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अत्यंत आवश्यक बात : जो बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता व भ्रष्टाचार से जुड़ी है : Ganesh Dixit

एक अत्यंत आवश्यक बात करनी है जो बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता व भ्रष्टाचार से जुड़ी है । बेसिक में अगर आप किसी वरिष्ठ से पूँछेगे की विभाग में भ्रष्टाचार का आगमन कबसे हुआ तो वो स्पष्टरूप से बता देगा की जबसे बीआरसी पर एबीआरसी नामक लोग आये हैं
तबसे बेसिक के अध्यापकों से विधिवत उगाही शुरू हो गयी है ,इन एबीआरसी जो की बेसिक के अध्यापक ही हैं ,को विषय विशेषज्ञ के रूप में बीआरसी पर तैनात किया गया था की ये शिक्षामित्रों को ट्रैनिंग देने के साथसाथ अपने विषय में उन्नयन का कार्य करेंगे पर बीएसए स्तर पर किये गये चयन में पैसे और अप्रोच के बल पर योग्यता को दरकिनार कर अयोग्य और भ्रष्ट लोग ही ज्यादातर एबीआरसी पद पर काबिज हो गये और ऐसा गजब काम किये की समग्र बेसिक शिक्षा में इन्हें बीएसए/ एबीएसए का एटीएम कार्ड कहा जाने लगा है ।
आजकल ज्यादातर एबीआरसी का मूलकाम सुविधाशुल्क लेकर अध्यापकों को विद्यालय न आने की सुविधा प्रदान करवाना , अध्यापकों को फँसाने का भय दिखाकर वसूली करना ,वेतनभत्ते,सर्विसबुक या अन्य कागजी कार्यवाही हेतू बीआरसी/बीएसए कार्यालय के बीच मिड्मेन बनकर बीच में दलाली खाना ,हद तो तब हो गयी जब इनलोगों ने एबीएसए/ बीएसए और अन्य उच्चाधिकारियों को भी सेट करके अपने लभानुसार आदेश पारित करवाने लगे और अब आलम ये है की इन्हें बिना लिये दिये कोई भी बेसिक का अध्यापक अपना वेतन/एरियर तक नहीँ निकलवा सकता ।
ये लोग तरहतरह के कारण बनाकर पहले अध्यापकों का वेतन रुकवाते हैं फ़िर रुके हुये वेतन पर परसेंटेज लेकर लगवा देते हैं और इस खेल में अधिकारियों को कुछ दिलवाकर उनके खास बन जाते हैं , बेसिक में आपको अटॅचमेंट हो या ट्रान्स्फर या घर बैठे आपको वेतन चहिये हो तो आप इनसे सम्पर्क कीजिये ये सब काम करवाते हैं बस इनका विद्यालयी शिक्षा से कोई लेनादेना नहीँ है इसीलिये ज्यादातर एबीआरसी सामान्य बेसिक अध्यापक की तुलना में धनवान बन जाते हैं ।
ये सच्चाई यहाँ इसलिये बयां करनी पड़ी की इन लोगों को इस पद पर एक निश्चित समय के लिये लाया गया था और अब इनका इस पद पर बने रहने का समय समाप्त हो रहा है ऐसे में ये संगठित होकर स्थाई करने की माँग कर रहे थे ,पर अब कमाल की बात ये है की शासन इन्हें स्थाई करने जा रही है और इसमें इनकी मदद उच्चाधिकारी करने में लगे हैं , आखिर अधिकारीयों से ही तो इनका सालों से लेनादेना रहा है ?
एक शैक्षिक परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कल बेसिक शिक्षा सचिव को एबीआरसी के स्थायीकरण के लिये एक सिफारिशी पत्र लिखकर तर्क दिया की गत 6-7 सालों में इनकी कुशलता बढ़ गयी है और ये इस पद के लिये कुछ अतिरिक्त धन भी नहीँ लेते इसलिये इनको स्थाई कर दिया जाये ।
अधिकारी ने सिफारिश सही तर्क देकर की , बेसिक के भ्रष्टाचार में इन्हें पीएचडी हासिल हो गयी है जिसका नतीजा आप उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी स्कूल में जाकर देख सकते हैं ।
जो पराभाव दिखे उसके लिये ये भ्रष्ट तंत्र जिम्मेदार है पर शासन-प्रशासन की मिलीभगत तो देखिये की बड़ेबड़े सेमिनार करके उसमें बेसिक के शिक्षकों को कोसा जाता है और हर समस्या के लिये शिक्षक को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है ,शिक्षक क्या करे ? वह मर्यादा में बँधा लाचार है ।
पर अब ऐसा नहीँ होगा ।
टीईटी संघर्ष मोर्चा इन एबीआरसी के पुनःचयन का विरोध करता है और अगर इनका इस पद पर कार्यकाल बढ़ाया गया तो मोर्चा कोर्ट की शरण में जायेगा क्योंकि इनका चयन ही अवैध तरीके से किया गया था अत: इनका कार्यकाल किसी भी कीमत पर नहीँ बढ़ाया जा सकता है ।
टीईटी संघर्ष मोर्चा शासन से माँग करता है की वो एबीआरसी पद की उपयोगहीनता को देखते हुये इसे शून्यपद घोषित करे या फ़िर इस पद पर राज्यस्तरीय परीक्षा आयोजित करके योग्य व पात्र लोगों का चयन किया जाये ।
वर्तमान समय में पदस्थ एबीआरसी का यदि कार्यकाल बढ़ाया गया या स्थायीकरण किया गया तो टीईटी मोर्चा इसके खिलाफ कोर्ट में अपील करेगा । आप सभी निश्चिंत रहें...
भ्रष्टाचार एक देशद्रोह है ,लोग इससे जुड़े लोगों के सम्बन्ध में बात करने से डरते हैं पर हम लड़ने की बात कर रहे हैं और जीत का दावा है ।
यह सत्य और न्याय की शक्ति है ,संगठन की शक्ति का कमाल है इसीलिये अब लोग कहने लगे हैं की टीईटी वालों में दम है ।
शेष शाम को मीटिंग के बाद...
सन्घेय शक्ति सर्वदा ।
जय हिन्द जय टीईटी ॥
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