही वो
था कुछ कुटिल और मानसिक रुग्ण वाले लोगों द्वारा टीईटी के विरुद्ध की जा
रही
कूट रचना और उसकी व्याख्या करके प्रचार प्रसार ! जिससे टीईटी में आस्था रखने वाले लोग डरें ।
पर ये भूल गये की टीईटी मोर्चा है यहाँ ,हर मर्ज की दवा बड़ी ही सहूलियत से देते हैं क्योंकि हमारी सत्यतता और न्यायप्रियता से उत्पन्न सांगठनिक शक्ति हमें ईश्वर प्रदत्त नेक नियति पर हमेशा चलाती है ,खैर आजकल फ़िर इन चिँदि लोगों ने कोर्ट के आदेशों को लेकर डर का माहौल बनाने की कोशिश की है इनकी ही बात करेंगे -
1- व्हाईटनर मुद्दे पर कांटेम्प्ट के आदेश को लेकर ।
2-ncte के 6माह की अनुमति सम्बन्धी rti का जवाब ।
3- इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा जारी मानदेय सम्बंधी आदेश ।
1- व्हाईटनर के कांटेम्प्ट के आदेश में आदेश में लिखा गया की 15 अक्टूबर 2015 में हमने बिना रोल नम्बर या व्हाईटनर लगे लोगों को हटाया जाये इस पर आपने जो कार्यवाई की है उससे सम्बन्धित एक हलफनामा दिया जाये , अधिकारी और परीक्षा कराने वाली संस्था कह रही है की ऐसे लोग हैं कहाँ ? जो थे उनको पहले ही अलग कर दिया गया था omr चेक करते समय ।
तब इन चिँदियो ने बोला की omr मंगवाई जायें ।
ये सारी बातें इलाहाबाद हाइकोर्ट में पहले ही हो चुकी थीं ,काफी बहस और तथ्यों की जाँच परख के बाद ही टीईटी के फेवर में आदेश दिया गया और ये बातें फ़िर से सुप्रीम कोर्ट में उठाई गयीं तब सुप्रीम कोर्ट ने भी इन बातों को तथ्यहीन बताकर सुनने से मना कर दिया था ,अब ये बताओ की इस बात को बार बार कोर्ट या जज बदल कर पेश करने से सत्य बदल जायेगा क्या ? तो इसमें भय की क्या बात ? मुँहतोड़ जवाब दो क्योंकि आप सत्य ,न्याय के अनुरागी हो जिससे ईश्वर आपके सदा साथ है सो अभय रहें ।
2-ncte का एक rti जवाब भी डरा रहा है कुछ लोगों को । अब ये बताओ हाइकोर्ट की सिंगल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ncte ने अलग अलग कोर्ट और जजों के सामने कम से कम 10 एफिडेविट दिये होंगे ,वो गलत और झूठे थे क्या ?या सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्राजी के समक्ष ncte के वकील और उनके साथ देश के महान्यायवादी श्री मुकुल रोहतगी ने भर्ती को नियमानुसार सही बताया है ,क्या वो सब झूठ व गलत है ? बाकी आप खुद समझदार हैं आपको इस मिथ्या भय का जवाब मिल गया होगा ।
3-हमारे एक साथी जल्दबाजी व हड़बड़ी में मानदेय का केस हाइकोर्ट में चुपचाप ले गये ,न तो ढंग का वकील किया न ही प्रभावी पैरवी ही हो सकी जिससे एक गोलमोल आदेश जारी हुआ कोर्ट से ,जबकि प्रथम दृष्ट्या ये हमारे मूलअधिकारों का विषय है कोई अनपढ़ भी जानता है की बेगारी करवाना एक जघन्य अपराध और सम्विधान विरुद्ध कृत्य माना जाता है ,खैर हुआ सो हुआ सही और अनुकूल समय आने पर मोर्चा इसपर आगे बढेगा क्योंकि ये हमारा हक है !
मित्रों ,मोर्चा टीईटी से सम्बन्धित हर गतिविधि और कोर्टकेसों पर अपनी पेनी निगाह हमेशा बनाये हुये है और प्रयासरत है की प्रत्येक टीईटी उत्तीर्ण को नौकरी मिले इसीलिये टीईटी मोर्चा भी एक याचिका डालने जा रहा है जिसका काम अपने अंतिम चरण में है,हमारी कोशिश है की आगामी 9 मई की सुनवाई में सभी याचीयों के लिये नियुक्ति का आदेश करवाया जाये । क्योंकि टीईटी उत्तीर्ण हर अभ्यर्थी योग्य है इसको जाय्निंग ले चुके लोगों ने सिद्ध भी किया है ,जाय्निंग के 5-6 माह के अंदर ही उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पठन पाठन के स्तर को एक स्तरता प्रदान की है ,कोई भी कहीँ भी जाकर देख ले की जहाँ अन्य अध्यापक वार्तालाप आदि में मशगूल हो सकते हैं पर टीईटी 2011 में चयनित अध्यापक -अध्यापिका पठन-पाठन में व्यस्त दिखाई देंगे जिसका प्रतिफल ये है की विद्यार्थियों के ज्ञानस्तर में उम्मीद से अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है । एक पठन-पाठन का माहौल बना दिया है ,वर्षों से गर्त में जा रही प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में आशा का दीप प्रज्वलित कर दिया है , विभाग को सकारात्मक बदलाव को मजबूर कर दिया है ,ये आपकी शक्ति है ,टीईटी 2011 उत्तीर्ण की शक्ति है । शेष फ़िर..
