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सातवें वेतन कमेटी की रिपोर्ट को लेकर कर्मचारियों में बैचेनी

एक सप्ताह बाद भी नहीं सौंपी जा सकी है वेतन कमेटी रिपोर्ट विशेष संवाददाता / राज्य मुख्यालयसातवें वेतन कमेटी की पहली रिपोर्ट को लेकर प्रदेश के 22 लाख कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों में बेचैनी है। यह रिपोर्ट अभी तक सरकार को नहीं सौंपी जा सकी है।
सूत्रों के अनुसार सातवें वेतन कमेटी की रिपोर्ट 30 नवंबर को ही वेतन कमेटी के अध्यक्ष रिटायर आईएएस अधिकारी जी. पटनायक ने तैयार कर ली है लेकिन एक सप्ताह हो गया किन्हीं कारणों से यह रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी जा सकी है। इस देरी से प्रदेश के कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को में नाराजगी है। उनको लग रहा है कि कहीं देरी से रिपोर्ट आने पर विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता में फंस न जाए। रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपी जानी है। उसके बाद रिपोर्ट का अध्ययन किया जाना है और फिर मुख्यमंत्री इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए ले जाएंगे। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही रिपोर्ट को विभिन्न विभागों द्वारा लागू किया जाएगा। इस काम में समय लगेगा। इसके अलग-अलग शासनादेश जारी किए जाएंगे। सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र, उपाध्यक्ष मुदस्सिर हुसैन, सचिव ओंकार तिवारी, कोषाध्यक्ष गोपीकृष्ण श्रीवास्तव आदि नेताओं ने सरकार से मांग की है कि कर्मचारियों को सातवें वेतन और कैशलेस इलाज दोनों का जल्द से जल्द लाभ पहुंचाया जाए। इसमें देरी से कर्मचारी खिन्न हो सकता हैं। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वीपी मिश्रा, संयोजक सतीश पांडेय, प्रवक्ता सुशील बच्चा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा, निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि मिश्रा आदि नेताओं ने सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द रिपोर्ट को मंजूर कर कैबिनेट की मंजूरी लेकर इसे लागू कराएं। देरी से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है।
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