इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में मानदेय अध्यापकों को समायोजित करने के बाद आवंटित कॉलेज में ज्वाइन करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
याचीगण का कहना है कि वे 18 साल से कार्यरत है। बीएड विभाग में मानदेय लेक्चरर के लिए नियुक्ति की गई थी, राज्य सरकार ने 471 पदों को भरने का भी विज्ञापन निकाला था, जिसे निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट ने ऐसे अध्यापकों का समायोजन करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी समायोजन के आदेश को सही माना। इसके बाद उच्च शिक्षा निदेशक ने 18 मई को समायोजन आदेश जारी कर सभी अध्यापकों को आवंटित कॉलेज में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया है। जिसकी वैधता को चुनौती दी गयी है। याचियों का कहना है कि जिन कॉलेजों में वे कार्यरत है, वहां पद खाली है। वे खाली पदों पर ही कार्यरत है।
बहुत से पद सेवानिवृत्ति या मृत्यु आदि के चलते खाली हुए हैं। ऐसे में याचियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि निदेशक ने कोर्ट के आदेश के तहत समायोजन किया है और समायोजन पद पर कार्यभार ग्रहण के निर्देश में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब याचीगण वर्षो से पढ़ा रहे हैं और उस कॉलेज में पद खाली हैं तो उन्हें दूसरे कॉलेज में क्यों जाने को बाध्य किया जा रहा है?
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