अब देशभर के सभी स्कूलों के प्रिंसिपल का अपना कैडर होगा। केंद्र सरकार ने कैब सब-कमेटी की 2005 की सिफारिश के आधार पहली बार प्रिंसिपल के कैडर के लिए गाइडलाइन्स तैयार की हैं।इसके तहत अब प्रिंसिपल सीनियोरिटी नहीं, बल्कि प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर कुल सीटों में से पचास फीसदी सीट भर्ती से भरी जाएं। खास बात है कि नए नियम में आवेदक की अपर प्राइमरी व सीनियर सेकेंडरी में आयु सीमा 45 और प्राइमरी स्कूल के लिए 40 वर्ष होनी चाहिए।
केंद्र सरकार से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कैब सब कमेटी ने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि देशभर के अधिकतर राज्यों में सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल का पद वरिष्ठता के आधार पर भरा जाता है। जबकि प्रिंसिपल एक ऐसा पद है, जोकि काबिलयत की परख के बाद भरा जाना चाहिए। प्रिंसिपल में बौद्धिक जागरुकता, दूरगामी समझ, हाजिर जवाब, बातचीत की कला, निर्णय करने की बेहतर क्षमता व तालमेल समेत केस स्ट्डी के आधार पर समस्याओं को दूर करने की योग्यता जरूरी है।
क्योंकि स्कूल में शिक्षा व छात्रों के भविष्य की विभिन्न योजनाओं पर फैसला प्रिंसिपल द्वारा लिये जाते हैं। ऐसे में जब उक्त पद पर काबिज व्यक्ति योग्य ही नहीं होगा तो उसका असर गुणवत्ता में गिरावट के साथ योग्य शिक्षकों को दर-किनार किया जाएगा। ऐसा व्यक्ति चापलुसों व नकारा शिक्षकों को तबज्जो देंगे। फिलहाल देशभर में इलेमेंटरी में 705231 और सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी में 121027 प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कमेटी की सिफारिश के आधार पर शुरुआत में पचास फीसदी सीटों को सीधे भर्ती से भरने की गाइडलाइन्स बनायी गयी हैं। इसमें आरक्षित वर्ग को नियमों के तहत पूरा लाभ मिलेगा।
सौ अंकों की परीक्षा में अकेडमिक योग्यता संग परीक्षा
राज्यों को पहले भर्ती का विज्ञापन जारी करने के बाद खाली प्रिंसिपल पद का ब्यौरा बनेगा। सीधी भर्ती में सौ अंक का क्राइटीरिया होगा। अकेडमिक व प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन 25 अंक (ग्रजुऐशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल व पीएचडी) की होगी। टीचिंग एक्सपीरिंयस (दस से बीस साल) के दस अंक तो लिखित परीक्षा पचास अंक की होगी, जिसमें से 40 अंक लैंग्वेज पेपर पर आधारित होंगे। लिखित परीक्षा चार वर्गों में विभाजित है, जिसमें जनरल व एडमिनिस्ट्रेटिव नालेज, लैंग्वेज व कम्यूनिकेशन, स्कूल एंड एजुकेशनल मैनेजमेंट, विषय व जनरल एप्टीट्यूट शामिल है। वहीं, पर्सनेलिटी टेस्ट या इंटरव्यू दस अंक का होगा।
फिलहाल देशभर में तीन नियम हैं लागू
हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, एमपी, नागालैंड, महाराष्ट्र समेत 20 राज्यों में सीनियोरिटी के आधार पर प्रिंसिपल का पद भरा जाता है। जबकि बिहार, गुजरात, कर्नाटक व सिक्किम में सीधी भर्ती के आधार पर भरे जाते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़,दिल्ली समेत 11 राज्यों में प्रमोशन व सीधी भर्ती से प्रिंसिपल का पद भरा जाता है।
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क्योंकि स्कूल में शिक्षा व छात्रों के भविष्य की विभिन्न योजनाओं पर फैसला प्रिंसिपल द्वारा लिये जाते हैं। ऐसे में जब उक्त पद पर काबिज व्यक्ति योग्य ही नहीं होगा तो उसका असर गुणवत्ता में गिरावट के साथ योग्य शिक्षकों को दर-किनार किया जाएगा। ऐसा व्यक्ति चापलुसों व नकारा शिक्षकों को तबज्जो देंगे। फिलहाल देशभर में इलेमेंटरी में 705231 और सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी में 121027 प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कमेटी की सिफारिश के आधार पर शुरुआत में पचास फीसदी सीटों को सीधे भर्ती से भरने की गाइडलाइन्स बनायी गयी हैं। इसमें आरक्षित वर्ग को नियमों के तहत पूरा लाभ मिलेगा।
सौ अंकों की परीक्षा में अकेडमिक योग्यता संग परीक्षा
राज्यों को पहले भर्ती का विज्ञापन जारी करने के बाद खाली प्रिंसिपल पद का ब्यौरा बनेगा। सीधी भर्ती में सौ अंक का क्राइटीरिया होगा। अकेडमिक व प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन 25 अंक (ग्रजुऐशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल व पीएचडी) की होगी। टीचिंग एक्सपीरिंयस (दस से बीस साल) के दस अंक तो लिखित परीक्षा पचास अंक की होगी, जिसमें से 40 अंक लैंग्वेज पेपर पर आधारित होंगे। लिखित परीक्षा चार वर्गों में विभाजित है, जिसमें जनरल व एडमिनिस्ट्रेटिव नालेज, लैंग्वेज व कम्यूनिकेशन, स्कूल एंड एजुकेशनल मैनेजमेंट, विषय व जनरल एप्टीट्यूट शामिल है। वहीं, पर्सनेलिटी टेस्ट या इंटरव्यू दस अंक का होगा।
फिलहाल देशभर में तीन नियम हैं लागू
हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, एमपी, नागालैंड, महाराष्ट्र समेत 20 राज्यों में सीनियोरिटी के आधार पर प्रिंसिपल का पद भरा जाता है। जबकि बिहार, गुजरात, कर्नाटक व सिक्किम में सीधी भर्ती के आधार पर भरे जाते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़,दिल्ली समेत 11 राज्यों में प्रमोशन व सीधी भर्ती से प्रिंसिपल का पद भरा जाता है।
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