उत्तर प्रदेश में 1999 के दौरान वेसिक प्रॉयमरी में शिक्षकों की घोर कमी होने लगी। तथा तत्कालीन सरकार शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था चलना दुर्लभ हो गया ।
ततपश्चात इस समाज में विषम परिस्थित में एक युवा पीढ़ी तथा कथित शिक्षामित्र के पद प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश के नौनिहालो को आगे बढ़ाने का कार्य अल्प मानदेय स्वीकार किया परन्तु लगभग 11-12 वर्ष के बाद समाज के लोग यह कहते थे कि प्राथमिक शिक्षा का नैया शिक्षा मित्र के सहारे चल रहा है।परन्तु हम बड़ी बिडम्बना समाज के लिए तब बने जब 01-08-2014 को प्रथम बैच के शिक्षामित्रों को trained वेतनमान देने के लिए सरकार ने अपना फरमान जारी किया।तब से समाज व् तथा कथित लोगों द्वारा शिक्षामित्रों के अहर्ता पर आने लगा। यहाँ तक कि किसान,मजदूर,रिक्सा चालक फुटपात पर दुकान लगाने वाला यह नही स्वीकार करने तैयार की इनकी नियुक्ति trained शिक्षक पद पर हुआ है। N.C.T.E.के मानक अनुसार इनका पद सृजित हुआ है।
शिक्षामित्रों के साथ घोर अन्याय हुआ,और इनका सरकार द्वारा शोषण,अपमान अपने हाथों का कठपुतलियां समझकर घुमाने का कार्य करने में राजनैतिक लाभ लेने के लिए सरकार तत्पर रही।
एक तरफ भारतीय सम्बिधान के अनुच्छेद-14,21,39,43 तथा 162 में भारतीय कर्मचारियों का शोषण तथा अपमान जीवन जीने का मौलिक अधिकार समानता का अधिकार वर्णित किया गया है।
स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रत्ता भी छीनने का मनमानी तरीके से शोषण किया जाता है। जो उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के साथ हो रहा है।
उपरोक्त विवरणों से यह परिलछित होता है कि भारतीय संविधान की व्यवस्थायें शिक्षामित्रों के लिए लागू नही है।..केन्द्र तथा राज्य का आदेश एक कागज का टुकड़ा है।... शासनादेश होते रहे है।..समय-समय पर नौकरशाह मनमानी करते है.....इस क्रम में 170000 शिक्षामित्र का शोषण,अपमान का शिकार पूरे समाज में बनना पड़ा तथा उसका जबाब आज शिक्षामित्र उच्चतम न्यायालय में देने के लिए तैयार है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 72,825 भर्ती में लगभग 7000 सीटों पर नहीं निकाली जा रही है कटऑफ
- पाठक द्वारा 72825 को भी वैटज पर करवाने की चाल !!! ANIL KUNDU JI की post ज़रूर पढ़े
- शिक्षामित्रों के संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का पत्र देखें
- 72825 पर रत्ती भर खतरा नही , हम शिक्षक हैं ,वह भी अंतरिम आदेश से बंधे,जज नही
- हाईकोर्ट ने याचियों को तीन माह में सहायक अध्यापक पर नियुक्त करने का निदेशक को दिया आदेश
- अप्रैल व अक्टूबर में 14-14 दिन अवकाश, एक-दो दिन छुट्टी लेकर ले सकते हैं लंबे अवकाश का आनंद, छुट्टियों की वजह से सरकारी नौकरी प्राइवेट पर भारी रहती है
ततपश्चात इस समाज में विषम परिस्थित में एक युवा पीढ़ी तथा कथित शिक्षामित्र के पद प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश के नौनिहालो को आगे बढ़ाने का कार्य अल्प मानदेय स्वीकार किया परन्तु लगभग 11-12 वर्ष के बाद समाज के लोग यह कहते थे कि प्राथमिक शिक्षा का नैया शिक्षा मित्र के सहारे चल रहा है।परन्तु हम बड़ी बिडम्बना समाज के लिए तब बने जब 01-08-2014 को प्रथम बैच के शिक्षामित्रों को trained वेतनमान देने के लिए सरकार ने अपना फरमान जारी किया।तब से समाज व् तथा कथित लोगों द्वारा शिक्षामित्रों के अहर्ता पर आने लगा। यहाँ तक कि किसान,मजदूर,रिक्सा चालक फुटपात पर दुकान लगाने वाला यह नही स्वीकार करने तैयार की इनकी नियुक्ति trained शिक्षक पद पर हुआ है। N.C.T.E.के मानक अनुसार इनका पद सृजित हुआ है।
शिक्षामित्रों के साथ घोर अन्याय हुआ,और इनका सरकार द्वारा शोषण,अपमान अपने हाथों का कठपुतलियां समझकर घुमाने का कार्य करने में राजनैतिक लाभ लेने के लिए सरकार तत्पर रही।
एक तरफ भारतीय सम्बिधान के अनुच्छेद-14,21,39,43 तथा 162 में भारतीय कर्मचारियों का शोषण तथा अपमान जीवन जीने का मौलिक अधिकार समानता का अधिकार वर्णित किया गया है।
स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रत्ता भी छीनने का मनमानी तरीके से शोषण किया जाता है। जो उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के साथ हो रहा है।
उपरोक्त विवरणों से यह परिलछित होता है कि भारतीय संविधान की व्यवस्थायें शिक्षामित्रों के लिए लागू नही है।..केन्द्र तथा राज्य का आदेश एक कागज का टुकड़ा है।... शासनादेश होते रहे है।..समय-समय पर नौकरशाह मनमानी करते है.....इस क्रम में 170000 शिक्षामित्र का शोषण,अपमान का शिकार पूरे समाज में बनना पड़ा तथा उसका जबाब आज शिक्षामित्र उच्चतम न्यायालय में देने के लिए तैयार है।
- एस. के. पाठक,72825 भर्ती के विलेनिक हीरो हैं या हीरोइक विलेन यह मंथन का विषय
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