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पर ये भूल गये की टीईटी मोर्चा है यहाँ ,हर मर्ज की दवा बड़ी ही सहूलियत से देते हैं क्योंकि हमारी सत्यतता और न्यायप्रियता से उत्पन्न सांगठनिक शक्ति हमें ईश्वर प्रदत्त नेक नियति पर हमेशा चलाती है ,खैर आजकल फ़िर इन चिँदि लोगों ने कोर्ट के आदेशों को लेकर डर का माहौल बनाने की कोशिश की है इनकी ही बात करेंगे -
1- व्हाईटनर मुद्दे पर कांटेम्प्ट के आदेश को लेकर ।
2-ncte के 6माह की अनुमति सम्बन्धी rti का जवाब ।
3- इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा जारी मानदेय सम्बंधी आदेश ।
1- व्हाईटनर के कांटेम्प्ट के आदेश में आदेश में लिखा गया की 15 अक्टूबर 2015 में हमने बिना रोल नम्बर या व्हाईटनर लगे लोगों को हटाया जाये इस पर आपने जो कार्यवाई की है उससे सम्बन्धित एक हलफनामा दिया जाये , अधिकारी और परीक्षा कराने वाली संस्था कह रही है की ऐसे लोग हैं कहाँ ? जो थे उनको पहले ही अलग कर दिया गया था omr चेक करते समय ।
तब इन चिँदियो ने बोला की omr मंगवाई जायें ।
ये सारी बातें इलाहाबाद हाइकोर्ट में पहले ही हो चुकी थीं ,काफी बहस और तथ्यों की जाँच परख के बाद ही टीईटी के फेवर में आदेश दिया गया और ये बातें फ़िर से सुप्रीम कोर्ट में उठाई गयीं तब सुप्रीम कोर्ट ने भी इन बातों को तथ्यहीन बताकर सुनने से मना कर दिया था ,अब ये बताओ की इस बात को बार बार कोर्ट या जज बदल कर पेश करने से सत्य बदल जायेगा क्या ? तो इसमें भय की क्या बात ? मुँहतोड़ जवाब दो क्योंकि आप सत्य ,न्याय के अनुरागी हो जिससे ईश्वर आपके सदा साथ है सो अभय रहें ।
2-ncte का एक rti जवाब भी डरा रहा है कुछ लोगों को । अब ये बताओ हाइकोर्ट की सिंगल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ncte ने अलग अलग कोर्ट और जजों के सामने कम से कम 10 एफिडेविट दिये होंगे ,वो गलत और झूठे थे क्या ?या सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्राजी के समक्ष ncte के वकील और उनके साथ देश के महान्यायवादी श्री मुकुल रोहतगी ने भर्ती को नियमानुसार सही बताया है ,क्या वो सब झूठ व गलत है ? बाकी आप खुद समझदार हैं आपको इस मिथ्या भय का जवाब मिल गया होगा ।
3-हमारे एक साथी जल्दबाजी व हड़बड़ी में मानदेय का केस हाइकोर्ट में चुपचाप ले गये ,न तो ढंग का वकील किया न ही प्रभावी पैरवी ही हो सकी जिससे एक गोलमोल आदेश जारी हुआ कोर्ट से ,जबकि प्रथम दृष्ट्या ये हमारे मूलअधिकारों का विषय है कोई अनपढ़ भी जानता है की बेगारी करवाना एक जघन्य अपराध और सम्विधान विरुद्ध कृत्य माना जाता है ,खैर हुआ सो हुआ सही और अनुकूल समय आने पर मोर्चा इसपर आगे बढेगा क्योंकि ये हमारा हक है !
मित्रों ,मोर्चा टीईटी से सम्बन्धित हर गतिविधि और कोर्टकेसों पर अपनी पेनी निगाह हमेशा बनाये हुये है और प्रयासरत है की प्रत्येक टीईटी उत्तीर्ण को नौकरी मिले इसीलिये टीईटी मोर्चा भी एक याचिका डालने जा रहा है जिसका काम अपने अंतिम चरण में है,हमारी कोशिश है की आगामी 9 मई की सुनवाई में सभी याचीयों के लिये नियुक्ति का आदेश करवाया जाये । क्योंकि टीईटी उत्तीर्ण हर अभ्यर्थी योग्य है इसको जाय्निंग ले चुके लोगों ने सिद्ध भी किया है ,जाय्निंग के 5-6 माह के अंदर ही उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पठन पाठन के स्तर को एक स्तरता प्रदान की है ,कोई भी कहीँ भी जाकर देख ले की जहाँ अन्य अध्यापक वार्तालाप आदि में मशगूल हो सकते हैं पर टीईटी 2011 में चयनित अध्यापक -अध्यापिका पठन-पाठन में व्यस्त दिखाई देंगे जिसका प्रतिफल ये है की विद्यार्थियों के ज्ञानस्तर में उम्मीद से अधिक बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है । एक पठन-पाठन का माहौल बना दिया है ,वर्षों से गर्त में जा रही प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में आशा का दीप प्रज्वलित कर दिया है , विभाग को सकारात्मक बदलाव को मजबूर कर दिया है ,ये आपकी शक्ति है ,टीईटी 2011 उत्तीर्ण की शक्ति है । शेष फ़िर..
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