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दो पाटों के बीच फंसे टीईटी पास शिक्षामित्र, पदाधिकारियों ने भी दिया था भरोसा, रद न होगा समायोजन

जागरण संवाददाता, फरुखाबाद : बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त किया, अच्छे नंबरों से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) भी उत्तीर्ण की। इसके बाद भी आखिर उन्हें दो राहे पर लाकर क्यों छोड़ दिया गया?|
 शिक्षामित्र समायोजन मुद्दे
पर उच्च न्यायालय के निर्णय से योग्यताधारी अभ्यर्थी यही सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह दो पाटों के बीच फंसकर रह गए। 1प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक पद पर समायोजित हुए 125 शिक्षामित्र ऐसे हैं जिनके पास राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(एनसीईआरटी) द्वारा पूरी योग्यता है। बीटीसी करने के बाद उन्होंने टीईटी भी अच्छे अंकों से पास की, लेकिन अन्य शिक्षामित्रों के साथ उनकी भी नौकरी दांव पर लग गई। योग्यता के बाद भी वह दोराहे पर खड़े हैं, उनके परिवार भी सदमे में डूबे हैं। 1फरवरी 2015 में हुई टीईटी परीक्षा में मोहम्मदाबाद के अठसानी निवासी दीपांजलि ने 96 अंक पाए थे। वह प्राथमिक विद्यालय खटा में कार्यरत हैं। दीपांजलि का कहना है कि उन्हें भरोसा दिया गया था कि समायोजन पर कभी आंच नहीं आएगी। इसीलिए सीधी भर्ती में आवेदन नहीं किया, लेकिन योग्यता होने पर भी उनका समायोजन न्यायालय के निर्णय से रद हो गया। 1प्राथमिक विद्यालय जोगपुर के समायोजित शिक्षामित्र हरी सिंह ने 2016 की टीईटी परीक्षा में अच्छे नंबरों से सफलता पाई। वह कहते हैं कि 17 वर्षों से शिक्षामित्र और फिर सहायक अध्यापक पद पर रहते बच्चों का भविष्य बनाया, लेकिन नौकरी पर संकट आ गया। प्राइमरी विद्यालय अद्दूपुर की कीर्ति गंगवार कहती हैं कि योग्यताधारी समायोजित शिक्षामित्रों के लिए अभी तक राहत का रास्ता न निकाला जाना उनकी योग्यता को नजरअंदाज करना है।

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