लखनऊ. उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक
अध्यापक पद से हटाए गए शिक्षा मित्रों ने एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा
खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को जिन एक लाख 65 हजार
शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के तौर पर समायोजन रद्द किया था, उन्होंने
हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है।
पद सुरक्षित करने की मांग
इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 सितंबर 2015 के फैसले को सही ठहराते हुए
सुप्रीम कोर्ट ने जिन शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था उन्होंने अब
हाईकोर्ट में नई याचिका दाखिल की है। हाइकोर्ट में दाखिल याचिका में
शिक्षामित्रों ने सहायक अध्यापक की भर्तियों में अपने लिए पद को सुरक्षित
रखने की मांग की है। शिक्षामित्रों ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश में आने
वाले दिनों में सरकार जो भी शिक्षक भर्तियां निकाले उन सभी में उनके लिए पद
सुरक्षित रखे जाएं। शिक्षामित्रों द्वारा हाईकोर्ट में दायर इस याचिका पर
22 मार्च को सुनवाई होनी है।
नहीं मिलेगा नियुक्ति का मौका
आपको बता दें कि शिक्षामित्रों ने जो याचिका दाखिल की है ऐसे ही एक
मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की खण्डपीठ कर रही है। शिक्षामित्रों की
उस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमसी त्रिपाठी ने शिक्षकों की भर्ती
को याचिका के निर्णय की विषयवस्तु बताया है। शिक्षामित्रों के वकील का कहना
है कि सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को गलत माना था इसलिए
रद्द कर दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षामित्रों को दो सालों में
TET समेत सहायक अध्यापक पद के लिए उचित योग्यता हासिल करने को कहा है।
याची शिक्षामित्रों ने कहा है कि अगर शिक्षकों के सभी पदों पर नियुक्ति कर
दी गई तो आगे चलकर उचित योग्यता हासिल करने के बाद भी उनको नियुक्ति पाने
का मौका नहीं मिलेगा। जिससे उनको आगे चलकर बड़ी समस्या का सामना करना
पड़ेगा।
समायोजन हुआ था रद्द
आपको बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक
अध्यापक पद से समायोजन कैंसिल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद
हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें उसने शिक्षामित्रों के
समायोजन को अवैध करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि
शिक्षामित्रों के मामले में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा
सकता। शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम
योग्यता जरूरी है। बिना न्यूनतम योग्यता के किसी की भी नियुक्ति नहीं की जा
सकती।
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