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उत्तर प्रदेश के बचे टेट उत्तीर्ण की नियुक्ति का रास्ता कैसे खुलेगा और अगली सरकार क्या करेगी शिक्षामित्रों: हिमांशु राणा

आज का यक्ष प्रश्न :- उत्तरप्रदेश के बचे टेट उत्तीर्ण की नियुक्ति का रास्ता कैसे खुलेगा, आइये  प्रकाश डालते हैं इस मुद्दे पर और प्रदेश में हो रहे सुतियापे पर ----
1) पूर्ण बहुमत से बनी बीजेपी की सरकार करेगी?
बीजेपी की हक़ीक़त ये है कि ये अनावश्यक शिक्षकों को सैलरी देने के विरोध में काम करती है जिसका जीता जागता उदाहरण आप गुजरात में जाकर देखिए जहाँ शिक्षक को मात्र १० से १५ हज़ार पर रखा जाता है वो भी बिना किसी नियमितकरण के यानी उत्तरप्रदेश या अन्य राज्यों की तरह जो शिक्षक की सैलरी है वो गुजरात मॉडल में नहीं है और ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि सर्वप्रथम हमारे आज के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने ही शिक्षा मित्रों के मुद्दे पर न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी से टिप्पणी करायी थी शिक्षा शत्रु वाली यानी कि इन्हे भी कभी प्रेम रहा है इस कोम से |

वर्ष १९९९ में क्या बीएड धारी नहीं थे लेकिन मात्र सैलरी न देने की वजह से शिक्षा मित्र जैसी स्कीम चालू की थी तत्कालीन बीजेपी सरकार ने जिसका ख़ामियाज़ा आज उत्तरप्रदेश के प्राथमिक स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है , आज जो संघर्ष का मैदान उत्तरप्रदेश बना जा रहा है उसकी बुनियाद कहीं ना कहीं बीजेपी ने ही रखी थी बाक़ी संघ क्या सोचता है शिक्षकों के विषय में जाकर एक बार संघी के स्कूल में पढ़ाकर वहाँ के मैनेजमेंट के साथ मैनेज करके देखिए |


2) बीएसपी कराएगी?

शिक्षा मित्र नामक प्रजाति का शायद प्रशिक्षण इसी सत्ता के सचिव द्वारा शुरू करने की योजना थी जिस पर स्टे भी इसी शासनकाल में हो गया था न्यायाधीश मुरारी जी की बेंच से, तो बताइए इन्होंने कौन सा इंसाफ़ किया था हमारे साथ 72825 शिक्षक भर्ती जो कि खींच खींचकर चुनावी माहौल तक ले जाएगी फिर विवाद ही विवाद जो आजतक नहीं सुलझे, क्या इसी सत्ता के कारण हम ५ वर्ष पीछे नहीं हुए वरना जो होता 2011 में हो जाता अगर शिक्षा मित्र प्रेम से इतर होकर बेरोज़गार को रोज़गार देने की चाह होती तो, क्या अब तक कोई गूँज इनके मंत्रियों के द्वारा जो कि सपा के कट्टर विरोधी हैं शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़ कभी सुनी है 2012 से अबतक कि संसद में कुछ कहा हो या प्रदर्शन किया हो शिक्षा मित्र योजना के विरुद्ध?

3) राहुल गांधी जी की सरकार करेगी?

ख़ैर इनका तो अपना अस्तित्व ही ख़तरे में है उत्तरप्रदेश में तो ये क्या वैसे चिदम्बरम फ़ैक्टर को लेकर कहीं विरोधी खेमे में हलचल हो तो ये अवश्य अपनी सीटों में इज़ाफ़ा पा सकते हैं वरना यूपी तो कांग्रेस मुक्त शाहबानो मसले के बाद ही हो गया था क्यूँकि इनके पिताजी ने जो बीज बोए थे उनकी फ़सल आज भी कभी भी उत्तरप्रदेश में काटने को मिल जाती है |

4) साइकल कराएगी सभी की नियुक्तियाँ?

