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फेसबुक के BTC TET से चयनित शकुल ने कुछ चिंताएं जाहिर की हैं,उनको हमारे जवाब नीचे दिए जा रहे हैं, देखें

न मैं बहुत बड़ा ज्ञानी हूँ और न होने का दावा करता हूँ बस अपनी थोड़ी बहुत समझ से कुछ कहने की हिम्मत कर रहा हूँ , हाइकोर्ट के अभी तक के आदेश , ncte की guideline को आधार बनाया जाए तो कुछ तथ्य स्पष्ट होते हैं
23 अगस्त 2010 के बाद से इस बेसिक विभाग में जो भी भर्ती हुयी हैं उनमें टेट एक अनिवार्य योग्यता है और जब से rte लागू हुई है 9बी भी अपना अस्तित्व रखता है ।
1. फिर जुलाई 11 में बीटीसी/स्पे बीटीसी की जो भर्ती हुईं क्या वो रद्द नहीं ? क्योंकि न वो टेट से हैं और न उनमे कोई वेटेज की बात है ... अगर वो सिर्फ इस बात से सेफ हैं कि उस समय स्टेट में rte नहीं था तो फिर 9770 या 10800 क्यों सेफ नहीं , क्योंकि उस समय 15थ भी रद्द नहीं था?

2. जितना मुझे पता है और जितनी अंग्रेजी मैंने पढ़ी है वेटेज का तात्पर्य अतिरिक्त अंको से होता है जैसा दूसरी भर्तियों में भी होता रहा है । वेटेज दिया तो साथ में अकादमिक मेरिट या कोई एग्जाम भी हुआ ....पर 72825 का पुराना विज्ञापन जब माया जी ने ठीक चुनाव से पहले निकाला तो उनके पास न मेरिट का समय था(जो उस समय मौजूद थी)और न परीक्षा का तो उन्होंने पूरी की पूरी मेरिट की टेट की बना दी । तो क्या तब इसको भारांक के रूप में लिया गया ?

जितनी समझ मेरी है सुप्रीम कोर्ट ऐसा कोई फैसला नहीं लेगा जो ncte की अस्पष्ट व्याख्या के कारण हज़ारो टेट पास युवकों को फिर से बेरोजगार कर दे फिर चाहे 72825 हो या शेष 80000 ....और ये मैं सिर्फ इसी बेस पर कह रहा हूँ कि इधर hc न तो 9बी पर फैसला ले पाने में सक्षम हो पा रहा है और उधर सुप्रीम कोर्ट भी 90 अंक वाले अकादमिक याची को जॉब दे रहा है ।

सुप्रीम कोर्ट का पहला काम यही हो कि पहले 23 अगस्त 2010 के बाद नॉन टेट को बाहर करे और फिर विचार करे कि जो टेट पास हैं उनको शेष रिक्त स्थानों पर समायोजित करे , आखिर सभी टेट पास एक पैमाने पर बेसिक शिक्षा के योग्य ही हैं । बेनिफिट ऑफ़ डाउट मिलना ही चाहिए , अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं मानूंगा कि देश में न्यायपालिका है ही नहीं क्योंकि जब उनके नियमो का पालन नहीं हो रहा था तो उसी समय ऐसी भर्तियों पर रोक क्यों नहीं लगाई ?

अभी हाल ही मे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सिनेमा हाल में राष्ट्रगान बजाया जाए और जब ये नियम कोर्ट में लागू करने की बात हुई तो कोर्ट मुकर गया ...इससे स्पष्ट होता है कि कुछ भी संपूर्ण नहीं ...न मैं न आप , न टेट पास न नॉन टेट , न टेट मेरिट न अकादमिक , न न्यायपालिका और न कार्यपालिका फिर ये भर्तियां कैसे?

और अंत में यही कहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट को मानवीय पक्ष भी देखना होगा क्योंकि न्यायिक पक्ष पर ही चिपके तो 80000 के साथ 72825 भी बाहर ही है
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 देखें :-
शुरुआत नीचे से करते हैं,
सुप्रीम कोर्ट को मानवीय पक्ष देखना पड़ेगा,
जवाब - मानवीय पक्ष तो टेट में अधिक अंक पाये लोगों का भी है,  जो बेहतर चयन की उम्मीद रखते थे, लेकिन चयन उम्मीद के मुताबिक नहीं हो पाया, या फिर चयन हुआ ही नहीं

सिनेमा का फैसला परिधि से बाहर है, तो सिर्फ चयन पर फोकस करते हैं हम यहाँ

सुप्रीम कोर्ट 23 अगस्त 2010 के बाद के नॉन टेट के चयन को तभी बाहर करेगा, जबकि उनके खिलाफ याचिका डाली होगी।
जो मुद्दे सुप्रिम कोर्ट के सामने आते हैं, वो फैसला तो उन्ही पर देगा

NCTE की अस्पष्ट व्याख्या कह रहे हैं, जबकि ncte नियमावली स्पष्ट है कि राज्य सरकार को टेट में अच्छे अंक हासिल करने वालों को कुछ अधिभार देना है, टेट 130 और टेट 83 मार्क्स को बराबरी पर खड़ा करना NCTE नियमावली संगत नहीं,
हज़ारों लाखों अभ्यर्थी टेट में अच्छे अंक हासिल करने के बाद भी बेरोजगार है, उनका क्या होगा

100% टेट मार्क्स भी टेट अंको के वेटेज ही है, साथ ही यह चयन परीक्षा भी लोगों के लिए एक ही थी।

नॉन टेट से चयनित होने वाले किसी व्यक्ति/ समूह का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट जाता है तो उस पर भी नियमानुसार फैसला हो जाएगा।
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