ब्यूरो, नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
आज खास बात यह थी कि शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ में से जस्टिस ललित तीन तलाक के मामलों को सुन रही संविधान पीठ का भी हिस्सा हैं। इसलिए तीन तलाक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद शाम 4.10 पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी।
सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेड़े जाने की बात कही है। इस मामले में भी कोर्ट जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उन्हें न छेड़े। शिक्षा मित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन्हें नहीं छेड़ रहे हैं।
शिक्षा मित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से यह भी कहा कि अगर जरूरी योग्यता की बात है (जैसे टीईटी) तो कोर्ट उन्हें उसे पूरा करने के लिए कुछ समय दे सकता है। कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करते समय बहुत से पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह मामला 172000 शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन का है। अभी तक 132000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं और सुप्रीमकोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के चलते काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है।
एकेडेमिक भर्ती पर 19 मई को होगी सुनवाई: सहायक शिक्षकों की एकेडेमिक भर्ती के मामले में कोर्ट 19 मई से सुनवाई करेगा। यह मामला 90000 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। इनकी भर्ती हाईस्कूल इंटरमीडिए और स्नातक में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर हुई थी।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने पक्षकारों को दलीलें दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है। 1इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को उत्तर प्रदेश में एक लाख बहत्तर हजार शिक्षामित्रों का प्राथमिक विद्यालयों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद कर दिया था, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। आज खास बात यह थी कि शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ में से जस्टिस ललित तीन तलाक के मामलों को सुन रही संविधान पीठ का भी हिस्सा हैं।
इसलिए तीन तलाक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद शाम 4.10 पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी। 1सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेड़े जाने की बात कही है। इस मामले में भी कोर्ट जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उन्हें न छेड़े।
शिक्षा मित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन्हें नहीं छेड़ रहे हैं। 1शिक्षा मित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से यह भी कहा कि अगर जरूरी योग्यता की बात है (जैसे टीईटी) तो कोर्ट उन्हें उसे पूरा करने के लिए कुछ समय दे सकता है। कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करते समय बहुत से पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 1यह मामला 172000 शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन का है। अभी तक 132000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं और सुप्रीमकोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के चलते काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है।
◆ एकेडेमिक भर्ती पर 19 मई को होगी सुनवाई:
सहायक शिक्षकों की एकेडेमिक भर्ती के मामले में कोर्ट 19 मई से सुनवाई करेगा। यह मामला 90000 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। इनकी भर्ती हाईस्कूल इंटरमीडिए और स्नातक में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर हुई थी।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- बड़ी खबर: अनुदेशकों का मानदेय 17 हजार और शिक्षामित्रों का 10 हजार हुआ तय, नए सत्र से होगा लागू
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा दिए गए निर्णय में बदलाव सम्भव नहीं- सर्वोच्च न्यायालय
- SM केस लगभग समाप्त , अगली तारीख शुक्रवार , सुनवाई दोपहर दो बजे से : हिमांशु राणा
- शिक्षामित्र वकील आपस में ही भिड़े , टेटपास शिक्षामित्र पक्ष उनको अलग से सुनने को कह रहा है
- शिक्षामित्र मेटर में धनञ्जय यशवंत चंद्रचूर्ण का आर्डर अक्षरशः यथावत रहेगा
- शिक्षामित्र मामले पर और पक्षों को भी सुना जाना बाकी , सुनवाई 19 मई को दोपहर दो बजे से
आज खास बात यह थी कि शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ में से जस्टिस ललित तीन तलाक के मामलों को सुन रही संविधान पीठ का भी हिस्सा हैं। इसलिए तीन तलाक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद शाम 4.10 पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी।
सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेड़े जाने की बात कही है। इस मामले में भी कोर्ट जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उन्हें न छेड़े। शिक्षा मित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन्हें नहीं छेड़ रहे हैं।
शिक्षा मित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से यह भी कहा कि अगर जरूरी योग्यता की बात है (जैसे टीईटी) तो कोर्ट उन्हें उसे पूरा करने के लिए कुछ समय दे सकता है। कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करते समय बहुत से पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह मामला 172000 शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन का है। अभी तक 132000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं और सुप्रीमकोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के चलते काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है।
एकेडेमिक भर्ती पर 19 मई को होगी सुनवाई: सहायक शिक्षकों की एकेडेमिक भर्ती के मामले में कोर्ट 19 मई से सुनवाई करेगा। यह मामला 90000 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। इनकी भर्ती हाईस्कूल इंटरमीडिए और स्नातक में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर हुई थी।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने पक्षकारों को दलीलें दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है। 1इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को उत्तर प्रदेश में एक लाख बहत्तर हजार शिक्षामित्रों का प्राथमिक विद्यालयों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद कर दिया था, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। आज खास बात यह थी कि शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ में से जस्टिस ललित तीन तलाक के मामलों को सुन रही संविधान पीठ का भी हिस्सा हैं।
इसलिए तीन तलाक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद शाम 4.10 पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी। 1सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेड़े जाने की बात कही है। इस मामले में भी कोर्ट जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उन्हें न छेड़े।
शिक्षा मित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन्हें नहीं छेड़ रहे हैं। 1शिक्षा मित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से यह भी कहा कि अगर जरूरी योग्यता की बात है (जैसे टीईटी) तो कोर्ट उन्हें उसे पूरा करने के लिए कुछ समय दे सकता है। कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करते समय बहुत से पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 1यह मामला 172000 शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन का है। अभी तक 132000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं और सुप्रीमकोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक के चलते काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है।
◆ एकेडेमिक भर्ती पर 19 मई को होगी सुनवाई:
सहायक शिक्षकों की एकेडेमिक भर्ती के मामले में कोर्ट 19 मई से सुनवाई करेगा। यह मामला 90000 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। इनकी भर्ती हाईस्कूल इंटरमीडिए और स्नातक में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर हुई थी।
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