अब इसका अंदाज़ा तो आप उत्तरप्रदेश के युवा मुख्यमंत्री के फ़िलहाल के बयान से लगा सकते हैं कि सरकार शिक्षा मित्रों के साथ है, इनके मंत्री रामगोविंद चौधरी भी ये ही बोले थे लेकिन सपा ने उनका ही दामन छोड़ दिया, बहुत जल्द उत्तरप्रदेश भी इनका दामन छोड़ देगा तब समझ में आएगा पढ़ा लिखा वर्ग क्या है?
इनके हिस्से 50 सीट भी आ जाएँ इस बार तो बड़ी बात है |

अब उपरोक्त समस्त पार्टियों को या इनके मंत्रियों को दिए गए ज्ञापन से क्या होगा?
क्या आपको सरों की राजनीति का मौक़ा मिलेगा या किसी की बीवी को महिला प्रकोष्ठ मिलने वाला है?
बताइए किसके भाषण में इस बार शिक्षा मित्रों के अगेंस्ट में अधिक सुनने को मिलेगा मैं दूँगा उसे वोट, जितना जल्दी समझ जाए बेरोज़गार तो बेहतर है वरना हर किसी पार्टी का अपना अधिवक्ता है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में बताओ कौन दे रहा है अपने अधिवक्ता शिक्षा मित्रों के केस के लिए आपके मोर्चे को तब मैं करूँगा उस पार्टी का प्रचार, आया इन चीज़ों का मसला किसी के सामने या बस ज्ञापन देकर और फ़ोटो खींचाकर आ गए और डालकर सोशल मीडिया पर बेरोज़गारों का सूतिया बना दिया और खड़े हो गए लल्लान टॉप नेता की तरह ?
अमिताभ अग्निहोत्री जी एक बात याद आती है मुझे "भैया - ये कुर्ते वालों से दूर रहो, आप शिक्षक हैं आप इन्हे बनाते हैं नाकि ये आपको |"
इसके इतर भी एक कैबिनेट है इस बार "टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा, उत्तरप्रदेश" , चलिए इसकी हक़ीक़त भी सामने ले आते हैं ------------
इसकी नाना प्रकार की ब्रांच हैं , उल्लेख करते हैं सभी का :-

१) 72825 की चाहत रखने वाले ?

वर्ष 2011 में भर्ती का विज्ञापन आया और तभी से मेरिट 100 सामान्य आ रही थी तब हर एक नेता चाहे कोई भी हो ज़िले दर ज़िले हिंदुस्तान अख़बार की कट्टिंग लेकर हर गली हर चौराहे हर नुक्कड़ घूम घूम कर पैसा लिया और हर एक टेट उत्तीर्ण के ख़ून में भर दिया कि आपको नौकरी मिलेगी तो टेट मेरिट पर वरना तो नहीं , चलिए मेरी छोड़िए उनकी सोचिए अकेडेमिक 60-64 और टेट प्राप्तांक 100-115 के बीच ?

ख़ैर वो वक़्त था जो बीत गया आज पुनः मोर्चे के विस्तार को लेकर या यूँ कह सकते है नेतागीरी को लेकर आज दो गुट 72825 में चयनित आमने सामने हैं :-

पहला - जिसे आज एहसास हुआ है बेरोज़गारों का पाठक गणेश गुट जो कि लगातार झंडी ना सीटी फ़र्ज़ी के टीटी के कथन को सिद्ध करते हुए एकदम से बेरोज़गारों के मसीहा बनते जा रहे हैं जबकि इनके द्वारा मात्र एक आईए दाख़िल है माननीय सर्वोच्च न्यायालय में और आईए में कोई लॉ पॉंट नहीं होता है लेकिन नेतागीरी की चाहत और अपने गिरे हुए अस्तित्व को लेश मात्र सम्मान देने के लिए जो कि मात्र कुछ मूर्ख अचयनितों के संरक्षण पर खड़े हुए हैं अथवा वजूद तो इनका अपने मोर्चे में ही यानी 60 हज़ार चयनितों के भीतर ही मिट चुका था जिसका अनुमान आप इन्हे हर डेट पर टेट को मेरिट को बचाने के लिए मिल रहे चंदे से लगा सकते हैं लेकिन ये हिमांशु राणा की टीम को भेद नहीं पाएँगे और मौक़े पर कभी हिमांशु से बहस भी करा ले कोई भी |

