*प्रतीक्षा के पल*:-
*मित्रों, जैसा कि उ. प्र. शासन ने .(मायावती सरकार) ..सर्वप्रथम 1,24000/- स्नातक उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण हेतु अनुमति मांगी थी*.. *उक्त के क्रम में, एनसीटीई ने दिनांक -14 जनवरी -2011 को दो चरणों में, 64,000/-) प्रशिक्षण हेतु अनुमति दे दी थी.. और नियमत: तत्कालीन बसपा मायावती* *सरकार ने प्रारम्भ भी कर दिया था.. परन्तु.. जब 2012 में सपा अखिलेश सरकार आयी तो,
संगठन के दबाव* *फलस्वरूप.. उक्त सरकार ने अवशेष इंटर पास शिक्षामित्रों को भी.. उक्त प्रशिक्षण कराने की अनुमति हेतु.. दिनांक- 11 अप्रैल -2013 को.. पुऩ: 46000/- के लिए एनसीटीई के पास पत्र भेजा... परन्तु
एनसीटीई ने.. अवशेष शिक्षामित्रों के लिए.. किसी भी प्रकार का पत्र जारी नही किया.. राज्य सरकार ने बिना किसी आदेश के.. अवशेष शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण प्रारम्भ करा दिया*..
(प्रथम बैच में - 60,000/-) एवं ( द्वितीय बैच में -
*यही गलती.. पूरे पौने दो लाख शिक्षामित्रों के लिए.. हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक.. एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.. क्या एनसीटीई के कहने के अनुसार कोर्ट केवल 1,24000/- शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को वैद्य मानेगी या राज्य सरकार के द्वारा मांगी गयी समस्त शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को वैद्य मानेगी.. क्योंकि विरोधी भी.. इन्ही खामियाँ को पाकर.. पूरा प्रशिक्षण अवैध कराने के लिए उछल कूद रहा हैं*..
*बहरहाल.. मित्रों.. अब सब कुछ माननीय सुप्रीम कोर्ट ही सही रुप से.. निर्णय आज दिनांक -17 मई को.. फैसला देगा कि.. किसने का प्रशिक्षण वैध है या अवैध ह*ै.. *तथा समायोजन नियमत: सही है या गलत*..
*यह सब कुछ इस न्याय की मंदिर में.. स्पष्ट हो जाएगा.. की.. एनसीटीई सही है या राज्य सरकार है या जो विरोधी चिल्ला रहा है.. वह सही है*..
*कई गूढ़ प्रश्नों का उत्तर.. माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हमें प्राप्त होना है.. जो हमें बड़ी ही बेसब्री से इन्तजार रहेगा*
*उक्त अपेक्षाकृत के साथ*
जय हिंद
जय शिक्षामित्र
आपका साथी
*प्रदीप पाल*
*जिला मीडिया प्रभारी*
*जिला संगठन ASSWA इलाहाबाद*
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*मित्रों, जैसा कि उ. प्र. शासन ने .(मायावती सरकार) ..सर्वप्रथम 1,24000/- स्नातक उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण हेतु अनुमति मांगी थी*.. *उक्त के क्रम में, एनसीटीई ने दिनांक -14 जनवरी -2011 को दो चरणों में, 64,000/-) प्रशिक्षण हेतु अनुमति दे दी थी.. और नियमत: तत्कालीन बसपा मायावती* *सरकार ने प्रारम्भ भी कर दिया था.. परन्तु.. जब 2012 में सपा अखिलेश सरकार आयी तो,
संगठन के दबाव* *फलस्वरूप.. उक्त सरकार ने अवशेष इंटर पास शिक्षामित्रों को भी.. उक्त प्रशिक्षण कराने की अनुमति हेतु.. दिनांक- 11 अप्रैल -2013 को.. पुऩ: 46000/- के लिए एनसीटीई के पास पत्र भेजा... परन्तु
एनसीटीई ने.. अवशेष शिक्षामित्रों के लिए.. किसी भी प्रकार का पत्र जारी नही किया.. राज्य सरकार ने बिना किसी आदेश के.. अवशेष शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण प्रारम्भ करा दिया*..
(प्रथम बैच में - 60,000/-) एवं ( द्वितीय बैच में -
*यही गलती.. पूरे पौने दो लाख शिक्षामित्रों के लिए.. हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक.. एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.. क्या एनसीटीई के कहने के अनुसार कोर्ट केवल 1,24000/- शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को वैद्य मानेगी या राज्य सरकार के द्वारा मांगी गयी समस्त शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को वैद्य मानेगी.. क्योंकि विरोधी भी.. इन्ही खामियाँ को पाकर.. पूरा प्रशिक्षण अवैध कराने के लिए उछल कूद रहा हैं*..
*बहरहाल.. मित्रों.. अब सब कुछ माननीय सुप्रीम कोर्ट ही सही रुप से.. निर्णय आज दिनांक -17 मई को.. फैसला देगा कि.. किसने का प्रशिक्षण वैध है या अवैध ह*ै.. *तथा समायोजन नियमत: सही है या गलत*..
*यह सब कुछ इस न्याय की मंदिर में.. स्पष्ट हो जाएगा.. की.. एनसीटीई सही है या राज्य सरकार है या जो विरोधी चिल्ला रहा है.. वह सही है*..
*कई गूढ़ प्रश्नों का उत्तर.. माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हमें प्राप्त होना है.. जो हमें बड़ी ही बेसब्री से इन्तजार रहेगा*
*उक्त अपेक्षाकृत के साथ*
जय हिंद
जय शिक्षामित्र
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*प्रदीप पाल*
*जिला मीडिया प्रभारी*
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