एनबीटी,लखनऊ लखनऊ यूनिवर्सिटी के तीन डिपार्टमेंट के प्रफेसरों पर
एक अभिभावक ने अपनी दो बेटियों के शारीरिक शोषण का आरोप लगाते हुए वीसी और
गवर्नर से शिकायत की है। 15 जुलाई को एलयू वीसी के दफ्तर में रिसीव करवाया
गया पत्र सोमवार को प्रॉक्टर ऑफिस पहुंचा, तब मामला सामने आया है।
इसमें बॉटनी, सोशियॉलजी और सोशलवर्क विभाग के प्रफेसरों द्वारा छात्राओं का शारीरिक शोषण करने की शिकायत की गई है।
पत्र में पीड़ित अभिभावक ने लिखा है कि एलयू में उनकी एक बेटी पीएचडी स्कॉलर है और दूसरी पीजी में पढ़ती है। दोनों यहां के बॉटनी, सोशियॉलजी और सोशलवर्क विभाग के प्रफेसरों द्वारा शारीरिक शोषण की शिकार हैं। प्रफेसर-शिक्षक प्रॉजेक्ट पूरा करवाने के नाम पर जबरन छात्राओं को देर तक रुकने के लिए बाध्य करते हैं। इसके बाद उनका शोषण करते हैं। जब छात्राएं इसका विरोध करती हैं उन्हें फेल करने की धमकी दी जाती है। पत्र में अभिभावक ने लिखा है कि ऐसी छात्राओं की संख्या बहुत है जो सिर्फ अपने भविष्य को संवारने के लिए प्रफेसरों के हाथों शोषण करवाने को मजबूर हैं। इसमें काफी संख्या में कैलाश छात्रावास की छात्राएं भी शामिल हैं। पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि इससे यूनिवर्सिटी की साख पर बुरा असर पर पड़ रहा है। हर बार छात्रों के बराबर या उनसे अधिक संख्या रहती थी जबकि इस बार अखबारों से पता चला है कि छात्राओं की संख्या छात्रों से कम हो गई है।
इस मामले की जांच प्रो़ निशी पांडेय को सौंपी गई है। अगर प्राइमरी जांच में कुछ पाया जाता है तो कमिटी बनाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- प्रो एसबी निमसे, वीसी एलयू
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इसमें बॉटनी, सोशियॉलजी और सोशलवर्क विभाग के प्रफेसरों द्वारा छात्राओं का शारीरिक शोषण करने की शिकायत की गई है।
पत्र में पीड़ित अभिभावक ने लिखा है कि एलयू में उनकी एक बेटी पीएचडी स्कॉलर है और दूसरी पीजी में पढ़ती है। दोनों यहां के बॉटनी, सोशियॉलजी और सोशलवर्क विभाग के प्रफेसरों द्वारा शारीरिक शोषण की शिकार हैं। प्रफेसर-शिक्षक प्रॉजेक्ट पूरा करवाने के नाम पर जबरन छात्राओं को देर तक रुकने के लिए बाध्य करते हैं। इसके बाद उनका शोषण करते हैं। जब छात्राएं इसका विरोध करती हैं उन्हें फेल करने की धमकी दी जाती है। पत्र में अभिभावक ने लिखा है कि ऐसी छात्राओं की संख्या बहुत है जो सिर्फ अपने भविष्य को संवारने के लिए प्रफेसरों के हाथों शोषण करवाने को मजबूर हैं। इसमें काफी संख्या में कैलाश छात्रावास की छात्राएं भी शामिल हैं। पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि इससे यूनिवर्सिटी की साख पर बुरा असर पर पड़ रहा है। हर बार छात्रों के बराबर या उनसे अधिक संख्या रहती थी जबकि इस बार अखबारों से पता चला है कि छात्राओं की संख्या छात्रों से कम हो गई है।
इस मामले की जांच प्रो़ निशी पांडेय को सौंपी गई है। अगर प्राइमरी जांच में कुछ पाया जाता है तो कमिटी बनाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- प्रो एसबी निमसे, वीसी एलयू
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