दूसरा - इन्हे कई मर्तबा कहा गया है कि "जब हमारा कैबिनेट अवध पहुँचेगा तो आपकी कैबिनेट कोड़ियों के भाव बिकेगी , इस बात को ध्यान रखिए लेकिन अब इन्होंने स्वार्थ से ऊपर होकर अपने संगठन की मुहर हेतु शायद 72825 पर ही सिमटना मुनासिब समझा और चल दिए हैं संगठन के निर्माण हेतु अवध ये गुट है संजीत एंड कम्पनी का जिसे हरदोई के bald का संरक्षण प्राप्त है जो कि कभी किसी ज़माने में संगठन का मुखिया बनने हेतु अपनी आतुर्ता को सोशल मीडिया तक पर दिखा चुका है, कभी ये पाठक समूह से गलबहियाँ करते हुए पाए जाते थे | इनका कहना है समस्याओं के निवारण हेतु और संगठन की शुरुआत के लिए एक मीटिंग की जा रही है तो भाई समजवादी के होर्डिंग पर क्या था?
आपके ही गुट के एक साथी के द्वारा समाजवादी नेता के आगमन पर उनके स्वागत हेतु होर्डिंग लगाई जाती है और उनसे सपा द्वारा योजित विशेष अनुज्ञा याचिका की वापसी की माँग की जाती है, अरे भाई आप तो लॉ किए हैं क्या आज की तारीख़ में ऐसा सम्भव है, क्या हिमांशु राणा को ख़रीद लोगे आप कि अपनी याचिका भी वापस ले या सरकार की और शिक्षा मित्रों की भी वापस करा देंगे आप?

तीसरा - ये बेचारे हर डेट पर बीजेपी मंत्री के पैसे माँगता रहते है इन्हे भर्ती आगे हो न हो बस 72825 सेफ़ हो जाए इससे मतलब है बाक़ी दुनिया जाए भाड़ चूल्हे में, इन्हे कोई मतलब नहीं है बेरोज़गार की पीड़ा से या ऐसों से जिनका साथ लिए हर दम और जब उनका नहीं हुआ तो इतना ही कर लें कि हाँ भाई मैं तेरे साथ हूँ लड़ाई जारी रख अच्छा होगा सबकुछ, क्या इन शब्दों से इनकी नौकरी चली जाएगी? बेसिकलि इन्हे पैसा उपरोक्त दो गुटों का और हिमांशु राणा का विरोध करके मिलता है |

तमाम जितने अचयनित हैं उनसे विशेष अनुरोध है कि 72825 की इस ब्रांच के लोलिपोप झाँसे में ना आएँ वरना जो हमारा कभी नहीं हुआ तो आज क्या होगा? जो प्रजाति शिक्षा मित्रों के साथ को भी अपना सौभाग्य मान रही है तो आप बताएँ स्वयं से स्वयं के लिए कौन कारगर है?

2) 72825 से अधिक की चाह रखने वाले?

