राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र को ठप कराने
की तैयारी है। बुधवार को जिस तरह से चयन बोर्ड में न्यायालय की नोटिसें
पहुंची हैं उससे ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। बोर्ड की सभी गतिविधि ठप कराने
की योजना में जो शामिल हैं उन्हें भले ही अपेक्षित सफलता न मिल पाए, लेकिन
तैयारी में कहीं कोई कमी नहीं है।
यह सब तब हो रहा है जब दो सदस्यों ललित श्रीवास्तव एवं अनीता यादव के कामकाज पर न्यायालय ने रोक ल
चयन बोर्ड में बुधवार को एक के बाद एक न्यायालय से कई नोटिसें पहुंची हैं। यह नोटिसें चयन बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही सदस्यों पर अंगुली उठा रही हैं। खास बात यह है कि बोर्ड में जितने भी सदस्य बचे हैं लगभग सभी की घेराबंदी की गई है। यही नहीं सब पर अलग-अलग तरह के आरोप भी जड़े गए हैं। चयन बोर्ड में विनय कुमार रावत और मुहम्मद उमर लंबे समय से सदस्य हैं और इन पर अब तक अंगुली नहीं उठी थी, लेकिन इस बार उनकी योग्यता पर भी सवाल उठा है। ऐसे ही नए सदस्य नागेंद्र नाथ यादव एवं नगेंद्र सिंह यादव ने कुछ माह पहले ही कार्यभार ग्रहण किया उनके चयन को चुनौती दी गई है। वहीं बेसिक शिक्षा अपर निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुईं कुमारी रमेश शर्मा तक की नियुक्ति को गलत बताया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि सदस्य का आवेदन निकलने पर एक ही दावेदार आया और शासन ने उस पर मुहर लगा दी। इसमें मानकों की अनदेखी गई है। ज्ञात हो कि चयन बोर्ड में सदस्यों के दो पदों पर अपर निदेशक से सेवानिवृत्त अफसरों की तैनाती की जा सकती है। इसके बाद भी उनके चयन को भी गलत बताया जा रहा है। ऐसे ही चयन बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति व अन्य कार्यो को निशाने पर रखा गया है। इन मामलों की सुनवाई कब होगी यह अभी तय नहीं है, लेकिन न्यायालय के रुख पर ही अब चयन बोर्ड का भविष्य है।
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चयन बोर्ड में बुधवार को एक के बाद एक न्यायालय से कई नोटिसें पहुंची हैं। यह नोटिसें चयन बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही सदस्यों पर अंगुली उठा रही हैं। खास बात यह है कि बोर्ड में जितने भी सदस्य बचे हैं लगभग सभी की घेराबंदी की गई है। यही नहीं सब पर अलग-अलग तरह के आरोप भी जड़े गए हैं। चयन बोर्ड में विनय कुमार रावत और मुहम्मद उमर लंबे समय से सदस्य हैं और इन पर अब तक अंगुली नहीं उठी थी, लेकिन इस बार उनकी योग्यता पर भी सवाल उठा है। ऐसे ही नए सदस्य नागेंद्र नाथ यादव एवं नगेंद्र सिंह यादव ने कुछ माह पहले ही कार्यभार ग्रहण किया उनके चयन को चुनौती दी गई है। वहीं बेसिक शिक्षा अपर निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुईं कुमारी रमेश शर्मा तक की नियुक्ति को गलत बताया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि सदस्य का आवेदन निकलने पर एक ही दावेदार आया और शासन ने उस पर मुहर लगा दी। इसमें मानकों की अनदेखी गई है। ज्ञात हो कि चयन बोर्ड में सदस्यों के दो पदों पर अपर निदेशक से सेवानिवृत्त अफसरों की तैनाती की जा सकती है। इसके बाद भी उनके चयन को भी गलत बताया जा रहा है। ऐसे ही चयन बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति व अन्य कार्यो को निशाने पर रखा गया है। इन मामलों की सुनवाई कब होगी यह अभी तय नहीं है, लेकिन न्यायालय के रुख पर ही अब चयन बोर्ड का भविष्य है।
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