शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों में अभी वक्त लगेगा। मुख्यमंत्री कार्यालय
ने बेसिक शिक्षा विभाग से पूछा है कि वह इस बात को सुनिश्चित कैसे करेगा कि हर जिले में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या बरकरार रहे।
यह तो तय हो चुका है कि शिक्षकों के तबादले किसी भी जिले में सृजित पदों से ज्यादा नहीं होंगे यानी हर जिले में जितने पद हैं उतने ही शिक्षकों को तैनाती मिलेगी लेकिन यह तय नहीं किया गया है कि किसी भी जिले में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या क्या होनी चाहिए। मसनल, श्रावस्ती व बहराइच से तबादला लेने वाले शिक्षकों की संख्या ज्यादा होती है। यहां अगर 1000 शिक्षक तैनात हैं और सब दूसरे जिलों की रिक्तियों में आवेदन कर तबादला लेना चाहें तो पूरा जिला खाली हो जाने की संभावना है। ऐसे में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या तय करना जरूरी है ताकि इससे ज्यादा शिक्षक जिले से बाहर न जा सकें।
2012 व 2013 में हुए तबादलों में श्रावस्ती व बहराइच से तबादला लेने वाले शिक्षकों की संख्या काफी ज्यादा थी। वहां इन जिलों में जिन शिक्षकों ने तबादला लिया था उन्होंने वहां जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में इन जिलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम हो गई। ये शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिले हैं। वहीं लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, नोएडा आदि ऐसे जिले हैं जहां शिक्षकों की संख्या सृजित पदों से ज्यादा है।
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यह तो तय हो चुका है कि शिक्षकों के तबादले किसी भी जिले में सृजित पदों से ज्यादा नहीं होंगे यानी हर जिले में जितने पद हैं उतने ही शिक्षकों को तैनाती मिलेगी लेकिन यह तय नहीं किया गया है कि किसी भी जिले में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या क्या होनी चाहिए। मसनल, श्रावस्ती व बहराइच से तबादला लेने वाले शिक्षकों की संख्या ज्यादा होती है। यहां अगर 1000 शिक्षक तैनात हैं और सब दूसरे जिलों की रिक्तियों में आवेदन कर तबादला लेना चाहें तो पूरा जिला खाली हो जाने की संभावना है। ऐसे में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या तय करना जरूरी है ताकि इससे ज्यादा शिक्षक जिले से बाहर न जा सकें।
2012 व 2013 में हुए तबादलों में श्रावस्ती व बहराइच से तबादला लेने वाले शिक्षकों की संख्या काफी ज्यादा थी। वहां इन जिलों में जिन शिक्षकों ने तबादला लिया था उन्होंने वहां जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया। ऐसे में इन जिलों में शिक्षकों की संख्या काफी कम हो गई। ये शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े जिले हैं। वहीं लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, नोएडा आदि ऐसे जिले हैं जहां शिक्षकों की संख्या सृजित पदों से ज्यादा है।
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