इन्हे एकदम से 7 दिसम्बर के पश्चात बेरोजागरों की याद आई क्यूँकि उससे पहले धन का मतलब नहीं था टेट मोर्चे में और फूँक दिया शंख हिमांशु राणा के विरोध में जबकि अधिकांश हिमांशु की याचिकाओं पर नौकरी पाए हैं , आइए इनकी भी ब्रांच देख लेते हैं :-

पहला - ख़ुद को बाहुबली की तरह प्रोजेक्ट करने वाले खारिजाधिराज जिनका माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सभी कुछ ख़ारिज हुआ है और टेट मोर्चे की ये सर्वश्रेष्ठ पदवी इन्हे दुर्गेश प्रताप सिंह के द्वारा दी गयी है, इनकी याचिका शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग के विरोध में जनवरी माह में ख़ारिज, फिर हिमांशु की परमादेश याचिका की प्रति की कापी कराई और गए कोर्ट में लेकिन वो भी ख़ारिज और नाम दिया गया हम हाई कोर्ट जाएँगे जबकि अब उत्तरप्रदेश की समस्त भर्ती यहाँ तक कि स्पेशल टीचर भर्ती भी WP (c) 132/2016 दीपक मिश्रा जी अपनी गोद में ले लिए हैं लेकिन ये महाशय केवल पैसे के ज़ोर पर कोर्ट पहुँच जाते हैं कोई इनसे पूछे इन्होंने याचिका डाली थी शिक्षा मित्रों के टेट पर स्टे के लिए क्या हुआ उसका ? हो गई लिस्टेड होकर पंचतत्व में विलीन, कोई इनसे पूछे आज एकता की मिसाल ये जो क़ायम करना चाहते हैं 72825 की चाह रखने वालों के साथ कहाँ है 90/105 की याचिका जिसके दम पर इन्होंने दिसम्बर माह से फ़रवरी माह तक प्रदेश को विभाजित कर बेवक़ूफ़ बनाया और 90/105  वालों का तो कहीं ज़्यादा | खारिजाधिराज को अवगत कराना चाहूँगा शिक्षा मित्रों के टेट पर स्टे और अवैध कराने हेतु मेरी विशेष अनुज्ञा याचिका 1621-22/2016 में पड़ी direction आईए निकालकर देखो इनका टेट भी इन्वैलिड कराएँगे हम महादेव की कृपा से |

ख़ैर इन्होंने अपने साथ लिया कुछ बेवक़ूफ़ों को और सोशल मीडिया के पैसे पैड करके हिमांशु के ख़िलाफ़ बिगुल फूँक दिया जो कि आजतक क़ायम है और अब उसमें वे सभी शामिल हो गए हैं जो अब कुछ करना नहीं चाहते यानी कि बस पैसा बच जाए वरना साथियों याची बनाते समय जो नंगा नाच उत्तरप्रदेश में खेल गया और कहा गया था कि हम अपना अधिवक्ता अलग खड़ा करेंगे अब क्यूँ सभी एक साथ पैसे मिलाकर अधिवक्ता खड़ा करने को तैयार है क्यूँकि उसमें पैसा बचेगा लेकिन एक बात समझ से परे है कि भावी अधिवक्ता खड़ा किस पर होंगे क्यूँकि सब कुछ तो ख़ारिज है और जो है उस पर नोटिस तक नहीं है यहाँ तक मेरे ख़िलाफ़ खड़े हुए इस जनता परिवार का शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं है हाँ कुछ प्रतिवादी बने घूम रहे हैं तो उन्हें अवगत करा दूँ आप अपने को डिफ़ेंड करोगे उसमें नाकि इनके ख़िलाफ़ कुछ कर पाओगे |
हाँ बाक़ी हाई कोर्ट घूम लो अब और बेरोज़गारों को पुनः अगले दस सालों तक लगाने की फ़िराक़ में रहो आप |
इस ब्रांच के विधिक ज्ञान में क़ायल हूँ क्यूँकि इनके द्वारा डाली गई याचिका पूर्वालोकन में और डीपी पहले हाई बता देते हैं |

