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शिक्षामित्रों के जीवन का संछिप्त इतिहास (1999 से 2016 तक)

उत्तर प्रदेश में 1999 के दौरान वेसिक प्रॉयमरी में शिक्षकों की घोर कमी होने लगी। तथा तत्कालीन सरकार शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था चलना दुर्लभ हो गया ।
इस स्तिथि में तत्कालीन सरकार ने केंद्र सरकार से डी0 पी0 इ0 पी0.एक योजना के रूप में छात्र अनुपात शिक्षक के श्रेणी को ध्यान में रखते हुये प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक की कमी दूर करने के लिए N.C.T.E. से अनुमति लेकर शिक्षामित्र पद का विद्यालयों पद सृजन किया तथा नियमानुसार इसका चयन ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से जिला समिति के अनुमोदन करवा करके प्राथमिक  विद्यालयों में 30 दिवशीय प्रशिक्षण के बाद विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने लगे।तत्पश्चात 2001 में N.C.T.E.द्वारा एक आदेश पारित किया गया कि reglestion 3 सितम्बर 2001जो शिक्षामित्र स्नातक का अहर्ता रखते हुये वेसिक प्रॉयमरी विद्यालयों में शिक्षण कार्य करते है।वह सभी untrend siksha mitra.undrend shikshak के श्रेणी में आते है।परन्तु 2005 व् 2006 में शिक्षामित्र का व्योरा राज्य सरकार से N.C.T.E.ने मांगी तथा 2008 व् 2009 में भी व्योरा मांगी।समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा N.C.T.E.को व्योरा प्राप्त कराया गया तथा N.C.T.E.का स्पष्ट निर्देश प्राप्त होने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा पालन नही करवाया जाता था।
   ततपश्चात इस समाज में विषम परिस्थित में एक युवा पीढ़ी तथा कथित शिक्षामित्र के पद प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश के नौनिहालो को आगे बढ़ाने का कार्य अल्प मानदेय स्वीकार किया परन्तु लगभग 11-12 वर्ष के बाद समाज के लोग यह कहते थे कि प्राथमिक शिक्षा का नैया शिक्षा मित्र के सहारे चल रहा है।परन्तु हम बड़ी बिडम्बना समाज के लिए तब बने जब 01-08-2014 को प्रथम बैच के शिक्षामित्रों को trained वेतनमान देने के लिए सरकार ने अपना फरमान जारी किया।तब से समाज व् तथा कथित लोगों द्वारा शिक्षामित्रों के अहर्ता पर आने लगा। यहाँ तक कि किसान,मजदूर,रिक्सा चालक फुटपात पर दुकान लगाने वाला यह नही स्वीकार करने तैयार की इनकी नियुक्ति trained शिक्षक पद पर हुआ है। N.C.T.E.के मानक अनुसार इनका पद सृजित हुआ है।
शिक्षामित्रों के साथ घोर अन्याय हुआ,और इनका सरकार द्वारा शोषण,अपमान अपने हाथों का कठपुतलियां समझकर घुमाने का कार्य करने में राजनैतिक लाभ लेने के लिए सरकार तत्पर रही।
एक तरफ भारतीय सम्बिधान के अनुच्छेद-14,21,39,43 तथा 162 में भारतीय कर्मचारियों का शोषण तथा अपमान जीवन जीने का मौलिक अधिकार समानता का अधिकार वर्णित किया गया है।
   स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रत्ता भी छीनने का मनमानी तरीके से शोषण किया जाता है। जो उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के साथ हो रहा है।
    उपरोक्त विवरणों से यह परिलछित होता है कि भारतीय संविधान की व्यवस्थायें शिक्षामित्रों के लिए लागू नही है।..केन्द्र तथा राज्य का आदेश एक कागज का टुकड़ा है।... शासनादेश होते रहे है।..समय-समय पर नौकरशाह मनमानी करते है.....इस क्रम में 170000 शिक्षामित्र का शोषण,अपमान का शिकार पूरे समाज में बनना पड़ा तथा उसका जबाब आज शिक्षामित्र उच्चतम न्यायालय में देने के लिए तैयार है।
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