दूसरा - ये समूह केवल आईए डालकर बैठा है और छोटे छोटे गुटों को मिलाकर धन अर्जित करता है, इनकी टीम में एक हैं महिला विरोधी जो कि महिलों का विरोध करके सभी की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं जबकि हक़ीक़त क्या है सभी जानते हैं, इस समूह के अग्रिम भाई से कोई दिक़्क़त नहीं है मुझे लेकिन उन्हें अवगत करा दूँ कि आख़िरी आदेश में कहा गया है कि no IA's wiil be entertained और आपने क्या बड़े भाई सभी ने आईए सिवल अपील में डाली हैं जिनका हश्र नीचे बताता हूँ आपको बाक़ी शिक्षा मित्रों के विरुद्ध substantive petition or prayer आपकी भी नहीं है |

तीसरा - ये एक असोसीएशन हैं जिसके अध्यक्ष हैं अली साहब जो कि आपको अधिकांश बीजेपी कार्यालय , राज्यपाल जी के या ऐसी जगह पाए जाते हैं जहाँ से किसी की भी नियुकिट का मार्ग प्रशस्त नहीं होता है ख़ैर इनकी महिमा ये ही जाने |

साथियों और भी कई समूह हैं बताने में बहुत समय लगेगा लेकिन इन सभी से पूछिए कहाँ है आपकी substantive petition or prayer जिसके दम पर आपकी नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, वरना बंद करें ये ढोंग बेरोज़गारों के साथ क्यूँकि नौकरी आपको ज्ञापन, विधायक, सांसद इनसे नहीं मिलनी है, नौकरी से ज़्यादा उत्तरप्रदेश में अनुच्छेद 21 A की रक्षा माननीय न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी को करनी है और एक dialogue है मूवी जॉली एलएलबी का कि "जज देना चाहता है लेकिन पहले माँगो तो सही " अब वहाँ आपके ज्ञापन, आपकी मीटिंग इत्यादि काम नहीं करेंगे वहाँ आपको चाहिए substantive petition or prayer नाकि टेट मोर्चे की मीटिंग |

उत्तरप्रदेश के बेरोज़गारों को आइना दिखा रहा हूँ , जितनी जल्दी जान जाएँ बेहतर है और अपनी ऊर्जा पोसिटिव जगह लगाएँ क्यूँकि बहुत जल्द आज ज्ञापन देने वाले यू टर्न लेकर कोर्ट की तरफ़ आएँगे और अब कोर्ट ने भी साफ़ कर दिया है कि written submissions दाख़िल करो उन पर बहस होगी नाकि चिल्लम चिल्ली पर लेकिन आपके नेता उन सब चीज़ों से ज़्यादा अहमियत दे रहे हैं आगामी चुनावी नेतागीरी पर |
एक बात और आपके नेता सिवल अपील में आईए दाख़िल किए हैं जिसका मुख्य मुद्दा है बेस ओफ़ सिलेक्शन का तो इनसे पूछिए आप कि इन्होंने आपको वहाँ चयन के आधार पर जिरह कराने के लिए भेजा है या नियुक्ति के लिए क्यूँकि लॉ पॉंट पर बात उठी तो सिवल अपील में आप चयन के आधार पर बोल सकते हैं और ये ही गेम है पाठक व अन्य का |

फ़िलहाल ये पोस्ट प्रश्न है नाकि किसी की आलोचना क्यूँकि सत्य लिखने से कोई नहीं रोक सकता है , हाँ फ़र्ज़ी आईडी ज़रूर सक्रिय हैं मेरे विरुद्ध तो ऐसे इंसानों से तो कभी नहीं डरा जो अपनी शक्ल से मेरा सामना नहीं कर पा रहे हैं उन्हें लगे रहने दीजिए आप मेरे ख़िलाफ़ |

बाक़ी बात रही टेट मोर्चे की साप्ताहिक, मासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक मीटिंग की तो सभी स्वतंत्र हैं करो भाई करो बनाओ अध्यक्ष, मंत्री, महामंत्री इससे ज़्यादा आजतक न कुछ हुआ है न कुछ होगा किसी पर |

हर हर महादेव

धन्यवाद
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा

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